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    राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2025 में महाराष्ट्र का दबदबा — तीन शिक्षकों को मिला राष्ट्रीय सम्मान

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    शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों को हर साल भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2025 के इस विशेष सम्मान समारोह में महाराष्ट्र ने एक बार फिर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। राज्य के तीन शिक्षकों — शेख मोहम्मद तक़ीउद्दीन शेख हमीदउद्दीन (औरंगाबाद), संदीपन जगदाळे (उस्मानाबाद) और सोनिया कपूर (मुंबई) को यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला है।

    यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि महाराष्ट्र की शिक्षा व्यवस्था और यहां के नवाचारपूर्ण शैक्षणिक वातावरण का भी प्रमाण है।

    महाराष्ट्र के तीन शिक्षक, तीन प्रेरक कहानियां

    1. शेख मोहम्मद तक़ीउद्दीन शेख हमीदउद्दीन (औरंगाबाद)

    औरंगाबाद जिले के एक सरकारी स्कूल में कार्यरत शेख मोहम्मद तक़ीउद्दीन ने वर्षों से ग्रामीण शिक्षा के स्तर को उठाने के लिए काम किया है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने बच्चों को डिजिटल शिक्षा से जोड़ा और स्थानीय स्तर पर ई-लर्निंग मॉडल तैयार किया।

    उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि यह रही कि उन्होंने स्कूल छोड़ चुके कई किशोरों को पुनः शिक्षा प्रणाली से जोड़कर उनका भविष्य संवारने में अहम भूमिका निभाई।

    2. संदीपन जगदाळे (उस्मानाबाद)

    मराठवाड़ा क्षेत्र के उस्मानाबाद से आने वाले संदीपन जगदाळे ने विज्ञान शिक्षा को रोचक और जीवन से जुड़ा बनाने की दिशा में काम किया। वे अपने विद्यालय में बच्चों को हैंड्स-ऑन प्रयोग कराते हैं ताकि विज्ञान केवल किताबों तक सीमित न रह जाए।

    उनकी पहल से सैकड़ों छात्रों ने राज्यस्तरीय और राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञान प्रदर्शनी में पुरस्कार जीते।

    3. सोनिया कपूर (मुंबई)

    महानगरी मुंबई से आने वाली सोनिया कपूर ने विशेष रूप से बालिका शिक्षा और लैंगिक समानता के लिए काम किया है। उन्होंने वंचित तबके की लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने और उन्हें STEM शिक्षा (विज्ञान, तकनीक, इंजीनियरिंग और गणित) में आगे बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए।

    उनकी पहल से कई छात्राओं ने इंजीनियरिंग और मेडिकल के क्षेत्र में सफलता हासिल की है।

    राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार की महत्ता

    राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार शिक्षा क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान माना जाता है। हर साल देशभर से चुने गए श्रेष्ठ शिक्षकों को यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है। चयन प्रक्रिया बेहद पारदर्शी होती है और इसमें शिक्षण पद्धति, नवाचार, छात्रों पर प्रभाव और समाज में योगदान जैसे पहलुओं पर विचार किया जाता है।

    प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति स्वयं इस समारोह में शामिल होकर शिक्षकों को सम्मानित करते हैं। इस साल भी शिक्षक दिवस (5 सितंबर) के अवसर पर आयोजित समारोह में इन तीनों शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।

    महाराष्ट्र का गौरव

    महाराष्ट्र लंबे समय से शिक्षा और सामाजिक सुधारों में अग्रणी राज्य रहा है। महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले जैसे समाज सुधारकों ने यहां शिक्षा का मजबूत आधार खड़ा किया। आज जब महाराष्ट्र के तीन शिक्षक राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हो रहे हैं, तो यह परंपरा और भी जीवंत होती दिखाई देती है।

    इस उपलब्धि ने न केवल राज्य, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल पेश की है।

    शिक्षा में नवाचार की जरूरत

    महाराष्ट्र के इन तीन शिक्षकों की कहानियां यह बताती हैं कि शिक्षा में नवाचार कितना जरूरी है। डिजिटल उपकरणों का इस्तेमाल, विज्ञान प्रयोगशालाओं का विस्तार और लड़कियों को शिक्षा से जोड़ना ही आने वाले समय में भारत को ज्ञान महाशक्ति बनाएगा।

    सरकार और समाज दोनों को मिलकर ऐसे शिक्षकों का सम्मान करना और उनकी कार्यप्रणाली को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि और भी बच्चे लाभान्वित हो सकें।

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