




उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में साइबर ठगी का एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहाँ के 79 वर्षीय हीरक भट्टाचार्य साइबर ठगों के शिकार बने। ठगों ने उन्हें 5 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा और कुल 1 करोड़ 18 लाख 55 हजार रुपये की ठगी की। इस घटना ने साइबर अपराध के खतरों और बुजुर्ग नागरिकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
ठगी की प्रक्रिया
हीरक भट्टाचार्य को ठगों ने झूठे आरोपों और नकली पहचान का इस्तेमाल कर डराया। साइबर अपराधियों ने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है, और इसी डर का फायदा उठाकर उन्होंने हीरक के बैंक खाते, डिजिटल पेमेंट और अन्य वित्तीय संसाधनों तक पहुँच बनाई।
इस दौरान ठगों ने डिजिटल माध्यमों का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल किया। मोबाइल एप्स, ऑनलाइन बैंकिंग, फर्जी कॉल और ईमेल के जरिए उन्होंने बुजुर्ग को पूरी तरह से मानसिक और वित्तीय रूप से फंसाया।
डिजिटल अरेस्ट क्या है
डिजिटल अरेस्ट की तकनीक में ठग किसी व्यक्ति के स्मार्टफोन, बैंक एप या अन्य डिजिटल अकाउंट्स को नियंत्रित कर लेते हैं। ऐसे में पीड़ित अपने खाते, मोबाइल या डिजिटल उपकरणों पर नियंत्रण खो देता है। इस घटना में हीरक भट्टाचार्य को 5 दिनों तक इसी तरह फंसाकर रखकर ठगों ने रकम हड़पी।
साइबर अपराध का बढ़ता खतरा
उत्तर प्रदेश में साइबर ठगी के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। ठग नई-नई तकनीक अपनाकर बुजुर्गों और आम लोगों को निशाना बना रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्ग नागरिकों को डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन सुरक्षा के प्रति जागरूक होना बेहद जरूरी है।
साइबर ठग सोशल मीडिया, ईमेल और फोन कॉल के जरिए फर्जी संदेश भेजते हैं। इन्हें देखकर हीरक भट्टाचार्य जैसे बुजुर्ग आसानी से भ्रमित हो गए और ठगी का शिकार बने।
हीरक भट्टाचार्य की प्रतिक्रिया
हीरक भट्टाचार्य ने बताया कि ठगों ने उन्हें यह विश्वास दिलाया कि उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होने वाली है। उन्होंने अपनी पूरी जमा पूंजी और बैंक खाते का विवरण ठगों के हवाले कर दिया। “मैं कभी सोच भी नहीं सकता था कि इतने वर्षों की मेहनत और संचित धन को इस तरह से छीना जा सकता है,” हीरक ने कहा।
पुलिस और साइबर सेल की कार्रवाई
लखनऊ पुलिस और राज्य साइबर सेल ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि डिजिटल सबूतों के आधार पर ठगों की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन वे हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी फर्जी कॉल, ईमेल या डिजिटल संदेश से प्रभावित न हों और अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा करने से पहले पुष्टि करें।
विशेषज्ञों की राय
साइबर अपराध विशेषज्ञों का कहना है कि बुजुर्ग नागरिक डिजिटल ठगी के लिए सबसे संवेदनशील होते हैं। उन्हें ऑनलाइन लेन-देन में सतर्क रहना चाहिए और किसी भी अज्ञात व्यक्ति या संगठन की बातों पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए।
विशेषज्ञों ने सुझाव दिया कि बैंकिंग और डिजिटल लेन-देन के लिए हमेशा भरोसेमंद माध्यमों का उपयोग करें। साथ ही, दो-स्तरीय प्रमाणीकरण और मजबूत पासवर्ड का इस्तेमाल करना भी जरूरी है।
लखनऊ में हीरक भट्टाचार्य के साथ हुई यह साइबर ठगी घटना राज्य और देश में साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर करती है। 5 दिन तक डिजिटल अरेस्ट में रखकर 1.18 करोड़ रुपये की ठगी ने यह साबित कर दिया कि साइबर ठग अत्यधिक चालाक और खतरनाक हैं।
यह घटना लोगों को जागरूक करती है कि डिजिटल दुनिया में सतर्कता और सुरक्षा सर्वोपरि हैं। बुजुर्गों को विशेष रूप से यह संदेश दिया गया है कि वे किसी भी फर्जी कॉल या संदेश के प्रभाव में न आएँ और अपनी जमा पूंजी और वित्तीय संसाधनों की सुरक्षा के लिए हमेशा सावधानी बरतें।
आगे की कार्रवाई
लखनऊ पुलिस और साइबर सेल ने ठगों की गिरफ्तारी के लिए लगातार प्रयास तेज कर दिए हैं। डिजिटल सबूतों की जांच, बैंक ट्रांजेक्शन का विश्लेषण और संभावित संदिग्धों की पहचान में पुलिस जुटी हुई है। इस मामले की विस्तृत जांच पूरी होने के बाद ही वास्तविक आरोपी सामने आ सकेंगे।
इस घटना ने राज्य और देशभर में साइबर जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित जागरूकता अभियान और ऑनलाइन सुरक्षा के प्रशिक्षण बुजुर्गों और आम नागरिकों के लिए महत्वपूर्ण हैं।