




अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 12 देशों को भेजे ट्रेड लेटर्स, ताइवान से यूरोप तक भारी टैरिफ लागू करने की तैयारी, 10 से 70 प्रतिशत तक हो सकता है शुल्क।
वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर से वैश्विक व्यापार पर अपना टैरिफ हथियार चलाने को तैयार हैं। ट्रंप ने शुक्रवार, 4 जुलाई 2025 को एयर फोर्स वन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने करीब 12 देशों को भेजे जाने वाले ट्रेड लेटर्स पर दस्तखत कर दिए हैं। ये लेटर्स सोमवार, 7 जुलाई 2025 को संबंधित देशों को भेज दिए जाएंगे और उसी दिन सार्वजनिक रूप से यह भी बताया जाएगा कि किन-किन देशों पर यह टैरिफ लागू होंगे।
बैठकों के बजाय सीधा नोटिस भेजना आसान: ट्रंप
राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अलग-अलग देशों के साथ बैठकर व्यापार घाटा और फायदे के मुद्दों पर चर्चा करने के बजाय, सीधा टैरिफ का नोटिस भेजना ज्यादा आसान है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “हमने यूनाइटेड किंगडम (UK) के साथ ऐसा किया और यह दोनों पक्षों के लिए अच्छा साबित हुआ। इसी तरह, चीन के साथ भी हमने इस रणनीति को अपनाया और इसका सकारात्मक असर पड़ा।”
ट्रंप ने आगे कहा, “कई देशों के साथ हमारा व्यापार घाटा है और अगर वे अमेरिका के साथ व्यापार करना चाहते हैं, तो उन्हें इस टैरिफ का भुगतान करना ही होगा।”
ताइवान से यूरोपियन यूनियन तक पड़ेगा असर
डोनाल्ड ट्रंप के इस नए टैरिफ से ताइवान, यूरोपियन यूनियन सहित एशिया, यूरोप और लैटिन अमेरिका के कई देशों पर असर पड़ेगा। ट्रंप ने गुरुवार, 3 जुलाई 2025 को संकेत दिया था कि ये टैरिफ 10% से लेकर 70% तक हो सकते हैं।
इससे कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित होंगी, जो पहले से ही वैश्विक मंदी, रूस-यूक्रेन युद्ध, और एशियाई बाजारों की अनिश्चितताओं से जूझ रही हैं।
वैश्विक व्यापार में नया तनाव
डोनाल्ड ट्रंप का यह कदम दुनिया भर के बाजारों में नया तनाव पैदा कर सकता है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि इससे ग्लोबल सप्लाई चेन पर असर पड़ेगा और व्यापार युद्ध जैसी स्थिति बन सकती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ताइवान, दक्षिण कोरिया, जर्मनी, फ्रांस और ब्राजील जैसे देशों की कंपनियों पर इस फैसले का सीधा असर हो सकता है।
क्या है टैरिफ लगाने का कारण?
डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि अमेरिका लंबे समय से व्यापार में नुकसान झेल रहा है और यह कदम अमेरिकी कंपनियों और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अमेरिका अब अपने बाजार को बिना शर्त दूसरों के लिए नहीं खोलेगा और हर देश को अमेरिका के साथ व्यापार करने के लिए निष्पक्ष शर्तें माननी होंगी।
अर्थव्यवस्था पर संभावित प्रभाव
१. अमेरिकी घरेलू उद्योग को संरक्षण मिलेगा।
२. उपभोक्ताओं के लिए कुछ वस्तुएं महंगी हो सकती हैं।
३. वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ेगी।
४. प्रभावित देशों के साथ व्यापारिक रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है।
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