




प्रनास्ताव
बिहार की राजनीति में इन दिनों सबसे बड़ी हलचल का कारण बनी है कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा। तीसरे दिन का यह सफर गया से नवादा तक चला, जहाँ राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव भी मौजूद रहे। भीड़ का उत्साह देखने लायक था, लेकिन इसी बीच विरोध, विवाद और तीखे राजनीतिक हमलों ने इस यात्रा को और ज्यादा चर्चित बना दिया।
यात्रा का तीसरा दिन – गया से नवादा तक
सुबह जैसे ही यात्रा का काफिला वजीरगंज (गया) से निकला, हजारों की संख्या में समर्थक सड़कों पर मौजूद थे। तिरंगे झंडे, नारों और बैनरों से माहौल चुनावी जनसभा जैसा नजर आ रहा था। कई जगह लोग नारियल और थालियाँ लेकर पूजा के लिए इंतज़ार कर रहे थे, लेकिन राहुल गांधी और तेजस्वी यादव का काफिला बिना रुके आगे बढ़ गया। इससे कुछ स्थानीय लोगों में नाराज़गी भी दिखी।
गया से नवादा जाते समय काफिले ने ग्रामीण इलाकों से होकर गुज़रते हुए स्कूली बच्चों से मुलाकात की। राहुल गांधी ने बच्चों को टॉफी बाँटी और उनसे शिक्षा पर बातचीत की। इस दृश्य ने यात्रा को और मानवीय बना दिया।
राहुल गांधी के भाषण और हमले
नवादा में आयोजित सभा में राहुल गांधी ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा:
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“विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) वोट चोरी का नया रूप है।”
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“बीजेपी चुनाव आयोग के जरिए लोकतंत्र पर हमला कर रही है।”
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“जब INDIA गठबंधन की सरकार बनेगी, तो चुनाव आयोग को जवाब देना होगा।”
राहुल गांधी ने जनता से अपील की कि वे वोट चोरी के खिलाफ आवाज़ उठाएँ और लोकतंत्र बचाने के लिए साथ खड़े हों।
सामाजिक जुड़ाव – दशरथ मांझी परिवार से मुलाकात
यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने माउंटेन मैन दशरथ मांझी के बेटे भागीरथ मांझी को नया घर सौंपा। उन्होंने कहा, “आपका वोट आपका अधिकार है, हम इसे कभी छिनने नहीं देंगे।” यह पहल सामाजिक न्याय और संवेदनशील राजनीति का संदेश देने वाली रही।
विवाद और विरोध प्रदर्शन
हालाँकि यात्रा के दौरान विवाद भी देखने को मिले। हिसुआ क्षेत्र में कुछ पोस्टरों को लेकर झगड़ा हुआ और भाजपा समर्थकों ने “मुर्दाबाद” के नारे लगाए। पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी और हालात को संभाला गया।
वहीं, भाजपा नेताओं ने राहुल गांधी पर “सनातन विरोधी” होने का आरोप लगाया और मंदिर में पूजा न करने पर सवाल उठाए।
महागठबंधन के भीतर तनाव
महागठबंधन (INDIA Alliance) के अंदर भी हलचल मची रही। आरजेडी नेता तेज प्रताप यादव ने इस यात्रा को “बेकार” बताते हुए कहा कि बिहार के लोगों को इससे दूर रहना चाहिए। इस बयान से गठबंधन की आंतरिक राजनीति पर भी सवाल उठने लगे।
राजनीतिक महत्व
विश्लेषकों का मानना है कि राहुल गांधी की यह यात्रा न केवल बिहार बल्कि पूरे देश में संदेश देने का प्रयास है। यह यात्रा विपक्ष की रणनीति का हिस्सा है, जो 2025–26 के चुनावों से पहले मतदाता अधिकार और पारदर्शिता के मुद्दे को भुनाने का काम कर सकती है।
अगर यह यात्रा सफल होती है तो कांग्रेस और RJD को फायदा हो सकता है। लेकिन अगर विवाद और विरोध ज्यादा बढ़ते हैं, तो इसका असर उल्टा भी हो सकता है।
निष्कर्ष
राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा का तीसरा दिन बिहार की राजनीति में गहरी छाप छोड़ गया। भीड़ का समर्थन, चुनाव आयोग पर हमला, सामाजिक जुड़ाव और विवाद—सबने इस यात्रा को चर्चा का केंद्र बना दिया।
पूजा के लिए रखे गए थालियाँ और नारियल भले ही अनछुए रह गए हों, लेकिन लोकतंत्र की रक्षा और वोट की इज्जत का संदेश हर जगह गूँजता रहा। आने वाले दिनों में यह यात्रा और तेज होगी और राजनीतिक पारा और ऊपर चढ़ेगा।