




भारत अक्टूबर 2025 से अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सैन्य अभ्यास करने जा रहा है। यह कदम न सिर्फ भारतीय सेना के लिए ऐतिहासिक माना जा रहा है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति और तकनीकी क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा। इस ड्रिल को लेकर रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभ्यास भविष्य की युद्ध रणनीति का रोडमैप तय करेगा, जिसमें पारंपरिक हथियारों के साथ-साथ तकनीक और मानवरहित युद्ध प्रणाली की भूमिका अहम होगी।
भारतीय सेना ने पहले भी कई बड़े पैमाने पर अभ्यास किए हैं, जिनमें ऑपरेशन सिंदूर और कोल्ड स्टार्ट डॉक्ट्रिन जैसे अभियानों को खास तौर पर याद किया जाता है। लेकिन इस बार की कवायद इनसे अलग और अधिक उन्नत होगी, क्योंकि इसमें पहली बार इतने बड़े पैमाने पर ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम का उपयोग किया जाएगा।
यह अभ्यास राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों में अक्टूबर 2025 में आयोजित होगा। थल सेना, वायुसेना और नौसेना तीनों इस अभियान का हिस्सा होंगी। खास बात यह है कि इस अभ्यास में न केवल सेना की पारंपरिक ताकत बल्कि देशी और विदेशी रक्षा कंपनियों द्वारा विकसित नई तकनीकें भी शामिल होंगी। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित निगरानी प्रणाली, नाइट ऑपरेशन और साइबर वॉरफेयर मॉड्यूल का भी प्रयोग होगा, जिससे ड्रोन को हैक या जाम करने की तकनीक का परीक्षण किया जा सकेगा।
भारत के लिए ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीक की अहमियत पिछले कुछ वर्षों में बढ़ गई है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब में कई बार ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं, जब दुश्मन देशों की ओर से ड्रोन के जरिए हथियार गिराए गए। पाकिस्तान और चीन ने इस क्षेत्र में लगातार अपनी गतिविधियाँ तेज की हैं। यही वजह है कि भारतीय सेना ने ड्रोन युद्ध और उसे रोकने वाली तकनीक को अपनी प्राथमिकता बना लिया है। रक्षा सूत्रों के अनुसार इस अभ्यास के दौरान स्वार्म ड्रोन ऑपरेशन भी किया जाएगा, जिसमें सैकड़ों ड्रोन एक साथ उड़ान भरकर दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाएंगे। इसके अलावा लेज़र और माइक्रोवेव हथियारों का प्रयोग करके ड्रोन को हवा में ही नष्ट करने की क्षमता का परीक्षण भी किया जाएगा।
रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि यह अभ्यास भारत की सैन्य रणनीति को एक नए स्तर पर ले जाएगा। यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध ने यह साबित कर दिया है कि आधुनिक युद्धों में ड्रोन कितनी बड़ी भूमिका निभाते हैं। वहीं, इज़राइल और हमास संघर्ष में भी ड्रोन का व्यापक उपयोग देखने को मिला है। ऐसे में भारत को इस दिशा में पूरी तरह तैयार रहना जरूरी है। एक सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने कहा कि ड्रोन भविष्य के युद्ध का चेहरा हैं और अगर भारत को अपनी सीमाओं को सुरक्षित रखना है तो उसे इसी स्तर की तैयारी करनी होगी।
इस अभ्यास का आर्थिक और रणनीतिक महत्व भी कम नहीं है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार लगातार आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को बढ़ावा दे रही है। इस ड्रिल के जरिए स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीक को भी परखा जाएगा। यह न केवल भारत की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण होगा बल्कि देशी रक्षा कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मजबूती देगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का यह कदम एक मजबूत संदेश देगा। यह दुनिया को दिखाएगा कि भारत केवल पारंपरिक युद्ध की तैयारी नहीं कर रहा, बल्कि हाई-टेक युद्ध प्रणाली के लिए भी खुद को पूरी तरह तैयार कर रहा है। अमेरिका, रूस और इज़राइल जैसे देश पहले से ही ड्रोन तकनीक पर काम कर रहे हैं। भारत का यह कदम उसे इन देशों की बराबरी में खड़ा करेगा और एशिया में उसकी सैन्य स्थिति को और मजबूत बनाएगा।
निष्कर्षतः, अक्टूबर 2025 में होने वाला यह ड्रोन और काउंटर-ड्रोन अभ्यास भारत की रक्षा क्षमताओं में एक ऐतिहासिक कदम साबित होगा। यह न केवल दुश्मनों के ड्रोन खतरों का मुकाबला करने की क्षमता को मजबूत करेगा बल्कि भविष्य के युद्ध परिदृश्यों के लिए भारतीय सेना को पूरी तरह तैयार करेगा। यह कवायद भारत को न सिर्फ एक सैन्य शक्ति बल्कि तकनीक-आधारित रक्षा महाशक्ति के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में बड़ा कदम है।