




राजधानी दिल्ली में साइबर क्राइम से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा मामला सामने आया है। कारोबारी नरेश मल्होत्रा से 23 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ पुलिस ने कर लिया है। इस केस को दिल्ली की सबसे बड़ी डिजिटल गिरफ्तारी कहा जा रहा है।
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि डिजिटल युग में अपराधियों के तौर-तरीके बेहद हाईटेक हो चुके हैं और आम नागरिकों से लेकर बड़े कारोबारियों तक कोई भी सुरक्षित नहीं है।
नरेश मल्होत्रा दिल्ली के एक नामी कारोबारी हैं। वे रियल एस्टेट और अन्य निवेश कारोबार से जुड़े हुए हैं। लंबे समय से वे उच्च समाजिक वर्ग में सक्रिय रहे हैं। उनकी आर्थिक स्थिति और कारोबारी नेटवर्क को देखकर ही साइबर अपराधियों ने उन्हें निशाना बनाया।
पुलिस की शुरुआती जांच में सामने आया कि ठगों ने मल्होत्रा को ऑनलाइन निवेश योजना और डिजिटल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में पैसा लगाने का लालच दिया।
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अपराधियों ने उन्हें फर्जी विदेशी कंपनियों के निवेश प्रस्ताव दिखाए।
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उन्होंने फर्जी वेबसाइट और मोबाइल एप्लिकेशन तैयार की थी, जो असली निवेश प्लेटफॉर्म जैसी दिखती थी।
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लगातार हाई रिटर्न (उच्च लाभ) का लालच देकर मल्होत्रा से धीरे-धीरे 23 करोड़ रुपये ऐंठ लिए।
जैसे ही शिकायत दर्ज हुई, दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने हाईटेक जांच शुरू की।
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पुलिस ने IP एड्रेस, डिजिटल ट्रांजैक्शन और कॉल डिटेल्स खंगाली।
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जांच के दौरान पता चला कि गिरोह का नेटवर्क दिल्ली, गुरुग्राम और मुंबई तक फैला हुआ है।
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कई बैंक खाते और ई-वॉलेट्स के जरिए पैसों को इधर-उधर ट्रांसफर किया गया।
पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी करते हुए गिरोह के कई सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से कुछ आईटी क्षेत्र से जुड़े हुए थे और उन्हें साइबर टेक्नोलॉजी की गहरी समझ थी।
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मुख्य सरगना ने पहले भी कई राज्यों में छोटे स्तर की ठगियां की थीं।
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इस बार उन्होंने हाई-प्रोफाइल कारोबारी को निशाना बनाया।
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गिरोह के पास से कई लैपटॉप, मोबाइल फोन, सिम कार्ड और फर्जी डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए हैं।
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ठगी की राशि 23 करोड़ रुपये है, जो दिल्ली में साइबर फ्रॉड के इतिहास में सबसे ज्यादा है।
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यह केस यह दिखाता है कि अपराधी अब केवल ATM क्लोनिंग या ऑनलाइन बैंकिंग हैकिंग तक सीमित नहीं हैं, बल्कि स्मार्ट निवेश और डिजिटल मार्केटिंग स्कीम्स के नाम पर भी बड़े स्तर की ठगी कर रहे हैं।
नरेश मल्होत्रा ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि वे खुद को बेहद ठगा हुआ और मानसिक रूप से आहत महसूस कर रहे हैं।
उन्होंने कहा –
“मैंने कभी नहीं सोचा था कि इतने बड़े स्तर पर तकनीक का इस्तेमाल करके कोई मुझे बेवकूफ बना सकता है। यह केवल मेरे पैसों का नुकसान नहीं बल्कि मेरे विश्वास का भी हनन है।”
भारत में हर साल साइबर अपराध के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है।
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नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो (NCRB) के मुताबिक 2023 में देशभर में 65,000 से ज्यादा साइबर क्राइम केस दर्ज किए गए।
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इनमें सबसे ज्यादा मामले ऑनलाइन ठगी और वित्तीय धोखाधड़ी से जुड़े थे।
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दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु और हैदराबाद साइबर अपराध के हॉटस्पॉट बन चुके हैं।
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए साइबर सुरक्षा तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है।
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खासकर उच्च प्रोफाइल कारोबारियों और आम जनता को साइबर जागरूकता अभियान के जरिए सतर्क किया जाएगा।
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पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि किसी भी निवेश स्कीम या ऑनलाइन ऑफर पर भरोसा करने से पहले उसकी कानूनी और तकनीकी जांच जरूर करें।
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कभी भी अनजान वेबसाइट या एप्लिकेशन पर पैसा न लगाएं।
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किसी भी निवेश से पहले उसका पंजीकरण और प्रामाणिकता जांचें।
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हाई रिटर्न का वादा करने वाली योजनाओं से सावधान रहें।
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संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत पुलिस और साइबर सेल को सूचना दें।
दिल्ली में नरेश मल्होत्रा से 23 करोड़ रुपये की ठगी और उसके बाद साइबर ठगों की गिरफ्तारी ने एक बड़ी हकीकत उजागर की है — डिजिटल युग में अपराधियों की चालें बेहद खतरनाक और पेचीदा हो चुकी हैं।
यह केस न केवल पुलिस की जीत है बल्कि आम जनता के लिए भी सतर्कता का सबक है।