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    राष्ट्रीय-अंतरिक्ष दिवस 2025: जंतर-मंतर पर हुआ भव्य आयोजन, विज्ञान और शोध को मिला नया आयाम

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    भारत में विज्ञान और तकनीक के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से आज पूरे देश में राष्ट्रीय-अंतरिक्ष दिवस 2025 मनाया गया। राजधानी दिल्ली के ऐतिहासिक जंतर-मंतर पर इस अवसर पर एक भव्य आयोजन हुआ। इस आयोजन में वैज्ञानिकों, छात्रों, शोधकर्ताओं और अंतरिक्ष प्रेमियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

    आयोजन का महत्व

    राष्ट्रीय-अंतरिक्ष दिवस हर साल इसलिए मनाया जाता है ताकि समाज को यह बताया जा सके कि अंतरिक्ष विज्ञान सिर्फ तकनीक का हिस्सा नहीं, बल्कि राष्ट्र की प्रगति और सुरक्षा का अहम आधार है।

    • इस बार आयोजन का केंद्र “भविष्य का भारत और अंतरिक्ष की भूमिका” रहा।

    • कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था युवाओं में विज्ञान और अंतरिक्ष अनुसंधान के प्रति उत्साह बढ़ाना।

    जंतर-मंतर क्यों चुना गया?

    दिल्ली का जंतर-मंतर 18वीं शताब्दी की खगोलीय धरोहर है। इसे महाराजा जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था और यह खगोल विज्ञान के अध्ययन का ऐतिहासिक केंद्र रहा है।

    • यहाँ से सैकड़ों साल पहले खगोलीय गणनाएँ और सूर्य-चंद्रमा की गतिविधियों का अध्ययन किया जाता था।

    • इसीलिए राष्ट्रीय-अंतरिक्ष दिवस जैसे कार्यक्रम के लिए यह स्थल विशेष महत्व रखता है।

    आयोजन की मुख्य गतिविधियाँ

    1. वैज्ञानिक सम्मेलन

    ISRO और DRDO के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने देश की हाल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।

    • चंद्रयान-3 की सफलता और गगनयान मिशन की तैयारियों का ज़िक्र हुआ।

    • भारत के अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण की संभावनाओं पर चर्चा हुई।

    2. छात्रों की भागीदारी

    देशभर से आए छात्रों ने मॉडल प्रदर्शनी, पोस्टर प्रतियोगिता और साइंस क्विज़ में हिस्सा लिया।

    • कई स्कूली बच्चों ने छोटे-छोटे रॉकेट और सैटेलाइट के मॉडल प्रस्तुत किए।

    • सर्वश्रेष्ठ प्रोजेक्ट्स को पुरस्कार दिए गए।

    3. प्रदर्शनी और टेक शो

    • प्रदर्शनी में भारत के अंतरिक्ष इतिहास से लेकर भविष्य की योजनाओं तक की झलक दिखाई गई।

    • AR (Augmented Reality) और VR (Virtual Reality) तकनीक से आगंतुकों को अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव कराया गया।

    विशेषज्ञों के विचार

    • डॉ. के. सिवन (पूर्व इसरो प्रमुख) ने कहा:
      “भारत ने पिछले दशक में अंतरिक्ष विज्ञान में जो प्रगति की है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं। अब हमारा लक्ष्य है कि हम मंगल, शुक्र और गहरे अंतरिक्ष की खोज में भी अग्रणी बनें।”

    • डॉ. अनुराधा टी.के., वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा:
      “इस तरह के आयोजनों से बच्चों में विज्ञान के प्रति जिज्ञासा जागती है। यही बच्चे आगे चलकर भारत को वैश्विक स्पेस पावर बनाएंगे।”

    युवाओं के लिए प्रेरणा

    इस आयोजन में युवाओं को विशेष रूप से प्रेरित करने पर जोर दिया गया।

    • कई छात्रों ने कहा कि वे आगे चलकर अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनना चाहते हैं।

    • कार्यक्रम के दौरान करियर काउंसलिंग सत्र भी आयोजित किए गए, जिसमें छात्रों को बताया गया कि अंतरिक्ष अनुसंधान में करियर बनाने के क्या-क्या अवसर हैं।

    भारत की हालिया अंतरिक्ष उपलब्धियाँ

    • चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग (भारत दक्षिण ध्रुव पर उतरने वाला पहला देश बना)।

    • आदित्य L1 मिशन – सूर्य के अध्ययन के लिए।

    • गगनयान मिशन – भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन।

    • 100+ सैटेलाइट लॉन्च कर अंतरिक्ष वाणिज्य में नई ऊंचाई हासिल की।

    इन उपलब्धियों ने भारत को वैश्विक स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी स्थान दिलाया है।

    चुनौतियाँ और भविष्य

    वैज्ञानिकों ने यह भी माना कि अंतरिक्ष क्षेत्र में अभी कई चुनौतियाँ हैं –

    • बजट और संसाधनों का बेहतर प्रबंधन।

    • अंतरिक्ष मलबा (Space Debris) से निपटना।

    • निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स को अधिक भागीदारी देना।

    भविष्य के लिए भारत का फोकस होगा:

    • अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना।

    • चंद्रमा और मंगल पर लंबी अवधि के मिशन।

    • अंतरिक्ष पर्यटन और अंतरिक्ष रक्षा तकनीक।

    आम जनता की भागीदारी

    जंतर-मंतर पर आम जनता के लिए भी कई स्टॉल लगाए गए।

    • लोग दूरबीन से आकाशीय पिंडों का अवलोकन कर रहे थे।

    • बच्चों के लिए स्पेस गेम्स और क्विज़ आयोजित किए गए।

    • इस आयोजन ने सामान्य नागरिकों में भी विज्ञान के प्रति उत्साह जगाया।

    राष्ट्रीय-अंतरिक्ष दिवस 2025 पर जंतर-मंतर का आयोजन विज्ञान और इतिहास का संगम साबित हुआ। एक ओर जहां इसने भारत की अंतरिक्ष उपलब्धियों की झलक दिखाई, वहीं दूसरी ओर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया।

    यह आयोजन साफ संकेत देता है कि भारत का भविष्य न सिर्फ धरती पर, बल्कि अंतरिक्ष में भी उज्ज्वल है।

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