




भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर एक अहम बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि हमें एआई को पूरी तरह खुला छोड़ने के बजाय उसे लगाम में रखना होगा, ताकि उसका इस्तेमाल आम भलाई और मानव समाज के हित में किया जा सके।
🔹 एआई के फायदे और खतरे दोनों मौजूद
सीतारमण ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से हमारे जीवन और कामकाज का हिस्सा बन रहा है।
-
स्वास्थ्य सेवा से लेकर शिक्षा, बैंकिंग, कृषि और रक्षा तक, हर क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल बढ़ रहा है।
-
लेकिन इसके साथ ही डेटा प्राइवेसी, साइबर सुरक्षा और रोजगार पर असर जैसे गंभीर खतरे भी सामने आ रहे हैं।
उन्होंने जोर देकर कहा कि तकनीक का इस्तेमाल तभी सकारात्मक है जब वह मानव जीवन को बेहतर बनाए। यदि इसे बिना नियंत्रण के फैलने दिया गया तो यह समाज में असमानता और अव्यवस्था पैदा कर सकता है।
🔹 क्यों जरूरी है नियंत्रण?
वित्त मंत्री के अनुसार, एआई इंसानों से सीखता है और उसी डेटा पर काम करता है जो हम उसे उपलब्ध कराते हैं। यदि यह डेटा पक्षपाती या गलत है, तो नतीजे भी समाज के लिए नुकसानदायक होंगे।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि:
-
गलत जानकारी पर आधारित एआई फेक न्यूज़ और प्रोपेगेंडा फैला सकता है।
-
एआई आधारित भर्ती सिस्टम रोजगार में भेदभाव को बढ़ा सकते हैं।
-
बिना सुरक्षा उपायों के, एआई का इस्तेमाल साइबर हमलों और डीपफेक तकनीक के जरिए गलत हाथों में जा सकता है।
🔹 भारत की तैयारी और नीति
सीतारमण ने कहा कि भारत सरकार एआई को लेकर नीतियों और रेगुलेटरी फ्रेमवर्क पर काम कर रही है।
-
डिजिटल इंडिया मिशन के तहत एआई का इस्तेमाल प्रशासन और आम सेवाओं को पारदर्शी बनाने के लिए किया जा रहा है।
-
सरकार एआई रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा दे रही है, लेकिन साथ ही सुरक्षा और नैतिकता के पहलुओं को भी ध्यान में रखा जा रहा है।
🔹 ग्लोबल परिप्रेक्ष्य
सीतारमण ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सहयोग की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि एआई की चुनौतियाँ सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं हैं।
-
यदि साइबर अपराधी एआई का दुरुपयोग करते हैं, तो इसका असर पूरी दुनिया पर पड़ सकता है।
-
इसलिए वैश्विक सहयोग और नियम बनाना जरूरी है, ताकि सभी देश मिलकर एआई के इस्तेमाल को सुरक्षित और मानव-केंद्रित बना सकें।
🔹 टेक्नोलॉजी और मानवता का संतुलन
वित्त मंत्री ने जोर देकर कहा कि मानव बुद्धि और नैतिक मूल्यों को हमेशा एआई पर प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
उन्होंने कहा:
“टेक्नोलॉजी का उद्देश्य इंसान को बदलना नहीं बल्कि उसकी क्षमता को बढ़ाना होना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि एआई इंसान के अधीन रहे, न कि इंसान एआई के अधीन।”
🔹 विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
टेक उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों ने सीतारमण के बयान का स्वागत किया है। उनका मानना है कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश में एआई को लेकर संतुलित दृष्टिकोण अपनाना बेहद जरूरी है।
-
स्टार्टअप्स के लिए अवसर पैदा करने के साथ ही सख्त डेटा सुरक्षा कानून जरूरी हैं।
-
एआई के उपयोग के लिए एथिकल गाइडलाइन्स और निगरानी तंत्र स्थापित होना चाहिए।
निर्मला सीतारमण का यह बयान स्पष्ट करता है कि भारत सरकार एआई के महत्व को समझते हुए उसे पूरी तरह नियंत्रण में रखना चाहती है। एआई को अगर सही दिशा में इस्तेमाल किया जाए तो यह विकास का सबसे बड़ा साधन बन सकता है, लेकिन यदि इसे बिना नियंत्रण के छोड़ दिया गया तो इसके गंभीर दुष्परिणाम हो सकते हैं।
आम भलाई के लिए एआई को “लगाम में रखना” ही आने वाले समय की सबसे बड़ी चुनौती और जिम्मेदारी होगी।