




भारत के खेल परिदृश्य में जब क्रिकेट, हॉकी और बैडमिंटन जैसे खेल सुर्खियों में रहते हैं, वहीं एक ऐसा युवा खिलाड़ी है जिसने स्क्वैश जैसे अपेक्षाकृत कम चर्चित खेल को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। यह खिलाड़ी है—अभय सिंह, जिन्हें आज भारतीय स्क्वैश का नया मशालधारक कहा जा रहा है।
चेन्नई के रहने वाले अभय सिंह बचपन से ही खेलों में सक्रिय रहे हैं। उनकी रुचि शुरू से ही स्क्वैश की ओर रही और उन्होंने छोटी उम्र में ही प्रोफेशनल स्तर पर प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया था। खेल के प्रति समर्पण और मेहनत के बल पर अभय ने वह मुकाम हासिल किया है, जिसके चलते आज वे भारत के सबसे होनहार स्क्वैश खिलाड़ियों में गिने जाते हैं।
अभय सिंह ने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट्स में शानदार प्रदर्शन कर भारत का नाम रोशन किया है। हाल ही में उन्होंने एशियाई स्तर पर भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रचा।
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2023 एशियाई खेलों में अभय सिंह ने अपने दमदार प्रदर्शन से भारत को गोल्ड मेडल दिलाया।
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वे PSA (Professional Squash Association) टूर पर लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं।
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कई बार उन्होंने विश्व के टॉप रैंक खिलाड़ियों को कड़ी चुनौती दी है।
उनकी जीत केवल पदक तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भारत में स्क्वैश के भविष्य की दिशा भी तय कर रही है।
भारतीय स्क्वैश का बदलता परिदृश्य
अब तक भारत में स्क्वैश को वह लोकप्रियता नहीं मिल सकी थी, जिसकी यह हकदार है। लेकिन अभय सिंह जैसे खिलाड़ियों की वजह से अब तस्वीर बदल रही है।
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युवा खिलाड़ियों में स्क्वैश के प्रति रुचि बढ़ रही है।
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खेल मंत्रालय और निजी संगठनों द्वारा स्क्वैश अकादमियों और प्रशिक्षण केंद्रों की स्थापना की जा रही है।
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सोशल मीडिया और मीडिया कवरेज ने भी इस खेल को नई पहचान दी है।
अभय सिंह के करियर की कहानी ने हजारों युवाओं को प्रेरित किया है कि वे स्क्वैश को केवल फिटनेस का साधन न मानें, बल्कि इसे एक करियर विकल्प भी बनाएं।
प्रशिक्षण और संघर्ष की कहानी
अभय सिंह की सफलता रातों-रात नहीं मिली। उनके पीछे वर्षों की कड़ी मेहनत, संघर्ष और अनुशासन की कहानी छिपी है।
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वे रोज़ाना कई घंटों तक कोर्ट पर अभ्यास करते हैं।
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फिटनेस, डाइट और माइंडसेट पर लगातार काम करते हैं।
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अपने कोच और टीम के सहयोग से वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने योग्य बने।
उनकी यह मेहनत आज रंग ला रही है, और वे भारत के सबसे भरोसेमंद स्क्वैश खिलाड़ी के रूप में उभर रहे हैं।
युवा खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा
अभय सिंह का करियर केवल उनकी व्यक्तिगत उपलब्धियों की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन तमाम युवाओं की भी कहानी है जो छोटे शहरों या बड़े महानगरों से निकलकर अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं।
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वे दिखाते हैं कि अनुशासन और समर्पण से किसी भी खेल में अंतरराष्ट्रीय पहचान हासिल की जा सकती है।
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उन्होंने यह साबित किया है कि क्रिकेट से परे भी भारत के पास ऐसे खेल हैं जिनमें विश्व पटल पर चमकने की पूरी क्षमता है।
सरकार और खेल संस्थाओं का समर्थन
हाल के वर्षों में भारतीय स्क्वैश को भी सरकार और विभिन्न खेल संस्थाओं से समर्थन मिल रहा है।
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खेलो इंडिया योजना के तहत स्क्वैश को विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
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निजी कॉरपोरेट और स्पॉन्सर्स अब स्क्वैश खिलाड़ियों में निवेश करने लगे हैं।
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अभय सिंह जैसे खिलाड़ी इस समर्थन का पूरा लाभ उठाकर भारत को गौरवान्वित कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान
आज अभय सिंह का नाम विश्व स्क्वैश जगत में एक उभरते हुए स्टार के रूप में लिया जा रहा है।
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उनकी खेल रणनीति, गति और फिटनेस उन्हें अन्य खिलाड़ियों से अलग बनाती है।
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वे आने वाले वर्षों में वर्ल्ड नंबर वन बनने की क्षमता रखते हैं।
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विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर उनकी यही लय बरकरार रही तो वे भारत के पहले स्क्वैश विश्व चैंपियन भी बन सकते हैं।
अभय सिंह की यात्रा भारतीय खेल जगत के लिए एक नया अध्याय खोल रही है। वे न केवल पदक जीत रहे हैं, बल्कि पूरे देश के युवाओं को यह संदेश भी दे रहे हैं कि समर्पण और मेहनत से किसी भी क्षेत्र में असंभव को संभव बनाया जा सकता है।