




भारत की रक्षा क्षमताओं में एक और बड़ा कदम जुड़ चुका है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा तैयार किया गया तेजस मार्क-1ए अब पूरी तरह से भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल होने के लिए तैयार है। इसे ‘स्वदेशी राफेल’ की उपाधि दी जा रही है क्योंकि यह विमान न केवल अत्याधुनिक तकनीक से लैस है बल्कि दुश्मन देशों को जवाब देने की पूरी क्षमता रखता है।
🔹 तेजस मार्क-1ए: एक नई पहचान
तेजस के इस अपग्रेडेड वर्ज़न में आधुनिक अवियोनिक्स, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम, एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग, और अत्याधुनिक हथियार प्रणाली शामिल है। यह विमान हल्का, फुर्तीला और तकनीकी रूप से पूरी तरह स्वदेशी है।
रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस मार्क-1ए अब भारतीय वायुसेना की रीढ़ साबित होगा और इसे छोटे राफेल की तरह देखा जा सकता है।
🔹 क्यों कहा जा रहा है ‘स्वदेशी राफेल’?
राफेल फ्रांस का आधुनिक लड़ाकू विमान है, जिसे भारत ने हाल ही में अपनी वायुसेना में शामिल किया है। लेकिन तेजस मार्क-1ए पूरी तरह ‘मेक इन इंडिया’ प्रोजेक्ट है, जिसकी तकनीक, निर्माण और डिज़ाइन भारत के ही इंजीनियरों और वैज्ञानिकों ने विकसित की है।
इसमें Beyond Visual Range (BVR) मिसाइल, Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार और डिजिटल कॉकपिट जैसी विशेषताएँ मौजूद हैं। ये फीचर्स इसे किसी भी आधुनिक एयरक्राफ्ट के बराबर खड़ा करते हैं।
🔹 वायुसेना की ज़रूरतें और तेजस की भूमिका
भारतीय वायुसेना लंबे समय से MiG-21 जैसे पुराने विमानों को बदलने की योजना पर काम कर रही है। तेजस मार्क-1ए इन पुराने फाइटर जेट्स की जगह लेगा और 2025 के बाद यह वायुसेना की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ को तेजी से बढ़ाएगा।
इसके हल्के वजन और अत्याधुनिक हथियार सिस्टम की वजह से यह बॉर्डर पर तैनाती और तेज़ मिशनों के लिए सबसे बेहतर विकल्प साबित होगा।
🔹 अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संदेश
तेजस मार्क-1ए का उत्पादन और इंडक्शन केवल वायुसेना को ही मजबूती नहीं देगा, बल्कि यह वैश्विक स्तर पर भी भारत की डिफेंस इंडस्ट्री की आत्मनिर्भरता को दिखाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भारत तेजस को अन्य देशों को निर्यात भी कर सकता है, जिससे रक्षा क्षेत्र में भारत की पकड़ और मजबूत होगी।
🔹 रक्षा बजट और भविष्य की रणनीति
तेजस मार्क-1ए का निर्माण देश के रक्षा बजट को भी संतुलित करता है क्योंकि विदेशी लड़ाकू विमानों की तुलना में इसकी लागत बहुत कम है। जहाँ एक राफेल की कीमत लगभग 1,500 करोड़ रुपये तक पहुँचती है, वहीं तेजस मार्क-1ए उससे कई गुना सस्ता है।
इससे भारत अपनी ‘Atmanirbhar Bharat’ रणनीति को और मजबूती देगा और आयात पर निर्भरता कम करेगा।
तेजस मार्क-1ए को ‘स्वदेशी राफेल’ कहना गलत नहीं होगा। आने वाले वर्षों में यह विमान भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन कमी को दूर करेगा, पुरानी फ्लीट की जगह लेगा और भारत की हवाई ताकत को नए मुकाम पर ले जाएगा। यह सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं बल्कि भारत की तकनीकी क्षमता, आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिष्ठा का प्रतीक है।