




महाराष्ट्र सरकार ने जेल से छुट्टी (furlough/parole) लेने वाले बंदियों के समय पर वापस न लौटने की घटनाओं को रोकने के लिए नई सख्त गाइडलाइंस जारी की हैं। गृह विभाग ने यह कदम हाल के मामलों और उच्च न्यायालय के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए उठाया है।
नई गाइडलाइंस का उद्देश्य जेल प्रशासन को स्पष्ट दिशा देना है कि छुट्टी लेने वाले बंदियों की वापसी सुनिश्चित हो और नियमों का उल्लंघन रोकने के लिए कठोर कार्रवाई की जा सके।
नई गाइडलाइंस के मुख्य बिंदु
-
समय पर वापसी अनिवार्य:
जेल से छुट्टी लेने वाले बंदियों को निर्धारित समय पर वापस लौटना अनिवार्य होगा। अगर कोई बंदी तय समय पर लौटता नहीं है, तो जेल प्रशासन तुरंत कार्रवाई करेगा। -
जांच और रिपोर्टिंग:
जेल अधीक्षक या संबंधित अधिकारी को यह सुनिश्चित करना होगा कि छुट्टी पर गए बंदियों की वापसी की निगरानी की जाए। यदि कोई बंदी देर करता है, तो उसका विवरण स्थानीय पुलिस स्टेशन और गृह विभाग को भेजा जाएगा। -
मानवीय कारणों का मूल्यांकन:
यदि बंदी स्वास्थ्य या अन्य आपात परिस्थितियों के कारण समय पर वापस नहीं लौट पाया है, तो उसके प्रमाण प्रस्तुत करने पर नियम के तहत विशेष छूट दी जा सकती है। -
आर्थिक और कानूनी दंड:
जानबूझकर देर करने वाले बंदियों पर सिक्योरिटी बॉन्ड जब्त करने, भविष्य में छुट्टी रोकने और आवश्यकतानुसार FIR दर्ज करने जैसी कार्रवाई की जा सकती है। -
जेल प्रशासन की जवाबदेही:
सुपरिंटेंडेंट और जेल अधीक्षक को समय पर रिपोर्टिंग करना और कार्रवाई सुनिश्चित करना होगा। गाइडलाइंस का पालन सुनिश्चित करना प्रशासन की प्राथमिक जिम्मेदारी होगी।
कानूनी आधार
महाराष्ट्र की Prisons (Furlough and Parole) Rules, 2024 के तहत यह निर्देश जारी किए गए हैं। इन नियमों में पहले से यह प्रावधान था कि छुट्टी पर गए बंदियों को निर्धारित समय पर लौटना होगा। नई गाइडलाइंस में इस पर अधिक स्पष्टता और कड़े कदम जोड़ दिए गए हैं।
उच्च न्यायालय की भूमिका
हाल ही में महाराष्ट्र उच्च न्यायालय ने कई याचिकाओं में निर्देश दिए थे कि जेल प्रशासन छुट्टियों के नियमों का पालन सुनिश्चित करे। कोर्ट ने कहा कि छुट्टियाँ मानवाधिकार और प्रशासनिक अनुशासन के बीच संतुलन बनाए रखनी चाहिए।
इस पर गृह विभाग ने कार्रवाई करते हुए नई गाइडलाइंस तैयार कीं, ताकि नियमों का दुरुपयोग रोका जा सके और जेल व्यवस्था में अनुशासन बढ़ाया जा सके।
उम्मीद और लाभ
-
जेल प्रशासन की जवाबदेही बढ़ेगी: अब अधिकारियों को बंदियों की वापसी सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी मिलेगी।
-
छुट्टियों का दुरुपयोग कम होगा: यदि कोई बंदी जानबूझकर समय से न लौटे, तो कार्रवाई की जाएगी।
-
नियमों का पारदर्शी पालन: बंदियों को स्पष्ट जानकारी होगी कि नियमों का उल्लंघन करने पर क्या कार्रवाई होगी।
-
सुरक्षा और अनुशासन: जेल और समाज की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
चुनौतियाँ
हालांकि गाइडलाइंस प्रभावी कदम हैं, लेकिन लागू करने में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
-
मानवीय परिस्थितियों का उचित मूल्यांकन: किसी आपात स्थिति में दंड देना अनुचित हो सकता है।
-
सूचना और संचार का प्रभाव: बंदियों और उनके परिवार को नियमों की स्पष्ट जानकारी होना आवश्यक है।
-
अधिकारों और अनुशासन में संतुलन: नियम लागू करते समय मानवाधिकारों का ध्यान रखा जाना जरूरी है।
महाराष्ट्र सरकार की यह नई गाइडलाइंस जेल प्रशासन में अनुशासन और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। इससे यह सुनिश्चित होगा कि जेल से छुट्टी लेने वाले बंदियों की वापसी समय पर हो और कानून का उल्लंघन रोका जा सके।
साथ ही, यह नियम मानवीय परिस्थितियों के अनुसार लचीलापन भी रखते हैं, ताकि जरूरत पड़ने पर बंदियों को उचित राहत दी जा सके।