




एशिया कप 2025 (Asia Cup 2025) में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हाई-वोल्टेज मैच के बाद मैदान से बाहर भी विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे। पाकिस्तान की टीम के बल्लेबाज़ साहिबजादा फरहान (Sahibzada Farhan) अपने बेतुके और गैरजिम्मेदाराना बयान को लेकर अब चर्चा में हैं।
मैच के बाद पाकिस्तान के कई इलाकों में जश्न के दौरान हवा में गोलीबारी हुई, जिससे आम नागरिकों की जान पर खतरा मंडराया। इस घटना को लेकर जब फरहान से सवाल पूछा गया तो उन्होंने लापरवाही से कहा—
“मुझे फर्क नहीं पड़ता, लोग जैसे चाहें जश्न मनाएँ।”
भारत के खिलाफ पाकिस्तान की जीत के बाद कुछ इलाकों में समर्थकों ने खुशी जाहिर करने के लिए अंधाधुंध फायरिंग की।
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कई जगहों से चोटिल होने और दहशत फैलने की खबरें आईं।
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सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुए, जिनमें देखा गया कि क्रिकेट जीत के जश्न में लोग सड़कों पर गोलियाँ चला रहे हैं।
इन घटनाओं की निंदा करने की बजाय फरहान का यह कहना कि उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्रिकेटरों की सामाजिक जिम्मेदारी पर सवाल उठाता है।
पाकिस्तानी क्रिकेटर्स अक्सर मैदान के बाहर अपने विवादित बयानों की वजह से सुर्खियों में रहते हैं।
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पूर्व खिलाड़ियों से लेकर मौजूदा क्रिकेटर्स तक, कई बार ऐसे बयान सामने आए हैं जो देश की छवि को नुकसान पहुंचाते हैं।
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फरहान का यह बयान भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।
क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे खिलाड़ियों को फौरन अनुशासनात्मक कार्रवाई का सामना करना चाहिए।
फरहान का बयान सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर जबरदस्त आलोचना हुई।
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भारतीय यूजर्स ने कहा कि यह बयान पाकिस्तान क्रिकेट की गिरती मानसिकता को दिखाता है।
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पाकिस्तानी फैंस के एक वर्ग ने भी इसे गैरजिम्मेदार और शर्मनाक बताया।
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ट्विटर (X) और इंस्टाग्राम पर #ShameOnFarhan और #GunfireCelebration जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
गौरतलब है कि पाकिस्तान में अक्सर क्रिकेट जीत या शादी-ब्याह जैसे मौकों पर हवा में गोलीबारी की घटनाएँ सामने आती हैं।
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इससे न केवल जान-माल का खतरा बढ़ता है, बल्कि कई बार निर्दोष लोगों की मौत भी हो चुकी है।
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अब फरहान के बयान ने प्रशासन पर भी दबाव बढ़ा दिया है कि वे इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाएँ।
क्रिकेट को भारत और पाकिस्तान में धर्म की तरह माना जाता है। ऐसे में क्रिकेटरों के बयान और व्यवहार का समाज पर बड़ा असर होता है।
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खेल विशेषज्ञों का कहना है कि फरहान जैसे खिलाड़ियों को समझना चाहिए कि उनका एक शब्द भी लाखों लोगों को प्रभावित कर सकता है।
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उनका यह कहना कि “मुझे फर्क नहीं पड़ता” न केवल असंवेदनशीलता है बल्कि यह खेल भावना के भी खिलाफ है।
भारत और पाकिस्तान का हर मैच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल में खेला जाता है।
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इस बार का मुकाबला भी बेहद रोमांचक रहा, जहाँ भारत और पाकिस्तान दोनों ने कड़ी टक्कर दी।
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लेकिन खेल के बाद इस तरह की घटनाएँ और बयान मैच की खूबसूरती और रोमांच को फीका कर देते हैं।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) इस मामले पर क्या रुख अपनाता है।
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क्या बोर्ड फरहान के खिलाफ कार्रवाई करेगा या मामला यूँ ही ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
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क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि PCB अगर इस बयान को नजरअंदाज करता है तो यह एक खतरनाक परंपरा को जन्म देगा।
भारत-पाक मैचों को लेकर पहले से ही राजनीतिक और सामाजिक दबाव रहता है।
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फरहान जैसे बयान दोनों देशों के बीच खेल भावना को और कमजोर कर सकते हैं।
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भारतीय फैन्स ने भी सवाल उठाया कि क्या पाकिस्तान क्रिकेट अपने खिलाड़ियों को जिम्मेदारी सिखाने के लिए तैयार है।
साहिबजादा फरहान का “मुझे फर्क नहीं पड़ता” वाला बयान यह दिखाता है कि पाकिस्तान क्रिकेटर्स में अभी भी अनुशासन और सामाजिक संवेदनशीलता की कमी है।
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ऐसे बयान न केवल खिलाड़ियों की छवि खराब करते हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी देते हैं।
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खेल प्रेमियों का मानना है कि क्रिकेट जीत का जश्न मनाना गलत नहीं है, लेकिन हिंसा, गोलीबारी और गैरजिम्मेदार बयान कभी भी स्वीकार्य नहीं हो सकते।
अब सबकी नजरें PCB और पाकिस्तान प्रशासन पर हैं कि वे इस विवादित बयान और उससे जुड़ी घटनाओं पर क्या कदम उठाते हैं।