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    विजयादशमी पर इंदौर में रावण नहीं, 11 सिर वाली शूर्पणखा का होगा दहन, विवादों में घिरा अनोखा आयोजन

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    मध्य प्रदेश का इंदौर शहर इस बार विजयादशमी (2 अक्टूबर) को एक बेहद अलग और विवादित आयोजन का गवाह बनने जा रहा है। जहां पूरे देश में परंपरागत रूप से रावण दहन किया जाता है, वहीं इंदौर में इस बार ‘शूर्पणखा पुतला दहन’ होगा। आयोजकों ने घोषणा की है कि इस पुतले में कुल 11 सिर लगाए जाएंगे और इन सिरों पर उन महिलाओं के चेहरे होंगे जो पिछले वर्षों में पति की हत्या, पति को धोखा देने या वैवाहिक अपराधों में सुर्खियों में रही हैं।

    इस अनोखे आयोजन ने न केवल देश भर में बल्कि विदेशी मीडिया का भी ध्यान खींच लिया है।

    रावण की जगह शूर्पणखा का पुतला क्यों?

    आयोजन समिति के पदाधिकारियों का कहना है कि यह कदम समाज को जागरूक करने के लिए उठाया गया है।
    उनका तर्क है कि आज के समय में रावण जैसे प्रतीकात्मक दुष्ट पात्र के बजाय ‘नारी अपराधों की प्रतीक’ शूर्पणखा का पुतला जलाना ज्यादा जरूरी है।

    समिति के एक सदस्य ने कहा –
    “रावण को हम वर्षों से जलाते आ रहे हैं। लेकिन आज समाज जिन समस्याओं से जूझ रहा है, उनमें से एक है पति की हत्या या धोखा देने जैसे अपराध। इस बार हम समाज को संदेश देंगे कि बुराई किसी भी रूप में हो, उसका दमन जरूरी है।”

    11 सिर वाली शूर्पणखा का पुतला

    इस बार तैयार किया गया शूर्पणखा का पुतला बेहद अनोखा है। पुतले में कुल 11 सिर लगाए गए हैं। इनमें अलग-अलग राज्यों की उन चर्चित महिलाओं के चेहरे शामिल होंगे, जो पति हत्या या वैवाहिक अपराधों के मामलों में मीडिया की सुर्खियों में रही हैं। मेरठ की मुस्कान का नाम भी इस सूची में शामिल है।

    आयोजकों का कहना है कि इन चेहरों को प्रतीक के तौर पर जोड़ा गया है ताकि लोग समझ सकें कि अपराध का चेहरा भी स्त्री हो सकता है।

    आयोजन को लेकर मचा बवाल

    यह आयोजन जहां एक ओर चर्चा का विषय बना हुआ है, वहीं दूसरी ओर विवादों में भी घिर गया है। कई महिला संगठनों ने इसे ‘महिलाओं का अपमान’ बताया है। उनका कहना है कि इस तरह के आयोजन से समाज में गलत संदेश जाएगा कि हर महिला अपराध का प्रतीक है। सोशल मीडिया पर भी लोग बंटे हुए हैं—कुछ इसे साहसिक कदम मान रहे हैं, तो कुछ स्त्री विरोधी

    महिला अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर अपराध करने वाली महिलाओं के चेहरे दिखाकर उनका दहन किया जाएगा, तो इससे महिलाओं की समग्र छवि धूमिल होगी।

    विदेशी मीडिया की नजर

    इस आयोजन की चर्चा अब सीमाओं से बाहर भी पहुंच गई है। कई विदेशी अखबारों और ऑनलाइन पोर्टलों ने इसे “India’s Controversial Dussehra” की हेडलाइन के साथ छापा है।
    विदेशी मीडिया ने खासतौर पर इस बात पर जोर दिया है कि भारत जैसे देश में, जहां दशहरा रावण दहन का प्रतीक होता है, वहां पहली बार शूर्पणखा का पुतला दहन किया जाएगा।

    सुरक्षा और प्रशासन की तैयारी

    चूंकि आयोजन पर विवाद गहराता जा रहा है, इसलिए प्रशासन ने अतिरिक्त सुरक्षा व्यवस्था की तैयारी की है। आयोजन स्थल पर पुलिस बल की तैनाती होगी। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की जा रही है। अफसरों ने आयोजकों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि किसी भी समुदाय या वर्ग की भावनाएं आहत न हों।

    समाज में मिली-जुली प्रतिक्रिया

    लोगों की राय इस आयोजन को लेकर अलग-अलग है। कुछ का मानना है कि समाज में महिला अपराधों पर भी उतनी ही सख्ती से प्रहार होना चाहिए, जितना पुरुष अपराधियों पर होता है। वहीं दूसरी ओर, कई लोग कहते हैं कि अपराधियों को सजा देने का काम कानून और अदालतों का है, न कि पुतला दहन जैसे प्रतीकात्मक आयोजनों का।

    एक स्थानीय निवासी ने कहा –
    “यह आयोजन जरूर अलग है, लेकिन डर है कि कहीं यह समाज में महिला विरोधी मानसिकता को न बढ़ा दे।”

    इंदौर का यह आयोजन इस बार दशहरे को एक बिल्कुल नए आयाम में देखने का अवसर देगा। 11 सिर वाली शूर्पणखा का दहन भले ही समाज में बुराइयों के खिलाफ संदेश देने का प्रयास है, लेकिन इसके साथ ही इसने महिलाओं की छवि और सम्मान पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

    अब देखना यह होगा कि विजयादशमी के दिन होने वाला यह अनोखा आयोजन समाज को सकारात्मक संदेश देगा या विवादों की आग को और भड़काएगा।

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