




वरिष्ठ अभिनेता और राजनीति के चर्चित चेहरे शत्रुघ्न सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके जन्मदिन पर शुभकामनाएँ दीं। सोशल मीडिया पर साझा की गई इस बधाई ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। कई जानकार इसे उनकी भाजपा में संभावित वापसी का संकेत मान रहे हैं।
शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर पीएम मोदी को जन्मदिन की शुभकामनाएँ देते हुए लिखा – “आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएँ। ईश्वर आपको दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।”
इस मैसेज ने केवल शुभकामना भर से कहीं अधिक सियासी संकेतों को जन्म दिया है।
गौरतलब है कि शत्रुघ्न सिन्हा लंबे समय तक भाजपा के प्रमुख चेहरों में से रहे। पटना साहिब से सांसद रहते हुए उन्होंने पार्टी की नीतियों की आलोचना भी की और अंततः भाजपा से अलग हो गए। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े।
हालाँकि, कांग्रेस में उन्हें वैसा राजनीतिक स्थान और मजबूती नहीं मिल सकी, जैसा भाजपा में था।
उनकी इस बधाई को राजनीतिक विशेषज्ञ भाजपा से बढ़ते तालमेल का इशारा मान रहे हैं। आने वाले समय में बिहार और झारखंड की राजनीति में भाजपा की सक्रियता बढ़ने वाली है। ऐसे में शत्रुघ्न सिन्हा का साथ पार्टी के लिए रणनीतिक रूप से अहम हो सकता है।
भाजपा समर्थकों के बीच यह चर्चा जोर पकड़ रही है कि क्या “बिहारी बाबू” फिर से पार्टी के साथ खड़े होंगे? वहीं, विपक्षी दल इस कदम को लेकर चुटकी ले रहे हैं और इसे “सिर्फ शिष्टाचार” बता रहे हैं।
सोशल मीडिया पर शत्रुघ्न सिन्हा की पोस्ट पर मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग इसे वापसी की आहट मान रहे हैं, तो कुछ ने इसे केवल राजनीतिक शिष्टाचार करार दिया।
एक यूजर ने लिखा – “भाजपा और बिहारी बाबू की जोड़ी एक बार फिर दिखाई दे सकती है।” जबकि दूसरे ने कहा – “यह केवल एक सामान्य बधाई संदेश है, इसे राजनीति से जोड़ना सही नहीं।”
शत्रुघ्न सिन्हा का भाजपा से संबंध केवल राजनीतिक ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरा रहा है। वे भाजपा के दिग्गज नेताओं के करीबी माने जाते रहे हैं। ऐसे में उनकी ओर से पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई देना एक संभावित राजनीतिक समीकरण की ओर इशारा कर रहा है।
शत्रुघ्न सिन्हा की यह शुभकामना संदेश मात्र शिष्टाचार है या भाजपा में उनके दोबारा लौटने का संकेत – यह आने वाला समय ही बताएगा। लेकिन इतना तय है कि इस कदम ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है।
बिहार की सियासत में उनकी भूमिका हमेशा अहम रही है, और यदि सचमुच उनकी भाजपा में वापसी होती है, तो 2025 के विधानसभा चुनावों और 2029 के आम चुनावों में इसका असर ज़रूर देखने को मिल सकता है।