




केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री अजय ताम्टा ने 15 सितंबर 2025 को घोषणा की कि हिमाचल प्रदेश के कुल्लू और मनाली के बीच स्थित कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग 20 सितंबर तक यातायात के लिए अस्थायी रूप से खोल दिया जाएगा। यह मार्ग हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण क्षतिग्रस्त हो गया था, जिससे मनाली और अन्य क्षेत्रों से संपर्क टूट गया था।
अजय ताम्टा ने बताया कि इस मार्ग की मरम्मत के लिए 200 से अधिक मशीनें काम कर रही हैं। उन्होंने कहा, “यह मार्ग क्षेत्र की जीवनरेखा है, और इसे जल्द से जल्द यातायात के लिए खोलना हमारी प्राथमिकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस मार्ग की स्थायी मरम्मत के लिए ₹657 करोड़ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की है।
हाल ही में आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण कुल्लू और मंडी जिलों में राष्ट्रीय राजमार्ग 21 के 52 किलोमीटर और राज्य मार्गों के 102 किलोमीटर हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए थे। अजय ताम्टा ने कहा कि ब्यास नदी में मलबा और मृदा के जमाव के कारण भी मार्ग को नुकसान पहुँचा है। उन्होंने सुझाव दिया कि उत्तराखंड की तरह हिमाचल प्रदेश में भी नदियों के तलछट और प्रवाह मार्ग सुधार के लिए नीति बनाई जाए।
हालांकि मार्ग की मरम्मत कार्य जारी है, कुछ स्थानों पर अस्थायी यातायात व्यवस्था की गई है। NHAI ने रेसन, 17 माइल, कालथ, और आलू ग्राउंड पर अस्थायी यातायात बहाली की है। बिंदु धंक क्षेत्र में मरम्मत कार्य जारी है, और यातायात को बाएं किनारे के लिंक रोड के माध्यम से डायवर्ट किया गया है।
अजय ताम्टा ने बताया कि NHAI ने ब्यास नदी में मलबा और मृदा के जमाव की समस्या को हल करने के लिए स्थायी उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है। इसके लिए नदियों के प्रवाह मार्ग सुधार, नदी तलछट की सफाई, और अन्य उपायों पर चर्चा की जा रही है। उन्होंने कहा, “हम उत्तराखंड की नीतियों का अध्ययन करेंगे और हिमाचल प्रदेश में भी ऐसी नीतियाँ लागू करने की योजना बनाएंगे।”
केंद्रीय मंत्री अजय ताम्टा की इस घोषणा से यह स्पष्ट है कि सरकार कीरतपुर-मनाली राष्ट्रीय राजमार्ग की मरम्मत और यातायात बहाली को अपनी प्राथमिकता मानती है। हालांकि अस्थायी यातायात व्यवस्था से कुछ राहत मिली है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक योजनाओं की आवश्यकता है। ब्यास नदी में मलबा और मृदा के जमाव की समस्या को हल करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि भविष्य में इस तरह की आपदाओं से बचा जा सके।