




उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में मानवता का एक दिल छू लेने वाला उदाहरण सामने आया। जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने अपनी जनसुनवाई के दौरान एक पिता की व्यथा सुनी और बेटे के इलाज के लिए तत्काल मदद प्रदान की।
यह घटना इस बात की याद दिलाती है कि प्रशासन न केवल नियम और कागजी कार्रवाई तक सीमित नहीं है, बल्कि समय पर मानवता का परिचय देकर लोगों के जीवन में बदलाव ला सकता है।
जनसुनवाई के दौरान एक पिता सामने आया। उसकी आंखों में चिंता और हृदय में पीड़ा साफ झलक रही थी। पिता का बेटा गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। आर्थिक तंगी के कारण उसे बेटे का इलाज करवाने में मुश्किल हो रही थी। उसने जिलाधिकारी से सहायता की गुहार लगाई, उम्मीद की कि प्रशासन उसकी मदद करेगा। पिता की आंसू भरी आंखों और गहरी व्यथा ने उपस्थित सभी लोगों का दिल पिघला दिया।
जिलाधिकारी हर्षिता माथुर ने पिता की समस्या सुनते ही तुरंत कार्रवाई की। उन्होंने रेड क्रॉस सोसाइटी से ₹15,000 की तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान करने का आदेश दिया। इस मदद से पिता अपने बेटे का इलाज तुरंत शुरू कर सके। डीएम ने पिता को आश्वस्त किया कि प्रशासन हर संभव मदद के लिए तत्पर है। मौके पर मौजूद लोग डीएम के इस कदम को मानवता और संवेदनशील प्रशासन की मिसाल बता रहे थे।
डीएम हर्षिता माथुर की यह पहल जनसुनवाई की वास्तविक भावना को दर्शाती है। जनसुनवाई केवल शिकायत सुनने तक सीमित नहीं रहनी चाहिए। जरूरतमंदों को तुरंत समाधान और राहत प्रदान करना प्रशासन की जिम्मेदारी है। रायबरेली में यह कदम यह साबित करता है कि प्रशासन ने लोगों के प्रति सहानुभूति और संवेदनशीलता को प्राथमिकता दी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे कदम लोगों के बीच प्रशासन के प्रति विश्वास और भरोसा बढ़ाते हैं।
बेटे के इलाज के लिए मिली आर्थिक मदद से पिता और परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पिता ने कहा कि डीएम के सहयोग से उनका बेटा समय पर इलाज शुरू कर पाया। परिवार ने जिलाधिकारी का धन्यवाद किया और कहा कि प्रशासन की इस संवेदनशीलता ने उनके जीवन में उम्मीद जगाई। समाज में ऐसे कदम अन्य जरूरतमंदों के लिए प्रेरणा का काम करते हैं।
इस घटना में रेड क्रॉस सोसाइटी की मदद भी अहम रही। सोसाइटी ने तुरंत आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई। अस्पताल और इलाज की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में मदद की। यह उदाहरण दर्शाता है कि प्रशासन और सामाजिक संस्थाओं का सहयोग संकट के समय लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित हो सकता है।
जनसुनवाई केवल नियमों और शिकायतों का मंच नहीं है। यह प्रशासन और जनता के बीच विश्वास और संवाद का पुल है। जरूरतमंदों की समस्याओं को तुरंत हल करने से प्रशासन की छवि मजबूत होती है। जनता को लगता है कि उनके अधिकारी संवेदनशील और मददगार हैं। रायबरेली की यह घटना दूसरे जिलों के लिए प्रेरणा है।
हर्षिता माथुर की इस पहल ने यह स्पष्ट किया कि सच्ची मानवता और संवेदनशील प्रशासन का मिलन संभव है। पिता के आंसू और परिवार की खुशी ने साबित कर दिया कि छोटे कदम भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। प्रशासनिक कदमों में संवेदनशीलता को जोड़ना न केवल न्यायसंगत है, बल्कि समाज में सकारात्मक संदेश फैलाता है।
रायबरेली की डीएम हर्षिता माथुर ने पिता की व्यथा सुनकर और बेटे के इलाज के लिए तुरंत ₹15,000 की मदद देकर मानवता और संवेदनशील प्रशासन का जीवंत उदाहरण पेश किया है।