




महाराष्ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में हाल ही में आई भीषण बाढ़ ने लाखों किसानों की जिंदगी को प्रभावित कर दिया है। खेतों में खड़ी फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं और ग्रामीण इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। विपक्ष लगातार सरकार पर दबाव बना रहा था कि राज्य सरकार तुरंत किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करे। इस बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि दिवाली से पहले सभी प्रभावित किसानों के खाते में मुआवजा राशि सीधे जमा की जाएगी।
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि बाढ़ ने लगभग 60 लाख हेक्टेयर फसल को तबाह कर दिया है, जिससे किसानों को गहरा आर्थिक झटका लगा है। उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने तात्कालिक राहत प्रदान करने का निर्णय लिया है। किसानों को समय पर आर्थिक सहायता मिले, इसके लिए राज्य सरकार ने प्रशासन को विशेष निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि बैंक किसानों को किसी तरह से परेशान नहीं करेंगे। प्रभावित किसानों के ऋण पुनर्गठन और ब्याज पर छूट जैसे कदमों पर भी सरकार विचार कर रही है। उनका कहना था कि “इस कठिन समय में किसानों को आर्थिक और मानसिक राहत देना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
मराठवाड़ा के कई जिलों में बाढ़ का प्रभाव इतना गहरा रहा कि गांव-गांव में खड़ी खरीफ फसलें पूरी तरह नष्ट हो गईं। सोयाबीन, कपास, ज्वार और दलहन जैसी प्रमुख फसलें खेतों में ही सड़ गईं। किसानों ने अपनी पूरी मेहनत और लागत इस सीजन में झोंक दी थी, लेकिन प्राकृतिक आपदा ने उनके सपनों को तहस-नहस कर दिया।
किसानों की स्थिति को देखते हुए सरकार के इस ऐलान का स्वागत किया जा रहा है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि दिवाली जैसे बड़े त्योहार से पहले किसानों के खाते में सीधे राहत राशि डालने से उन्हें कुछ हद तक सुकून मिलेगा। उन्होंने भरोसा दिलाया कि बैंक किसानों को कर्ज वसूली या नोटिस भेजने जैसी कार्यवाही से रोक दिए जाएंगे।
इसके अलावा, फडणवीस ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि राहत वितरण में किसी तरह की देरी न हो। उन्होंने कहा कि प्रशासन को पारदर्शिता और गति दोनों के साथ काम करना होगा। सभी प्रभावित किसानों की सूची तैयार कर ली गई है और अब सीधे उनके बैंक खातों में राशि जमा की जाएगी।
राजनीतिक स्तर पर भी यह फैसला बेहद अहम माना जा रहा है। विपक्ष लगातार सरकार पर आरोप लगा रहा था कि अब तक किसानों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। कांग्रेस और एनसीपी जैसे दल किसानों की बदहाली को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे। ऐसे में फडणवीस के इस बयान को विपक्ष की मांग का जवाब भी माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस राहत पैकेज से किसानों को तत्काल आर्थिक सहारा जरूर मिलेगा, लेकिन दीर्घकालिक समाधान के लिए राज्य को कृषि क्षेत्र में निवेश और बुनियादी ढांचे को और मजबूत करना होगा। हर साल बाढ़ और सूखे जैसी आपदाएं किसानों की जिंदगी को प्रभावित करती हैं। ऐसे में स्थायी समाधान जरूरी है।
बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य अभी भी जारी है। हजारों परिवारों को अस्थायी शिविरों में रखा गया है और उन्हें भोजन, दवा और जरूरी सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। राज्य सरकार ने केंद्र से भी आर्थिक मदद की मांग की है। फडणवीस ने कहा कि केंद्र सरकार से सहयोग के लिए लगातार संपर्क किया जा रहा है और प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी हरसंभव सहायता का भरोसा दिया है।
दिवाली से पहले किसानों के खाते में मुआवजा राशि पहुंचने का वादा किसानों के लिए राहत की खबर है। हालांकि, किसान संगठनों का कहना है कि केवल मुआवजा ही पर्याप्त नहीं है, सरकार को बीमा कंपनियों पर भी दबाव डालना चाहिए ताकि वे किसानों का क्लेम जल्द से जल्द निपटाएं।
अंततः यह कहा जा सकता है कि मराठवाड़ा की बाढ़ ने महाराष्ट्र के लाखों किसानों की कमर तोड़ दी है। ऐसे समय में मुख्यमंत्री फडणवीस का यह ऐलान उम्मीद की किरण लेकर आया है। यदि प्रशासन वाकई तेजी और पारदर्शिता से काम करता है तो किसानों को दिवाली से पहले बड़ी राहत मिल सकती है। यह कदम न केवल किसानों के जीवन को स्थिर करने में मदद करेगा बल्कि सरकार की साख को भी मजबूत करेगा।