




उत्तर प्रदेश के एक गांव में उस समय मातम पसर गया जब एक नामकरण संस्कार समारोह के दौरान जश्न अचानक गोलियों की गूंज में बदल गया। ग्राम प्रधान द्वारा की गई हर्ष फायरिंग ने एक निर्दोष व्यक्ति की जान ले ली। यह घटना न केवल उस परिवार के लिए दुखदायी बनी, बल्कि पूरे गांव को सदमे और भय में डाल गई।
घटना उत्तर प्रदेश के *[जिले का नाम] (यदि उपलब्ध हो) के एक गांव में हुई, जहां एक ग्रामीण परिवार अपने नवजात शिशु के नामकरण समारोह का आयोजन कर रहा था। समारोह में ग्राम प्रधान को भी आमंत्रित किया गया था, जो अपने साथ लाइसेंसी या गैर-लाइसेंसी असलहा लाए थे। जश्न के माहौल में, उन्होंने हवा में फायरिंग की, लेकिन एक गोली सीधे वहां मौजूद एक युवक को जा लगी, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, समारोह में बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। नामकरण की रस्म पूरी होने के बाद कुछ लोगों ने उत्साह में हर्ष फायरिंग शुरू कर दी। इसी बीच गांव के ग्राम प्रधान ने भी अपने हथियार से गोली चलाई। यह फायरिंग महज दिखावे या शक्ति प्रदर्शन के तौर पर की जा रही थी, लेकिन तभी एक गोली वहां खड़े 30 वर्षीय युवक *[मृतक का नाम] को लगी, जो अपने परिवार के साथ रस्म में शामिल होने आया था।
गोली लगते ही वहां अफरा-तफरी मच गई। लोग दौड़कर घायल व्यक्ति को अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद समारोह मातम में बदल गया।
इस अप्रत्याशित घटना से गांव में भय और तनाव का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब ग्राम प्रधान ने किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में हथियार का प्रदर्शन किया हो। इससे पहले भी कई बार उनके द्वारा हथियार लहराने या हर्ष फायरिंग करने की घटनाएं सामने आई हैं, लेकिन प्रशासन ने कभी सख्ती नहीं दिखाई।
मृतक युवक के परिजनों ने ग्राम प्रधान पर जानबूझकर हत्या का आरोप लगाया है और कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि ऐसी गैर-जिम्मेदाराना हरकत को हल्के में लेना आने वाले समय में और गंभीर परिणाम दे सकता है।
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर ली है और ग्राम प्रधान की तलाश शुरू कर दी है, जो घटना के बाद से फरार बताया जा रहा है।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) ने मीडिया को बताया कि, “हमने इस मामले को गंभीरता से लिया है। हर्ष फायरिंग से हुई इस मौत की निष्पक्ष जांच की जा रही है। आरोपी की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। यदि हथियार लाइसेंसी है तो लाइसेंस भी रद्द किया जाएगा और कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि गांवों में नेताओं द्वारा हथियारों का सार्वजनिक प्रदर्शन और हर्ष फायरिंग कब रुकेगी? आम जनता में यह असुरक्षा की भावना को बढ़ाता है। कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि प्रशासन को ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि यह एक उदाहरण बने।
भारत में हर्ष फायरिंग गैरकानूनी है, चाहे वह लाइसेंसी हथियार से की गई हो या अवैध हथियार से। भारतीय दंड संहिता और आर्म्स एक्ट के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर जेल की सजा और लाइसेंस रद्द किए जाने का प्रावधान है।
इसके बावजूद, शादी, नामकरण, या अन्य निजी आयोजनों में हर्ष फायरिंग की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं, जिनमें कई बार निर्दोष लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं।
मृतक युवक, जो परिवार में एकमात्र कमाने वाला था, उसके अचानक जाने से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। उन्होंने प्रशासन से मुआवजा, न्याय, और ग्राम प्रधान की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की है।
स्थानीय प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि पीड़ित परिवार को यथासंभव सहायता दी जाएगी और दोषी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि लापरवाही और शक्ति प्रदर्शन की मानसिकता किस कदर खतरनाक हो सकती है। जिस आयोजन में खुशियों की गूंज होनी चाहिए थी, वहां अब मातम पसरा है। यह केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं, बल्कि सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा सवाल है।
प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि ऐसे मामलों में न केवल दोषियों को सजा दिलाई जाए, बल्कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
मृतक को श्रद्धांजलि और उसके परिवार को न्याय मिलना ही इस त्रासदी का एकमात्र जवाब हो सकता है।