




कनाडा में एक बड़ी कार्रवाई के तहत पुलिस ने खालिस्तानी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) से जुड़े चरमपंथी इंदरजीत सिंह गोसल को गिरफ्तार कर लिया है। गोसल पर आरोप है कि वह खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देने और गुरपतवंत सिंह पन्नून जैसे कुख्यात चेहरों के लिए काम कर रहा था। यह गिरफ्तारी भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से चल रहे खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर तनाव के बीच हुई है।
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कनाडाई पुलिस ने एक बयान में पुष्टि की कि गोसल को सुरक्षा एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई के बाद पकड़ा गया।
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पुलिस ने बताया कि गोसल पर चरमपंथी गतिविधियों, नफरत फैलाने वाले भाषण, और फंडिंग नेटवर्क में शामिल होने के गंभीर आरोप हैं।
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माना जा रहा है कि गोसल ने कनाडा से लेकर ब्रिटेन और अमेरिका तक फैले खालिस्तानी नेटवर्क से संपर्क बनाए हुए थे।
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सूत्रों के मुताबिक, इंदरजीत सिंह गोसल गुरपतवंत सिंह पन्नून के बेहद करीबी सहयोगियों में गिना जाता है।
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पन्नून, जो एसएफजे का प्रमुख है, लंबे समय से भारत विरोधी गतिविधियों और संदिग्ध आतंकी षड्यंत्रों में सक्रिय है।
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गोसल की गिरफ्तारी ने यह साफ कर दिया है कि कनाडा में पन्नून का नेटवर्क अब सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर है।
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भारत लगातार यह आरोप लगाता रहा है कि कनाडा की धरती पर खालिस्तानी समर्थक गतिविधियाँ बिना रोकटोक चल रही हैं।
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हाल ही में भारत और कनाडा के रिश्तों में तब तनाव और गहराया, जब खालिस्तान समर्थक समूहों ने भारत के खिलाफ हिंसक बयानबाज़ी और उकसावे वाले कार्यक्रम किए।
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इंदरजीत सिंह गोसल की गिरफ्तारी को भारत में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।
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कनाडा में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के सिख समुदाय के लोग रहते हैं।
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खालिस्तान समर्थक गुट अक्सर इस समुदाय का इस्तेमाल अपने राजनीतिक और चरमपंथी एजेंडे के लिए करते रहे हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि कनाडा की आंतरिक राजनीति में भी खालिस्तान समर्थक गुटों का सीधा प्रभाव दिखाई देता है।
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सिख्स फॉर जस्टिस (SFJ) को भारत में पहले ही प्रतिबंधित संगठन घोषित किया जा चुका है।
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यह संगठन इंटरनेट और विदेशों में रेफरेंडम अभियान चलाकर खालिस्तान को अलग राज्य बनाने की मांग करता है।
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भारत सरकार ने कई बार कहा है कि एसएफजे केवल एक आतंकी मंच है, जो युवाओं को भटकाने और विदेशी फंडिंग से भारत विरोधी माहौल बनाने का काम करता है।
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कनाडा सरकार ने आधिकारिक रूप से बयान तो नहीं दिया है, लेकिन पुलिस कार्रवाई से संकेत मिलता है कि वह अब खालिस्तान समर्थक गुटों पर सख्ती करने को मजबूर है।
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अमेरिका और ब्रिटेन में भी खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ निगरानी और कार्रवाई बढ़ाई गई है।
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भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि खालिस्तानी गतिविधियाँ केवल भारत की सुरक्षा ही नहीं बल्कि वैश्विक शांति के लिए भी खतरा हैं।
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सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि गोसल की गिरफ्तारी कनाडा में खालिस्तानी नेटवर्क के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की शुरुआत हो सकती है।
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उनका कहना है कि यदि कनाडा और अन्य देश पन्नून जैसे चेहरों पर कार्रवाई करते हैं तो खालिस्तान समर्थक आंदोलन की कमर टूट जाएगी।
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विश्लेषकों का यह भी मानना है कि कनाडा पर अब भारत-अमेरिका जैसे सहयोगी देशों का दबाव बढ़ रहा है कि वह खालिस्तानी गुटों को शरण न दे।
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गोसल की गिरफ्तारी से भारत और कनाडा के बीच रिश्तों में सुधार की संभावना के संकेत दिख रहे हैं।
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हालांकि यह भी सच है कि जब तक कनाडा सरकार खालिस्तान समर्थक संगठनों को पूरी तरह बैन और खत्म नहीं करती, तब तक भारत की चिंता बनी रहेगी।
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फिलहाल भारत सरकार इस कार्रवाई को एक सही दिशा में उठाया गया कदम मान रही है।
कनाडा में खालिस्तानी चरमपंथी इंदरजीत सिंह गोसल की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि अब खालिस्तानी नेटवर्क अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव में आ चुका है।
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गोसल के पन्नून से संबंध और एसएफजे के साथ जुड़ाव ने यह साबित कर दिया है कि यह नेटवर्क केवल प्रचार ही नहीं बल्कि खतरनाक गतिविधियों में भी शामिल है।
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भारत लंबे समय से जिस चिंता को उठाता रहा है, वह अब कनाडा की सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई से आंशिक रूप से सही साबित होती दिख रही है।
आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि क्या कनाडा और अन्य पश्चिमी देश केवल कुछ गिरफ्तारियों तक सीमित रहते हैं या फिर खालिस्तानी नेटवर्क को पूरी तरह ध्वस्त करने की ठोस कार्रवाई भी करते हैं।