




चंडीगढ़। पंजाब में हाल ही में आई बाढ़ ने राज्य के कई जिलों को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। लोगों को जहां राहत सामग्री और आश्रय की आवश्यकता है, वहीं स्वास्थ्य सेवाएं भी एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पंजाब सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में विशेष स्वास्थ्य शिविर लगाने की पहल की है।
पहले ही दिन इन शिविरों में 51,000 से ज्यादा लोगों ने अपनी जांच कराई और चिकित्सा सेवाओं का लाभ उठाया। सरकार का दावा है कि यह अभियान आने वाले दिनों तक लगातार चलेगा और अधिक से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई जाएंगी।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, शिविर विशेष रूप से उन जिलों में लगाए गए हैं जो बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इनमें शामिल हैं फतेहगढ़ साहिब, लुधियाना, जालंधर, होशियारपुर, कपूरथला, पटियाला, रूपनगर
इन जिलों में बाढ़ के कारण पानी भरने, गंदगी और मच्छरों के प्रकोप से लोगों में जलजनित और संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
स्वास्थ्य शिविरों में सामान्य रोगों की जांच से लेकर गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था की गई है।
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मुफ्त स्वास्थ्य जांच – बुखार, खांसी, दस्त, त्वचा रोग, आंख और कान से जुड़ी समस्याएं।
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टीकाकरण – बच्चों और गर्भवती महिलाओं को प्राथमिकता।
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दवाओं का वितरण – आवश्यक दवाएं और विटामिन सप्लीमेंट मुफ्त।
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विशेष जांच – डेंगू, मलेरिया और टायफाइड जैसे संक्रमणों के टेस्ट।
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मानसिक स्वास्थ्य परामर्श – बाढ़ से प्रभावित लोगों को तनाव और अवसाद से निपटने के लिए काउंसलिंग।
पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “राज्य सरकार का पहला लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित न रह जाए। बाढ़ प्रभावित गांवों में मेडिकल टीम लगातार कैंप लगा रही है और जरूरतमंदों तक पहुंच रही है।”
उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य कर्मियों की 500 से ज्यादा टीमें फील्ड में सक्रिय हैं और रोजाना आंकड़ों की समीक्षा की जा रही है।
बाढ़ प्रभावित लोगों ने सरकार की इस पहल का स्वागत किया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “बाढ़ के कारण घर उजड़ गए, लेकिन बीमारी का डर और भी बड़ा था। सरकार ने शिविर लगाकर बड़ी राहत दी है।”
वहीं, कुछ लोगों ने यह भी कहा कि दवाओं की पर्याप्त आपूर्ति और शिविरों की संख्या और बढ़ाई जानी चाहिए ताकि सभी तक आसानी से स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें।
जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि बाढ़ के बाद बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। दूषित पानी से डायरिया और हैजा जैसे रोग फैल सकते हैं। गंदगी और मच्छरों से डेंगू और मलेरिया का खतरा बढ़ता है। मानसिक तनाव और बेघर होने के कारण मानसिक बीमारियों की संभावना भी बढ़ती है।
इसलिए, सरकार द्वारा स्वास्थ्य शिविरों की शुरुआत को समय रहते उठाया गया सकारात्मक कदम बताया जा रहा है।
स्वास्थ्य शिविरों के अलावा, राज्य सरकार ने अन्य विभागों को भी राहत कार्यों में शामिल किया है।
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पंचायती राज और स्थानीय निकाय विभाग बाढ़ प्रभावित गांवों में सफाई अभियान चला रहे हैं।
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राजस्व विभाग ने क्षति का आकलन शुरू कर दिया है।
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NGO और स्वयंसेवी संगठन भी स्वास्थ्य शिविरों में सहयोग कर रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि आने वाले दिनों में शिविरों की संख्या और बढ़ाई जाएगी। विशेष मोबाइल स्वास्थ्य वैन भी तैनात की जाएंगी ताकि दूरदराज के गांवों तक आसानी से स्वास्थ्य सेवाएं पहुंच सकें।
सरकार का लक्ष्य है कि अगले एक सप्ताह में 5 लाख से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य जांच और दवाओं का लाभ पहुंचाया जाए।
पंजाब सरकार द्वारा बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिविरों की शुरुआत आपदा प्रबंधन और जनकल्याण की दिशा में एक बड़ी पहल है। पहले ही दिन 51,000 से ज्यादा लोगों की जांच होना इस बात का प्रमाण है कि जनता को इसकी कितनी आवश्यकता थी।