




कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने हाल ही में अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ और H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह कदम भारतीय IT पेशेवरों और स्टार्टअप्स के लिए आर्थिक और पेशेवर चुनौतियाँ बढ़ा सकता है।
थरूर ने विशेष रूप से यह भी सवाल उठाया कि डोनाल्ड ट्रंप का हालिया सीज़फायर दावे पर कितनी सच्चाई है और इससे अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर क्या असर पड़ेगा।
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अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में IT और अन्य तकनीकी श्रेणियों के H-1B वीज़ा शुल्क में वृद्धि की घोषणा की।
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इसके साथ ही भारत से आयातित सामानों पर कुछ टैरिफ में बढ़ोतरी की भी सूचना मिली।
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शशि थरूर ने कहा कि इससे भारतीय IT पेशेवरों और व्यवसायों को नौकरी और निवेश पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को संतुलित और समानुपातिक रखना जरूरी है।
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H-1B वीज़ा दुनिया भर में भारतीय IT पेशेवरों के लिए रोजगार का प्रमुख माध्यम है।
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शुल्क वृद्धि और नए नियमों के कारण कई भारतीय प्रोफेशनल्स और कंपनियाँ अमेरिका में काम करने से हिचक सकती हैं।
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थरूर ने कहा कि इससे भारतीय IT इंडस्ट्री के लिए नई चुनौतियाँ और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पैदा हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के टेक सेक्टर को अमेरिका पर अधिक निर्भर नहीं रहना चाहिए और वैकल्पिक बाजारों की ओर ध्यान देना चाहिए।
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बयान में कहा कि उन्होंने मध्यपूर्व संघर्षों में सीज़फायर कराई।
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शशि थरूर ने इस दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह वैश्विक राजनीति और तथ्यों के अनुरूप नहीं लगता।
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उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्दों में कूटनीति और स्वतंत्र स्रोतों का मूल्यांकन करना जरूरी है।
थरूर ने स्पष्ट किया कि अमेरिका और भारत के बीच संबंधों पर यह बयान सीधे असर नहीं डालता, लेकिन वैश्विक दृष्टिकोण से यह महत्वपूर्ण है कि तथ्य और दावे अलग हों।
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अमेरिकी टैरिफ और H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि भारतीय IT पेशेवरों और विद्यार्थियों के लिए चुनौती बन सकती है।
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भारतीय स्टार्टअप्स और SMEs के लिए यह कदम लागत बढ़ाने और निवेश में बाधा पैदा कर सकता है।
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शशि थरूर ने कहा कि भारत को वैश्विक नीति में संतुलन बनाए रखना चाहिए और तकनीकी क्षेत्र को मजबूत करना चाहिए।
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कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपने ट्वीट और इंटरव्यू में कहा कि यह मुद्दा केवल व्यापार या रोजगार का नहीं, बल्कि राष्ट्रीय हित का भी है।
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सोशल मीडिया पर उनके समर्थक और IT पेशेवर इस बयान को समर्थन दे रहे हैं, जबकि आलोचक इसे राजनीतिक बयानबाजी कह रहे हैं।
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ट्विटर पर #ShashiTharoor, #H1BVisaFee जैसे हैशटैग चर्चा में हैं।
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अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि लंबी अवधि में भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में काम करने से हतोत्साहित कर सकती है।
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राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप के सीज़फायर दावे पर सावधानीपूर्वक समीक्षा की जरूरत है, क्योंकि यह वैश्विक सुरक्षा और कूटनीति पर प्रभाव डाल सकता है।
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IT इंडस्ट्री के विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय कंपनियों को अमेरिकी नीति के विकल्प तलाशने चाहिए, ताकि निर्भरता कम हो।
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक और तकनीकी सहयोग पिछले दशक में बढ़ा है।
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H-1B वीज़ा और टेक सेक्टर का योगदान दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण माना जाता है।
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थरूर ने कहा कि भारत को अपने पेशेवरों और स्टार्टअप्स को सुरक्षा और समर्थन देना चाहिए, ताकि वैश्विक नीति के बदलाव का असर कम हो।
शशि थरूर का बयान अमेरिकी टैरिफ, H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि और ट्रंप के सीज़फायर दावे पर बहस को फिर से उभारता है।
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यह बयान भारत के IT पेशेवरों और स्टार्टअप्स के लिए सचेत रहने का संदेश देता है।
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साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तथ्यों और दावों की सही समीक्षा की आवश्यकता को भी उजागर करता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को वैश्विक नीति में संतुलन, सुरक्षा और स्वतंत्रता बनाए रखना चाहिए।
इस घटना ने मीडिया, सोशल मीडिया और अंतरराष्ट्रीय नीति विशेषज्ञों के बीच नयी बहस और जागरूकता को जन्म दिया है और यह साबित करता है कि अंतरराष्ट्रीय निर्णयों का प्रभाव सीधे और अप्रत्यक्ष रूप से भारत पर पड़ता है।