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    त्रिपुरा सरकार का बड़ा ऐलान: 70 से अधिक सरकारी पद, पेंशन और सामाजिक सुरक्षा लाभों में वृद्धि

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    उत्तर-पूर्व भारत का छोटा लेकिन महत्वाकांक्षी राज्य त्रिपुरा इन दिनों सकारात्मक खबरों की सुर्खियों में है। मुख्यमंत्री माणिक साहा के नेतृत्व में राज्य सरकार ने सामाजिक सुरक्षा, प्रशासनिक क्षमता और कमजोर वर्गों के कल्याण के लिए कई बड़े फैसले लिए हैं। इसमें 70 से अधिक नए सरकारी पदों का सृजन, सामाजिक सुरक्षा पेंशन में उल्लेखनीय वृद्धि, अंतिम संस्कार व विवाह सहायता राशि बढ़ाना और महिलाओं के लिए विशेष योजनाओं का विस्तार शामिल है। ये पहल न केवल राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को बेहतर बनाने का प्रयास हैं, बल्कि प्रशासनिक ढाँचे को भी मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही हैं।

    नए सरकारी पदों का सृजन: रोजगार और कार्यकुशलता की ओर कदम

    त्रिपुरा सरकार ने इस बार प्रशासनिक ढाँचे को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दिया है।

    • 45 नए पदSenior Manager (Electrical) के लिए, जिन्हें त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (TSECL) में नियुक्त किया जाएगा। इन पदों से बिजली सेवाओं की गुणवत्ता और प्रबंधन क्षमता में सुधार की उम्मीद है।

    • 4 पदChild Development Project Officer (CDPO), जिन्हें सीधे भर्ती प्रक्रिया से Integrated Child Development Services (ICDS) में लिया जाएगा। ये पद बच्चों और महिलाओं के पोषण व विकास कार्यक्रमों की प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद करेंगे।

    • 25 पदLaw and Parliamentary Affairs Department में विभिन्न स्तरों पर, जो कानूनी कार्यों और विधान संबंधी कार्यकुशलता को और सुगम बनाएंगे।

    कुल मिलाकर यह भर्ती न केवल प्रशासन की क्षमता को मजबूत करेगी बल्कि राज्य में बेरोजगारी कम करने में भी मददगार साबित होगी।

    सामाजिक सुरक्षा पेंशन में ऐतिहासिक वृद्धि

    त्रिपुरा सरकार ने दिव्यांग नागरिकों के लिए एक बड़ा कदम उठाया है।

    • मुख्यमंत्री दिव्यांग पेंशन योजना के अंतर्गत 60% या उससे अधिक बुद्धिमत्ता विकलांगता वाले लोगों की पेंशन को ₹2,000 से बढ़ाकर ₹5,000 प्रति माह कर दिया गया है।

    • यह सुविधा उन्हीं लाभार्थियों को मिलेगी जिनके पास वैध दिव्यांगता प्रमाणपत्र होगा।

    इस फैसले से न केवल दिव्यांग व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी बल्कि उन्हें सम्मानजनक जीवन जीने में भी सहायता मिलेगी।

    अन्य योजनाओं के तहत लाभों का विस्तार

    1. मुख्यमंत्री अंतोदय श्रद्धांजलि योजना (Mukhyamantri Antodaya Sraddhanjali Yojana)

    अब अंत्योदय परिवारों को अंतिम संस्कार हेतु दी जाने वाली वित्तीय सहायता ₹2,000 से बढ़ाकर ₹10,000 कर दी गई है।
    ➡ यह कदम कमजोर आर्थिक स्थिति वाले परिवारों को बड़े स्तर पर राहत देगा।

    2. मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना (Mukhyamantri Kanya Vivah Yojana)

    अंत्योदय परिवारों की 18 वर्ष से अधिक आयु की बेटियों के विवाह के लिए ₹50,000 का अनुदान देने का निर्णय लिया गया है।
    ➡ इससे गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह में आने वाली आर्थिक बाधाएँ कम होंगी और महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।

    प्रशासनिक सुधार और सामाजिक असर

    इन पहलों का असर बहु-आयामी है—

    1. रोजगार और प्रशासनिक क्षमता

      • नए सरकारी पदों के जरिए विभागीय कार्यकुशलता बढ़ेगी।

      • युवा वर्ग को रोजगार के अवसर मिलेंगे।

    2. सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता

      • दिव्यांग पेंशन और अंत्यदय परिवारों की सहायता राशि बढ़ने से उनकी आर्थिक मुश्किलें कम होंगी।

      • अंतिम संस्कार और विवाह जैसी बुनियादी जरूरतों में मिलने वाला सहयोग सामाजिक गरिमा को बनाए रखने में मदद करेगा।

    3. महिला और युवाओं का सशक्तिकरण

      • विवाह अनुदान से गरीब परिवारों की बेटियों की स्थिति मजबूत होगी।

      • रोजगार सृजन से युवा वर्ग को अवसर मिलेंगे और राज्य में सकारात्मक माहौल बनेगा।

    विधानसभा सत्र और आगे की राह

    त्रिपुरा विधानसभा का अगला सत्र 19 सितंबर से शुरू हो रहा है। इस सत्र में इन फैसलों पर विस्तृत चर्चा और आवश्यक विधायी प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

    • Business Advisory Committee (BAC) की बैठक इन प्रस्तावों के क्रियान्वयन की समयसीमा तय करेगी।

    • मुख्यमंत्री माणिक साहा ने सोशल मीडिया पर इन कदमों को “राज्य के कल्याण और समावेशी विकास की दिशा में ऐतिहासिक पहल” बताया।

    आर्थिक और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

    इन नीतियों से राज्य में तीन मुख्य क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा—

    • वित्तीय राहत: कमजोर वर्गों और दिव्यांग नागरिकों को सीधी आर्थिक मदद।

    • रोजगार वृद्धि: 70 से अधिक पदों से बेरोजगार युवाओं को अवसर मिलेगा।

    • सामाजिक समावेश: महिला और अंत्यदय परिवारों को योजनाओं से जोड़कर उन्हें मुख्यधारा में लाना।

    यह भी कहा जा रहा है कि त्रिपुरा का यह मॉडल अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा बन सकता है, खासकर सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के विस्तार के संदर्भ में।

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