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    नागौर में लिथियम का खजाना, भारत बनेगा आत्मनिर्भर, चीन पर निर्भरता होगी समाप्त

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    भारत ने आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राजस्थान के नागौर जिले के डेगाना क्षेत्र की रेवंत पहाड़ियों में लिथियम का विशाल भंडार मिला है, जिसे देश के लिए ‘व्हाइट गोल्ड’ के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय भूगर्भ सर्वेक्षण (GSI) के अनुसार, यहां लगभग 14 मिलियन टन लिथियम का अनुमानित भंडार है, जो भारत की कुल लिथियम आवश्यकता का लगभग 70-80 प्रतिशत पूरा करने की क्षमता रखता है।

    लिथियम, जो चांदी जैसा सफेद और चमकदार होता है, मोबाइल, लैपटॉप, इलेक्ट्रिक वाहनों और रिचार्जेबल बैटरियों में उपयोग होता है। वर्तमान में, भारत की लिथियम की 70-80 प्रतिशत आवश्यकता चीन से आयात होती है। इस नई खोज से भारत को लिथियम के मामले में आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिलेगा और चीन पर निर्भरता कम होगी।

    केंद्र सरकार के खान मंत्रालय ने लिथियम खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू कर दी है। निविदा दस्तावेज 23 सितंबर से बिक्री के लिए उपलब्ध हैं, और जमा कराने की अंतिम तिथि 1 दिसंबर 2025 निर्धारित की गई है। खनन शुरू होने से राजस्थान के राजस्व में वृद्धि होगी और स्थानीय रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

    डेगाना की रेवंत पहाड़ियां पहले से टंगस्टन के लिए जानी जाती रही हैं। ब्रिटिश शासनकाल में 1914 में यहां टंगस्टन की खोज हुई थी, जिसका उपयोग प्रथम विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना की युद्ध सामग्री बनाने में किया गया था। अब, लिथियम के भंडार की पुष्टि ने इस क्षेत्र को एक बार फिर से खनिज संपदा के केंद्र के रूप में स्थापित किया है।

    इस खोज के बाद, भारत के अन्य राज्यों में भी लिथियम के संभावित भंडार की खोज की जा रही है। जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना क्षेत्र में 5.9 मिलियन टन लिथियम का स्टॉक मिला है। छत्तीसगढ़ के कोरबा में देश की पहली लिथियम खान की नीलामी हो चुकी है और खनन कार्य शुरू होने की प्रक्रिया में है। कर्नाटक के मांड्या जिले में 14,100 टन का भंडार मिला है। इसके अलावा, बिहार, ओडिशा, झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और गुजरात में भी लिथियम भंडार की संभावनाएं जताई जा रही हैं।

    इस नई खोज से भारत की बैटरी निर्माण क्षमता में वृद्धि होगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में तेजी आएगी और हरित ऊर्जा की दिशा में देश की प्रगति सुनिश्चित होगी। इसके साथ ही, यह कदम भारत को वैश्विक स्तर पर लिथियम आपूर्ति श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना सकता है।

    कुल मिलाकर, नागौर में लिथियम के भंडार की खोज भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि है, जो न केवल देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि आर्थिक और सामरिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण साबित होगा।

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