




उत्तर प्रदेश के आगरा ज़िले से एक बेहद दुखद समाचार सामने आया है, जहां मूर्ति विसर्जन के दौरान दो युवकों की डूबने से मौत हो गई, जबकि छह अन्य लापता हैं। यह हादसा यमुना नदी के पास हुआ जब भक्तगण भारी संख्या में विसर्जन के लिए जुटे थे।
इस हादसे के बाद स्थानीय पुलिस, SDRF (स्टेट डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स) और गोताखोरों की टीमों ने मौके पर पहुंच कर खोजबीन शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए शोकसंतप्त परिवारों को हरसंभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।
जानकारी के अनुसार, यह घटना शुक्रवार सुबह उस समय हुई जब विजयादशमी के अवसर पर सैकड़ों लोग शहर के अलग-अलग इलाकों से आकर यमुना नदी में देवी-देवताओं की मूर्तियों का विसर्जन कर रहे थे। श्रद्धालु मूर्तियों के साथ नदी में काफी अंदर तक चले गए थे, जहां गहराई और तेज बहाव का अंदाज़ा नहीं था।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, एक नाव का संतुलन बिगड़ने के बाद आठ लोग डूब गए, जिनमें से दो के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि बाक़ी की तलाश जारी है।
हादसे की सूचना मिलते ही पुलिस, नगर प्रशासन, दमकल विभाग और SDRF की टीमें तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गईं। राहत कार्य के लिए ड्रोन, मोटरबोट और गहरे पानी में गोताखोरी की तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि SDRF की दो टीमें, स्थानीय प्रशासन और नाविकों की मदद से नदी में लगातार खोज कर रही हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन रातभर चलेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा:
“आगरा में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई दुर्घटना अत्यंत दुखद है। मृतकों के परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं। जिला प्रशासन को राहत व बचाव कार्य में तेजी लाने और पीड़ित परिवारों को हरसंभव सहायता देने के निर्देश दिए हैं।”
सीएम ऑफिस से प्राप्त जानकारी के अनुसार, मृतकों के परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी और घायलों का मुफ्त इलाज सुनिश्चित किया गया है।
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में ग़ुस्सा और दुख दोनों व्याप्त है। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने इतने बड़े आयोजन के लिए पर्याप्त सुरक्षा और सावधानी नहीं बरती। कई लोगों ने बताया कि विसर्जन घाटों पर कोई सुरक्षात्मक बैरिकेडिंग नहीं थी, न ही पर्याप्त पुलिस बल या बचाव दल तैनात थे।
स्थानीय निवासी रामप्रकाश शर्मा ने बताया, “हर साल यहीं विसर्जन होता है, लेकिन इस बार भीड़ ज्यादा थी और प्रशासन ने कोई एहतियात नहीं लिया। अगर बचाव नावें पहले से होतीं, तो शायद यह हादसा टल सकता था।”
यह घटना एक बार फिर बताती है कि धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा प्रबंध कितना अहम है। हर साल मूर्ति विसर्जन के दौरान देश के कई हिस्सों में इस प्रकार की घटनाएं सामने आती हैं, जो कि सरकार और समाज दोनों के लिए चिंता का विषय है।
विशेषज्ञों का कहना है कि:
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विसर्जन स्थलों पर बैरिकेडिंग होनी चाहिए।
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सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।
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गोताखोरों को पहले से तैयार रखा जाए।
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CCTV और ड्रोन निगरानी की व्यवस्था हो।
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सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को एक बार में नदी में जाने की अनुमति मिले।
आगरा में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुआ यह हादसा दुखद है और हमें चेतावनी देता है कि सुरक्षा के प्रति लापरवाही जानलेवा हो सकती है। दो लोगों की मौत और छह का लापता होना न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि प्रशासन और समाज दोनों की साझा ज़िम्मेदारी की भी परीक्षा है।