




महाराष्ट्र का नाशिक ज़िला एक बार फिर किसानों के आंदोलन का गवाह बना, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) यानी NCP (SP) ने सोमवार को ज़बरदस्त ‘अक्रोश मार्च’ निकाला। इस मार्च का मुख्य उद्देश्य राज्य सरकार की कथित किसान विरोधी नीतियों और किसानों की समस्याओं पर हो रही उपेक्षा का विरोध करना था।
मार्च में शामिल नेताओं और किसानों ने जोर देकर कहा कि महाराष्ट्र का किसान इस समय गहरे संकट से जूझ रहा है।
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अत्यधिक बारिश और फसल बर्बादी ने किसानों की आर्थिक हालत बिगाड़ दी है।
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कर्जमाफी की तत्काल घोषणा की जाए ताकि किसान आत्महत्या जैसे कदम उठाने से बच सकें।
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प्याज और गन्ना जैसे प्रमुख कृषि उत्पादों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीदा जाए।
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बिजली बिल में राहत और फसल बीमा राशि समय पर दी जाए।
किसानों ने सरकार से यह भी कहा कि प्राकृतिक आपदाओं की वजह से नुकसान की भरपाई के लिए विशेष पैकेज की घोषणा तुरंत की जाए।
नाशिक के मुख्य मार्गों से होते हुए निकले इस अक्रोश मार्च में बड़ी संख्या में किसान, महिला किसान और ग्रामीण शामिल हुए।
मार्च के दौरान सरकार विरोधी नारे लगाए गए और किसानों ने अपने गुस्से का इज़हार किया। पार्टी नेताओं ने कहा कि यदि किसानों की समस्याओं का समाधान जल्द नहीं हुआ तो आंदोलन को और बड़ा किया जाएगा।
मार्च की अगुवाई करते हुए NCP (SP) के वरिष्ठ नेताओं ने सरकार पर तीखे हमले किए।
उन्होंने कहा कि
“किसान दिन-रात मेहनत करता है लेकिन उसका पसीना सरकार की नीतियों की वजह से बेकार जा रहा है। बिजली, बीज, खाद और पानी की समस्या लगातार बनी हुई है, ऊपर से बाज़ार में उपज का उचित दाम भी नहीं मिल रहा।”
पार्टी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार किसानों के साथ वोट बैंक की राजनीति कर रही है लेकिन जमीनी स्तर पर ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे।
NCP (SP) ने विशेष रूप से प्याज किसानों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया। नाशिक और आसपास के क्षेत्रों में प्याज उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, लेकिन किसानों को लागत के मुकाबले बहुत कम दाम मिल रहे हैं।
इसी तरह गन्ना उत्पादक किसान भी परेशान हैं क्योंकि चीनी मिलों द्वारा समय पर भुगतान नहीं किया जा रहा।
किसानों ने कहा कि सरकार के ‘विकास’ के दावों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों की सच्चाई यह है कि किसान आज भी आर्थिक संकट, सूखा और प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है।
मार्च में केवल किसान ही नहीं, बल्कि मजदूर संगठन, महिला मंडल और छात्र संघ भी शामिल हुए। इसने साबित कर दिया कि किसानों का दर्द समाज के हर वर्ग तक पहुंच चुका है।
ग्रामीण इलाकों से आए किसानों ने कहा कि उन्होंने कई बार तहसील और जिला स्तर पर ज्ञापन दिए लेकिन उनकी समस्याओं का कोई ठोस हल नहीं निकला। अब मजबूरी में उन्हें सड़क पर उतरना पड़ रहा है।
मार्च के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया गया। जगह-जगह बैरिकेड्स लगाए गए और ट्रैफिक डायवर्जन किया गया।
हालांकि आंदोलन शांतिपूर्ण रहा और किसी भी तरह की अप्रिय घटना की खबर नहीं मिली।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस अक्रोश मार्च का असर केवल नाशिक तक सीमित नहीं रहेगा।
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यह आंदोलन आने वाले चुनावों में किसानों की भूमिका को और अधिक अहम बना सकता है।
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NCP (SP) खुद को किसानों की आवाज़ के रूप में स्थापित करना चाहती है।
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सरकार पर दबाव बढ़ेगा कि वह कृषि क्षेत्र के लिए ठोस और त्वरित कदम उठाए।
मार्च के अंत में किसानों और पार्टी नेताओं ने ऐलान किया कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा। इसमें सड़क जाम, रेल रोको और विधानसभा घेराव जैसे बड़े कदम भी शामिल हो सकते हैं।
नाशिक का यह अक्रोश मार्च महाराष्ट्र की राजनीति में किसान मुद्दों की अहमियत को फिर से रेखांकित करता है।
NCP (SP) ने इस मार्च के जरिए न सिर्फ़ किसानों की समस्याओं को आवाज़ दी बल्कि यह भी स्पष्ट किया कि अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो आने वाले समय में आंदोलन का दायरा और बढ़ेगा।