




भारतीय क्रिकेट टीम में इस समय सबसे बड़ी चर्चा विदाई और रिटायरमेंट को लेकर है। अनुभवी खिलाड़ियों रोहित शर्मा, विराट कोहली और चेतेश्वर पुजारा की विदाई ने न सिर्फ क्रिकेट फैंस को भावुक कर दिया है, बल्कि इससे कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। क्या इन खिलाड़ियों को सही सम्मान मिला? या फिर जल्दबाज़ी में बदलाव कर दिया गया?
रोहित शर्मा, जिन्होंने अपनी कप्तानी में भारत को कई अहम जीत दिलाई, अचानक क्रिकेट से विदाई की ओर बढ़ते दिखे। क्रिकेट बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक, चयन समिति ने युवा खिलाड़ियों को जगह देने के लिए यह कदम उठाया।
हालांकि, फैंस का कहना है कि रोहित को वर्ल्ड कप 2027 तक मौका मिलना चाहिए था। सोशल मीडिया पर #ThankYouRohit और #BringBackHitman जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
विराट कोहली की विदाई की खबर ने क्रिकेट प्रेमियों को हिला दिया। फैंस मानते हैं कि कोहली की फिटनेस और फॉर्म अभी भी उन्हें टीम में जगह दिलाने के लिए पर्याप्त थी।
कई विशेषज्ञों का कहना है कि विराट कोहली को धोनी जैसी ग्रेसफुल विदाई नहीं मिली। उनकी रिटायरमेंट घोषणा को लेकर भी विवाद हुआ, क्योंकि यह अचानक और बिना किसी farewell मैच के सामने आई।
चेतेश्वर पुजारा, जिन्हें भारतीय टेस्ट क्रिकेट का “दीवार” कहा जाता है, ने भी चुपचाप विदाई ले ली।
टेस्ट में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है। इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में उनकी पारियां आज भी क्रिकेट इतिहास का हिस्सा हैं। लेकिन चयन समिति ने उन्हें “युवा खिलाड़ियों को मौका” देने के नाम पर बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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फेयरवेल मैच नहीं दिया गया – फैंस का आरोप है कि बीसीसीआई ने इन दिग्गज खिलाड़ियों को उचित सम्मान नहीं दिया।
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अचानक फैसला – कई क्रिकेट विश्लेषकों का कहना है कि बदलाव धीरे-धीरे किया जा सकता था।
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क्लब और फ्रेंचाइज़ी दबाव – यह भी चर्चा है कि IPL टीमों और फ्रेंचाइज़ी के दबाव में फैसले जल्दबाजी में लिए गए।
पूर्व चयनकर्ता क्रिस श्रीकांत का कहना है –
“इन खिलाड़ियों ने भारतीय क्रिकेट को जो ऊंचाई दी है, उन्हें इस तरह अचानक विदाई देना ठीक नहीं है। बोर्ड को एक भव्य फेयरवेल मैच रखना चाहिए था।”
वहीं कुछ युवा खिलाड़ियों का मानना है कि यह बदलाव जरूरी था ताकि टीम में नई ऊर्जा और प्रतिस्पर्धा आ सके।
स्टेडियम से लेकर सोशल मीडिया तक, हर जगह फैंस भावुक नजर आए।
कई लोग कह रहे हैं कि कोहली और रोहित की जोड़ी को एक साथ विदाई मिलनी चाहिए थी। पुजारा को भी टेस्ट में आखिरी बार मैदान पर देखने का मौका दिया जाना चाहिए था।
भारतीय क्रिकेट में यह विदाई सिर्फ खिलाड़ियों के करियर का अंत नहीं है, बल्कि एक स्वर्णिम युग के समापन का संकेत है।
अब देखना होगा कि युवा खिलाड़ियों पर डाले गए भरोसे का भविष्य क्या परिणाम देता है। लेकिन इतना तय है कि रोहित, विराट और पुजारा की विदाई लंबे समय तक क्रिकेट चर्चा का हिस्सा बनी रहेगी।