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    मेडे नहीं, “पैन-पैन” क्यों चिल्लाया इंडिगो फ्लाइट का पायलट? जानिए कैसे बची सैकड़ों यात्रियों की जान

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    दिल्ली से गोवा जा रही इंडिगो फ्लाइट को बुधवार को मुंबई एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी। इंजन नंबर-1 में तकनीकी खराबी के चलते यह कदम उठाना पड़ा। लेकिन सबसे ज्यादा ध्यान खींचा पायलट द्वारा बार-बार “पैन-पैन-पैन” चिल्लाने का तरीका। आमतौर पर हम “मेडे-मेडे” सिग्नल सुनते हैं, लेकिन इस बार ऐसा क्यों हुआ? आइए जानते हैं।

    PAN-PAN Signal क्या है? क्यों दिया जाता है?

    PAN-PAN” एक अंतरराष्ट्रीय एविएशन इमरजेंसी कॉल है, जो बताता है कि फ्लाइट में तकनीकी खराबी या खतरा है, लेकिन फिलहाल जान का खतरा नहीं है।

    🔹 “PAN” शब्द फ्रांसीसी वाक्य “Panne” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “ब्रेकडाउन” या “तकनीकी गड़बड़ी”
    🔹 इस सिग्नल को एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) को चेतावनी देने के लिए उपयोग किया जाता है कि फ्लाइट को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन सीवियर डेंजर नहीं है।
    🔹 इसका मतलब है – “हमें तुरंत मदद चाहिए, पर यह जानलेवा नहीं है।”
    🔹 इस केस में, एक इंजन फेल हुआ था, दूसरा काम कर रहा था – इसलिए “PAN-PAN” कॉल किया गया, ना कि “मेडे”।

    “मेडे-मेडे” कब बोला जाता है?

    जब स्थिति जानलेवा हो — जैसे:

    • सभी इंजन फेल हो जाएं

    • कैबिन में आग लग जाए

    • बम की सूचना

    • रनवे पर कंट्रोल लॉस

    • गंभीर स्वास्थ्य संकट

    मेडे” शब्द फ्रेंच के “M’aider” (मदद करो) से आया है। जब पायलट यह सिग्नल देता है, तो पूरी हवाई यातायात प्रणाली अलर्ट पर आ जाती है।

    पायलट की सूझबूझ ने बचाई जान

    इंडिगो पायलट ने सटीक तकनीकी फैसले के जरिए “PAN-PAN” कॉल जारी किया, जिससे:

    • एटीसी ने तुरंत विमान को प्राथमिकता दी

    • अन्य फ्लाइट्स को रोका गया

    • मुंबई एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंडिंग कराई गई

    • सभी यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया

    यह निर्णय दिखाता है कि सही सिग्नल और तेज निर्णय कितने ज़रूरी होते हैं।

    लगातार सामने आ रही फ्लाइट खामियां

    हाल के दिनों में:

    • पटना में रनवे की कम जगह के कारण फ्लाइट ने दोबारा उड़ान भरी

    • अहमदाबाद में रनवे हादसा

    • गोवा फ्लाइट का इंजन फेल

    इन घटनाओं से यात्रियों की चिंता बढ़ी है, साथ ही एविएशन सेफ्टी पर बहस भी तेज हो गई है।

    🧠 निष्कर्ष:

    PAN-PAN और मेडे दोनों ही पायलट द्वारा दिए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय सिग्नल हैं, लेकिन स्थिति की गंभीरता के आधार पर अलग-अलग इस्तेमाल होते हैं। इंडिगो फ्लाइट के मामले में पायलट की समझदारी और सही कम्युनिकेशन ने सैकड़ों जानें बचाईं।

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