• Create News
  • Nominate Now

    साध्वी प्राची का विवादित बयान: गरबा और रामलीला में एंट्री केवल आधार से, मुस्लिम युवाओं पर आरोप

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं।

    देश में एक बार फिर साध्वी प्राची के विवादित बयानों ने हलचल मचा दी है। हाल ही में उन्होंने गरबा और रामलीला जैसे सांस्कृतिक आयोजनों में एंट्री केवल आधार कार्ड दिखाने की बात कही और मुस्लिम युवाओं पर आरोप लगाया कि वे इन आयोजनों में दखल दे रहे हैं। इस बयान ने सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा और आलोचना पैदा कर दी है।

    साध्वी प्राची ने कहा कि यह कदम आयोजनों की सुरक्षा और पारंपरिक धार्मिक आयोजनों की गरिमा बनाए रखने के लिए जरूरी है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ लोग इन आयोजनों में अशांति फैलाने की कोशिश करते हैं और इसलिए एंट्री में पहचान की पुष्टि अनिवार्य होनी चाहिए।

    उनके इस बयान पर राजनीतिक दलों और नागरिक समाज ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी। कुछ लोग इसे सांस्कृतिक सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक मान रहे हैं, जबकि कईयों ने इसे धार्मिक भेदभाव और समाज में विभाजन फैलाने वाला कदम बताया।

    विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के बयान देश में धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को लेकर तनाव बढ़ा सकते हैं। गरबा और रामलीला जैसे आयोजन सामान्यत: सामुदायिक मेल-जोल और सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक हैं, और ऐसे बयानों से समाज में कटुता फैलने का खतरा रहता है।

    सोशल मीडिया पर भी साध्वी प्राची के इस बयान की जमकर आलोचना हो रही है। कई लोग उनके बयान को धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ बता रहे हैं और इसे सोशल मीडिया पर ट्रेंड करवा रहे हैं। वहीं, उनके समर्थक इसे सुरक्षा और पहचान सुनिश्चित करने वाला कदम बता रहे हैं।

    राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान आगामी चुनावी राजनीति और सांप्रदायिक मुद्दों को लेकर माहौल तैयार करने का हिस्सा हो सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान समाज में विभाजन पैदा कर सकते हैं और सांप्रदायिक तनाव बढ़ा सकते हैं।

    सामाजिक कार्यकर्ता और धार्मिक संगठन भी इस विवाद पर अपनी राय दे रहे हैं। उनका कहना है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में हर किसी को भाग लेने का अधिकार है, और आधार जैसी पहचान का इस्तेमाल इसे रोकने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों को शांतिपूर्ण और सभी के लिए सुरक्षित बनाए रखा जाए।

    इसके साथ ही, कई कानूनी विशेषज्ञ यह भी बता रहे हैं कि किसी धार्मिक आयोजन में विशेष समुदाय या धर्म के लोगों को निशाना बनाना कानूनन चुनौतीपूर्ण हो सकता है। यह संविधान के धार्मिक स्वतंत्रता और समानता के अधिकार के खिलाफ माना जा सकता है।

    साध्वी प्राची का यह बयान फिर से यह सवाल खड़ा करता है कि किस हद तक धार्मिक आयोजनों और सुरक्षा के बीच संतुलन बनाया जा सकता है। गरबा और रामलीला जैसी पारंपरिक सांस्कृतिक गतिविधियों में हर वर्ग के लोग शामिल होते हैं और उन्हें किसी भी प्रकार के भेदभाव का सामना नहीं करना चाहिए।

    कुल मिलाकर, साध्वी प्राची के इस विवादित बयान ने देश में सांस्कृतिक आयोजनों की सुरक्षा, धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक समरसता को लेकर बहस शुरू कर दी है। अब यह देखना होगा कि प्रशासन और राजनीतिक दल इस मामले में क्या कदम उठाते हैं और समाज में सामंजस्य बनाए रखने के लिए कौन से उपाय लागू किए जाते हैं।

    न्यूज़ शेयर करने के लिए क्लिक करें .
  • Advertisement Space

    Related Posts

    मुंबई समेत महाराष्ट्र में मॉनसून विदाई, अक्टूबर में फिर बढ़ सकती है गर्मी

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। मुंबई और पूरे महाराष्ट्र में इस बार का मॉनसून धीरे-धीरे विदा ले रहा है। मौसम विभाग की ताजा रिपोर्ट के…

    Continue reading
    पारंपरिक स्नेह और सम्मान: ममता बनर्जी ने अमिताभ बच्चन को जन्मदिन पर दी शुभकामनाएं

    इस खबर को सुनने के लिये प्ले बटन को दबाएं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन को उनके जन्मदिन पर सोशल मीडिया के माध्यम…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *