




पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कालीघाट दौरे से पहले पोस्टर हटाए जाने को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा गया है। बीजेपी ने आरोप लगाया है कि उनके कार्यकर्ताओं ने अमित शाह के दौरे से कुछ समय पहले शहर के विभिन्न हिस्सों में पोस्टर लगाए थे, लेकिन सुबह होते-होते वे गायब हो गए।
बीजेपी का आरोप
बीजेपी का कहना है कि पोस्टर हटाए जाने से उनके पार्टी कार्यकर्ताओं की मेहनत बेकार हो गई। पार्टी का दावा है कि इस घटना के पीछे टीएमसी का हाथ है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि सभी जगह ममता बनर्जी के पोस्टर लगाए गए थे, जबकि अमित शाह के पोस्टर गायब थे।
बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह स्पष्ट रूप से राजनीतिक साजिश है। हमारा उद्देश्य था कि अमित शाह के कालीघाट दौरे से पहले पार्टी की उपस्थिति दिखे, लेकिन पोस्टर गायब कर दिए गए।”
कालीघाट दौरे की पृष्ठभूमि
अमित शाह का यह दौरा कालीघाट मंदिर में हुआ, जो राज्य की राजनीतिक और धार्मिक महत्ता के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री के इस दौरे को लेकर राजनीतिक पार्टियों के बीच तनाव देखने को मिला। बीजेपी ने इसे अपनी राजनीतिक गतिविधियों और चुनावी रणनीति का हिस्सा बताया।
टीएमसी की प्रतिक्रिया
टीएमसी ने आरोपों को खारिज किया है और कहा कि पोस्टर हटाए जाने में उनका कोई हाथ नहीं है। पार्टी ने इसे चुनावी माहौल में बीजेपी द्वारा उत्तेजना फैलाने का प्रयास बताया। टीएमसी नेताओं का कहना है कि पोस्टर हटाने की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन और नगर निगम की है, न कि किसी राजनीतिक पार्टी की।
शहर में राजनीतिक माहौल
कोलकाता में अमित शाह के दौरे से पहले और बाद में शहर के विभिन्न इलाकों में राजनीतिक पोस्टर और बैनर ने राजनीतिक सरगर्मियों को और तेज कर दिया। बीजेपी और टीएमसी के समर्थकों के बीच बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप ने राजनीतिक माहौल गर्म कर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिम बंगाल में इस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम आम हैं, खासकर चुनावों या बड़े नेताओं के दौरे के समय। पोस्टर हटाने और लगाए जाने को लेकर विवाद राजनीतिक पार्टियों के लिए सियासी रणनीति का हिस्सा बन जाता है।
बीजेपी के लिए राजनीतिक संदेश
बीजेपी ने पोस्टर गायब होने की घटना को मीडिया के जरिए व्यापक रूप से उजागर किया। पार्टी का उद्देश्य यह था कि जनता और समर्थक अमित शाह के दौरे की महत्ता को समझें और राजनीतिक संदेश फैलाया जा सके।
बीजेपी नेताओं का यह भी कहना है कि पोस्टर हटाने से उनकी मेहनत और राजनीतिक अभियान पर असर पड़ सकता है। इसके बावजूद, पार्टी ने कहा कि उनका दौरा सफल रहा और अमित शाह ने जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
विशेष टिप्पणी
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह के विवाद चुनावी माहौल में सामान्य हैं। पोस्टर और प्रचार सामग्री का गायब होना या विवादित होना पार्टियों के लिए रणनीतिक चुनौती बन सकता है।
कोलकाता में अमित शाह के कालीघाट दौरे से पहले पोस्टर गायब होने का मामला राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है। बीजेपी ने इसे टीएमसी की साजिश बताया, जबकि टीएमसी ने आरोपों को खारिज किया। इस घटना ने राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों और चुनावी सरगर्मियों को उजागर किया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस प्रकार के घटनाक्रम पश्चिम बंगाल में चुनावी राजनीति का अहम हिस्सा बन गए हैं। पोस्टर गायब होने की घटना ने बीजेपी और टीएमसी के बीच आरोप-प्रत्यारोप को बढ़ावा दिया है, जिससे राज्य का राजनीतिक तापमान और बढ़ गया है।
इस विवाद के बीच, अमित शाह का दौरा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ, लेकिन पोस्टर घटना राजनीतिक चर्चा का विषय बनी रही।