




बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा बस कुछ ही दिनों में होने वाली है। इस बीच AIMIM प्रमुख और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने चुनावी सियासत में हलचल मचा दी है। ओवैसी ने अपने 4 विधायकों को तोड़े जाने का मुद्दा उठाते हुए ऐलान किया है कि आने वाले चुनाव में वह इसका बदला “40 सीटों” से लेंगे।
यह बयान न केवल बिहार की राजनीति में नई बहस को जन्म दे रहा है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर रहा है कि क्या ओवैसी का यह हमला सीधा तेजस्वी यादव और आरजेडी पर है?
4 से 40 का नारा – क्या है पूरा मामला?
साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में AIMIM ने सीमांचल क्षेत्र में अप्रत्याशित सफलता हासिल करते हुए 5 सीटें जीती थीं। लेकिन बाद में इनमें से 4 विधायक अलग होकर आरजेडी में शामिल हो गए। इससे AIMIM को करारा झटका लगा और पार्टी का बिहार में जनाधार बिखरता हुआ नजर आने लगा।
इसी पृष्ठभूमि में अब ओवैसी ने चुनाव से पहले “4 का बदला 40 से लेंगे” का नारा देकर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हमारे विधायकों को तोड़ा, जनता उन्हें सबक सिखाएगी।
तेजस्वी यादव पर परोक्ष हमला?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ओवैसी का यह बयान दरअसल तेजस्वी यादव और उनकी पार्टी आरजेडी के खिलाफ है। क्योंकि AIMIM के जिन विधायकों ने पार्टी छोड़ी थी, वे आरजेडी में शामिल हुए थे।
हालांकि ओवैसी ने अपने भाषण में सीधे तौर पर तेजस्वी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके शब्दों में तल्खी साफ झलक रही थी। उन्होंने कहा –
“हमारे विधायकों को तोड़कर यह सोचा गया कि AIMIM खत्म हो जाएगी। लेकिन बिहार की जनता सब देख रही है। इस बार हम 40 सीटों पर चुनाव लड़कर दिखाएंगे कि AIMIM को नजरअंदाज करना आसान नहीं है।”
सीमांचल में AIMIM की पकड़
बिहार का सीमांचल इलाका (कटिहार, किशनगंज, अररिया और पूर्णिया) लंबे समय से AIMIM की राजनीति का केंद्र रहा है। मुस्लिम मतदाता यहां की राजनीति में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
साल 2020 के चुनाव में AIMIM को यहां से अच्छी सफलता मिली थी। लेकिन आरजेडी द्वारा विधायकों को अपने खेमे में शामिल कर लेने से AIMIM का असर कमजोर हुआ। अब ओवैसी एक बार फिर उसी क्षेत्र से अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
चुनाव से पहले नई रणनीति
सूत्रों के मुताबिक, AIMIM इस बार सीमांचल के अलावा मगध और मिथिलांचल क्षेत्रों में भी उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रही है। पार्टी की रणनीति मुस्लिम मतदाताओं के साथ-साथ दलित और पिछड़े वर्ग को साधने की है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर AIMIM 40 सीटों पर उम्मीदवार उतारती है तो यह सीधा असर महागठबंधन और विशेषकर आरजेडी के वोट बैंक पर पड़ेगा।
राजनीतिक विश्लेषण – किसे होगा फायदा और नुकसान?
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आरजेडी को चुनौती: AIMIM की बढ़ती सक्रियता से आरजेडी को सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है। मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा पारंपरिक रूप से आरजेडी के पक्ष में जाता रहा है।
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एनडीए को अप्रत्यक्ष फायदा: अगर AIMIM मुस्लिम वोटों में सेंधमारी करती है तो इसका फायदा बीजेपी-जेडीयू गठबंधन को हो सकता है।
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ओवैसी की छवि: यह चुनाव ओवैसी के लिए बड़ी परीक्षा होगी। अगर वह 40 सीटों पर मजबूती से खड़े रहते हैं और कुछ सीटें जीत लेते हैं तो AIMIM बिहार की राजनीति में एक स्थायी खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो सकती है।
जनता की राय और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
ओवैसी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई। ट्विटर पर #4KaBadla40 और #OwaisiInBihar जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
कुछ यूज़र्स ने AIMIM का समर्थन करते हुए लिखा –
“ओवैसी साहब ही सच्चे रहनुमा हैं, जिन्होंने मुसलमानों की आवाज़ बुलंद की।”
वहीं दूसरी ओर कई लोगों ने उनकी आलोचना करते हुए कहा –
“ओवैसी केवल वोट काटने वाली राजनीति करते हैं, बिहार की जनता उन्हें जवाब देगी।”
विपक्ष और अन्य दलों की प्रतिक्रिया
आरजेडी नेताओं ने ओवैसी के बयान को राजनीतिक नौटंकी बताया और कहा कि AIMIM का बिहार में कोई भविष्य नहीं है। जेडीयू और बीजेपी ने अभी इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है, लेकिन अंदरखाने इसे अपने लिए फायदेमंद मान रहे हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले असदुद्दीन ओवैसी का “4 का बदला 40” वाला नारा चुनावी माहौल को गर्म कर चुका है। यह नारा AIMIM कार्यकर्ताओं को तो ऊर्जा देगा ही, साथ ही आरजेडी और महागठबंधन के लिए नई चुनौती खड़ी करेगा।
अब देखने वाली बात होगी कि ओवैसी का यह ऐलान केवल राजनीतिक बयानबाज़ी साबित होता है या वाकई AIMIM बिहार की राजनीति में नई ताकत के रूप में उभरती है।