




महाराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाएँ एक बार फिर संकट के दौर से गुजरने वाली हैं। राज्य के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टरों ने 24 घंटे की टोकन हड़ताल की घोषणा की है। इस हड़ताल का आह्वान इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स (MARD) ने किया है। हड़ताल का मुख्य कारण राज्य सरकार का हालिया निर्णय है, जिसके तहत BHMS-CCMP डॉक्टरों को महाराष्ट्र मेडिकल काउन्सिल (MMC) के अधीन लाने का प्रस्ताव रखा गया है।
हड़ताल का कारण
डॉक्टर संगठनों का कहना है कि यह निर्णय चिकित्सा व्यवस्था में भ्रम और असमानता पैदा करेगा। IMA और MARD का आरोप है कि एलोपैथिक डॉक्टरों की लंबे समय की पढ़ाई और कड़े प्रशिक्षण की तुलना आयुर्वेदिक या BHMS-CCMP पृष्ठभूमि से आने वाले डॉक्टरों से नहीं की जा सकती। उनका मानना है कि यह कदम “मेडिकल साइंस की गुणवत्ता” से समझौता करेगा और मरीजों की सुरक्षा पर भी असर डालेगा।
संभावित असर
इस 24 घंटे की हड़ताल से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यापक असर पड़ने की आशंका है।
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लगभग 2,500 ऑपरेशन्स स्थगित हो सकते हैं।
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सरकारी और निजी अस्पतालों की आउटपेशंट सेवाएँ (OPD) प्रभावित होंगी।
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मरीजों को आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर नियमित जांच और इलाज में मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि विवाद जल्द सुलझा नहीं, तो लंबी हड़ताल भी संभव है, जिससे मरीजों की जान पर जोखिम बढ़ सकता है।
डॉक्टरों का पक्ष
MARD और IMA का कहना है कि उनका विरोध किसी आयुर्वेदिक पद्धति या अन्य चिकित्सा प्रणाली के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह “प्रोफेशनल समानता” और “मरीजों की सुरक्षा” से जुड़ा मुद्दा है।
IMA महाराष्ट्र के अध्यक्ष ने कहा:
“सरकार का यह निर्णय चिकित्सा जगत में अनावश्यक भ्रम पैदा करेगा। अलग-अलग चिकित्सा पद्धतियों को एक ही काउन्सिल के अधीन लाना उचित नहीं है।”
सरकार का पक्ष
महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि यह कदम “इंटीग्रेटेड हेल्थ सिस्टम” की दिशा में एक प्रयास है। सरकार का दावा है कि इससे स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच दूरदराज़ इलाकों तक बढ़ेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर डॉक्टरों की कमी होती है, ऐसे में BHMS-CCMP डॉक्टरों को भी जिम्मेदारी देने से मरीजों को फायदा होगा।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने इस विवाद पर सरकार को घेरते हुए कहा है कि राज्य सरकार को बिना संवाद के ऐसा निर्णय नहीं लेना चाहिए था। कांग्रेस और एनसीपी नेताओं ने कहा कि जब पूरा चिकित्सा समुदाय इस फैसले के खिलाफ है, तो सरकार को इसे पुनर्विचार के लिए रोकना चाहिए।
मरीजों की परेशानी
हड़ताल का सीधा असर आम जनता पर पड़ेगा। कई बड़े अस्पतालों ने पहले ही ऑपरेशन्स स्थगित कर दिए हैं। कैंसर, दिल की बीमारी और अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीज सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं।
मुंबई के एक मरीज के परिजन ने कहा:
“हमारा ऑपरेशन पिछले तीन महीने से पेंडिंग था। अब डॉक्टरों की हड़ताल से फिर तारीख आगे बढ़ गई।”
विशेषज्ञों की राय
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार और डॉक्टरों के बीच संवाद की कमी ही इस विवाद की जड़ है। नीति-निर्माण में मेडिकल फ्रैटरनिटी को शामिल करना ज़रूरी है, ताकि फैसले व्यावहारिक और मरीज हित में हों।
आगे की राह
हड़ताल केवल 24 घंटे की है, लेकिन डॉक्टर संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार ने उनकी मांगें नहीं मानीं तो वे अनिश्चितकालीन आंदोलन पर जा सकते हैं। वहीं, सरकार भी अपने फैसले पर अड़ी हुई दिखाई देती है। ऐसे में आने वाले दिनों में यह विवाद और गहरा सकता है।
महाराष्ट्र में डॉक्टरों की 24 घंटे की टोकन हड़ताल ने स्वास्थ्य सेवाओं की नाजुक स्थिति को उजागर कर दिया है। सरकार और डॉक्टरों के बीच टकराव का खामियाजा आम मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। अगर इस विवाद का जल्द समाधान नहीं निकला, तो राज्य की चिकित्सा व्यवस्था और अधिक संकट में पड़ सकती है।