• Create News
  • Nominate Now

    भारत का बड़ा लक्ष्य: 2047 तक दुनिया के टॉप-5 खेल राष्ट्रों में शामिल होने की तैयारी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    भारत, जो आज दुनिया की सबसे तेज़ी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है, अब खेल के क्षेत्र में भी एक नई पहचान बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठा रहा है। केंद्रीय खेल मंत्री मंसुख मंडाविया ने अहमदाबाद में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान यह ऐलान किया कि भारत 2047 तक, यानी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने तक, विश्व के शीर्ष पाँच खेल राष्ट्रों में शामिल होने का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रहा है।

    यह घोषणा केवल एक सपना नहीं बल्कि देश के खेल बुनियादी ढांचे, खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और सरकारी नीतियों की दिशा में हो रहे लगातार प्रयासों का परिणाम है।

    खेल मंत्री का दृष्टिकोण

    कार्यक्रम में बोलते हुए मंसुख मंडाविया ने कहा कि भारत ने बीते एक दशक में खेलों में अभूतपूर्व प्रगति की है। ओलंपिक, कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियाई खेलों में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है।

    उन्होंने बताया कि सरकार खेलों को केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण और वैश्विक पहचान का साधन मानती है। इसी कारण से नए खेल अकादमियों, कोचिंग सुविधाओं और ग्रासरूट स्तर पर प्रतिभाओं को निखारने के लिए योजनाएं शुरू की गई हैं।

    2047 का लक्ष्य क्यों महत्वपूर्ण?

    2047 भारत की आज़ादी के 100 साल पूरे होने का प्रतीक है। इस वर्ष तक देश न केवल आर्थिक और तकनीकी रूप से सशक्त बनने का सपना देख रहा है, बल्कि खेलों के क्षेत्र में भी ग्लोबल पॉवर बनने की ओर अग्रसर है।

    आज की स्थिति में भारत कई खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है—

    • बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु, लक्ष्य सेन और किदांबी श्रीकांत जैसे खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं।

    • एथलेटिक्स में नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक गोल्ड जीतकर इतिहास रचा।

    • क्रिकेट तो पहले से ही भारत की सबसे बड़ी ताकत है।

    • हॉकी, कुश्ती, बॉक्सिंग और शूटिंग जैसे खेलों में भी भारत का जलवा बढ़ रहा है।

    2047 तक टॉप-5 खेल राष्ट्र बनने का लक्ष्य भारत की खेल शक्ति और खेल संस्कृति को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाला साबित हो सकता है।

    सरकार की रणनीतियाँ

    इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए केंद्र सरकार ने कई योजनाओं और नीतियों को गति दी है:

    1. खेलो इंडिया योजना

      • स्कूली और कॉलेज स्तर पर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान।

      • उन्हें उच्च स्तरीय प्रशिक्षण और वित्तीय सहयोग।

    2. खेल विज्ञान और तकनीक

      • आधुनिक खेल विज्ञान प्रयोगशालाओं की स्थापना।

      • खिलाड़ियों को फिटनेस, पोषण और मानसिक मजबूती के लिए विशेषज्ञ मदद।

    3. इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार

      • हर राज्य में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खेल स्टेडियम और अकादमियों का निर्माण।

      • ग्रामीण क्षेत्रों तक खेल सुविधाओं की पहुंच।

    4. महिला खिलाड़ियों को बढ़ावा

      • महिला खिलाड़ियों के लिए अलग योजनाएँ और सुरक्षित वातावरण।

      • ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में महिला सहभागिता बढ़ाना।

    अंतरराष्ट्रीय अनुभव से सीख

    भारत इस समय चीन, अमेरिका, रूस और जापान जैसे देशों से सीख ले रहा है जिन्होंने खेलों में मजबूत बुनियादी ढांचा और दीर्घकालीन योजनाओं के जरिए शीर्ष स्थान प्राप्त किया।

    उदाहरण के तौर पर, चीन ने 1980 के दशक से खेलों पर विशेष फोकस किया और आज ओलंपिक पदक तालिका में शीर्ष पर रहता है। भारत भी इसी तरह ग्रासरूट से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक एक मजबूत खेल संरचना तैयार कर रहा है।

    खिलाड़ियों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया

    भारत के कई खिलाड़ियों ने सरकार की इस घोषणा का स्वागत किया।

    • नीरज चोपड़ा ने कहा कि यह लक्ष्य पूरी तरह संभव है यदि खिलाड़ियों को निरंतर सहयोग और उच्च स्तरीय प्रशिक्षण मिले।

    • मेरी कॉम जैसी वरिष्ठ खिलाड़ी का मानना है कि महिला खिलाड़ियों पर ध्यान देने से भारत और तेज़ी से आगे बढ़ेगा।

    • खेल विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह लक्ष्य हासिल होता है, तो भारत खेल उद्योग में भी एक बड़ी ताकत बन सकता है।

    हालांकि यह लक्ष्य महत्वाकांक्षी और प्रेरणादायक है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी सामने हैं:

    • ग्रामीण और शहरी खेल सुविधाओं में असमानता।

    • कोचों और ट्रेनरों की कमी।

    • खिलाड़ियों के लिए वित्तीय और मानसिक सुरक्षा का अभाव।

    • खेलों में राजनीति और भ्रष्टाचार की समस्या।

    इन चुनौतियों से निपटना ही भारत के लिए असली परीक्षा होगी।

    भारत का 2047 तक दुनिया के टॉप-5 खेल राष्ट्र बनने का सपना केवल एक आकांक्षा नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प है। सरकार, खिलाड़ी और जनता अगर मिलकर इस दिशा में कार्य करें तो यह लक्ष्य पूरी तरह संभव है।

    यह लक्ष्य न सिर्फ भारत को खेलों में वैश्विक पहचान दिलाएगा बल्कि देश के युवाओं को भी प्रेरित करेगा कि वे खेल को केवल करियर नहीं बल्कि राष्ट्र निर्माण का साधन मानें।

    2047 में जब भारत अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब संभव है कि यह देश खेलों की दुनिया में भी नए स्वर्णिम अध्याय की शुरुआत कर चुका होगा।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    मुंबई समेत महाराष्ट्र में मॉनसून विदाई, अक्टूबर में फिर बढ़ सकती है गर्मी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में इस बार का मॉनसून धीरे-धीरे विदा ले रहा है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के…

    Continue reading
    पारंपरिक स्नेह और सम्मान: ममता बनर्जी ने अमिताभ बच्चन को जन्मदिन पर दी शुभकामनाएं

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को उनके जन्मदिन पर सोशल मीडिया के माध्यम…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *