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    ट्रेड डील के बीच भारत का बड़ा एक्शन, अमेरिका के खिलाफ WTO में जवाबी टैरिफ लगाने का प्रस्ताव।

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    अमेरिका के टैरिफ के खिलाफ भारत की बड़ी कार्रवाई, WTO में रखा जवाबी शुल्क लगाने का प्रस्ताव।

    भारत-अमेरिका व्यपार: भारत और अमेरिका के बीच व्यापार विवाद एक बार फिर गहराता नजर आ रहा है। शुक्रवार को भारत ने अमेरिका द्वारा अपने ऑटोमोबाइल सेक्टर पर लगाए गए टैरिफ के जवाब में विश्व व्यापार संगठन (WTO) में प्रतिशोधात्मक शुल्क (Retaliatory Tariff) लगाने का प्रस्ताव रखा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते (Trade Deal) को लेकर वार्ता चल रही है।

    क्या है विवाद का कारण?
    दरअसल, अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा (National Security) का हवाला देते हुए भारत से आयात होने वाले ऑटोमोबाइल और ऑटो पार्ट्स पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया था। यह टैरिफ 26 मार्च 2025 को घोषित किया गया था और 3 मई 2025 से लागू हो गया। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस टैरिफ को “सेफगार्ड उपाय” (Safeguard Measure) करार दिया था।

    ट्रंप के मुताबिक, अमेरिका दशकों से वैश्विक व्यापार में नुकसान झेल रहा है और विदेशी कंपनियों के कारण अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर कमजोर हो गया है। ऐसे में इस टैरिफ से घरेलू कंपनियों को प्रतिस्पर्धा में राहत मिलेगी और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा।

    किस-किस उत्पाद पर लगा टैरिफ?
    अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई ऑटोमोबाइल उत्पादों पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है। इनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:
    १. हल्के ट्रक और कार
    २. लिथियम-आयन बैटरियां
    ३. टायर
    ४. स्पार्क प्लग वायर
    ५. शॉक एब्जार्बर
    ६. इंजन और ट्रांसमिशन पार्ट्स

    विशेष बात यह है कि अमेरिका ने इस टैरिफ को अभी तक WTO में रजिस्टर नहीं कराया है, जिससे यह और ज्यादा विवादास्पद बन गया है।

    भारत का जवाब – WTO में सख्त रुख
    भारत ने WTO के वस्तु व्यापार परिषद (Council for Trade in Goods) को सूचित किया कि अमेरिका के इस एकतरफा कदम के जवाब में वह अमेरिका से आयात होने वाले कुछ चुनिंदा उत्पादों पर दी गई रियायतों को समाप्त कर सकता है या उन पर अतिरिक्त शुल्क लगा सकता है।

    भारत का कहना है कि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ GATT 1994 (General Agreement on Tariffs and Trade) और सुरक्षा समझौते (Agreement on Safeguards) के प्रावधानों के अनुरूप नहीं है। भारत ने अपने बयान में कहा कि अमेरिका ने आर्टिकल 12.3, AoS के तहत परामर्श तो किया, लेकिन अपने टैरिफ को उचित रूप से WTO में दर्ज नहीं कराया। इसलिए भारत को भी आर्टिकल 8, AoS के तहत अपनी रियायतें निलंबित करने का अधिकार है।

    क्या है आगे की राह?
    WTO ने कहा है कि भारत द्वारा प्रस्तावित जवाबी शुल्क अमेरिका में उत्पादित चुनिंदा उत्पादों पर लागू होगा। इसका असर अमेरिका के निर्यातकों और भारतीय बाजार में अमेरिकी उत्पादों की प्रतिस्पर्धा पर पड़ सकता है।

    वहीं, दोनों देशों के बीच फिलहाल चल रही व्यापार समझौता वार्ता पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। ट्रंप प्रशासन भारत के साथ ट्रेड डील को लेकर गंभीर दिख रहा था, लेकिन अब इस विवाद के चलते बातचीत में रुकावटें आ सकती हैं।

    भारत और अमेरिका के बीच व्यापार विवाद नया नहीं है, लेकिन इस बार मामला राष्ट्रीय सुरक्षा के बहाने लगाए गए टैरिफ का है, जो WTO के नियमों का उल्लंघन माना जा रहा है। आने वाले दिनों में WTO की प्रक्रिया और दोनों देशों के बीच बातचीत इस विवाद के भविष्य को तय करेगी।

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