




मुंबई की शिवसेना की दशहरा रैली इस बार भी राजनीतिक संदेशों और तीखे हमलों से गूंज उठी। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में एकनाथ शिंदे और भारतीय जनता पार्टी पर सीधा हमला बोला। उन्होंने बाघ की खाल ओढ़े भेड़िये की कहानी सुनाकर अपने विरोधियों पर कटाक्ष किया। हालांकि उन्होंने किसी का नाम सीधे नहीं लिया, लेकिन पूरे भाषण में उनका इशारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर साफ झलकता रहा।
ठाकरे ने अपने भाषण में कहा कि राजनीति में ऐसे लोग आए हैं जो बाहर से शेर जैसे दिखते हैं, लेकिन असल में भीतर से भेड़िये हैं। उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि किस तरह भेड़िया बाघ की खाल ओढ़कर लोगों को भ्रमित करता है। उनके इस बयान को शिंदे खेमे पर तंज के तौर पर देखा जा रहा है। उद्धव ने आगे कहा कि जनता सब जानती है और सच ज्यादा दिनों तक छिपाया नहीं जा सकता।
दशहरा रैली में ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने वादे तो बहुत किए, लेकिन किसानों और आम जनता की स्थिति में सुधार नहीं हुआ। खासकर मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों पर आए संकट का जिक्र करते हुए ठाकरे ने कहा कि वहां किसान अब भी कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि किसानों के लिए तत्काल कर्ज माफी की घोषणा की जाए।
उन्होंने शिवसैनिकों से अपील की कि वे मराठवाड़ा और विदर्भ के प्रभावित किसानों की मदद के लिए आगे आएं। ठाकरे ने कहा कि शिवसेना केवल सत्ता की राजनीति करने वाली पार्टी नहीं है, बल्कि यह किसानों और आम जनता की आवाज उठाने वाली पार्टी है। उन्होंने याद दिलाया कि शिवसेना की असली ताकत जनता और शिवसैनिकों की निष्ठा में है।
अपने भाषण में ठाकरे ने भावनात्मक लहजे में यह भी कहा कि महाराष्ट्र की राजनीति अब दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक ओर वे लोग हैं जो सत्ता के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं, और दूसरी ओर वे लोग हैं जो सिद्धांतों के साथ खड़े हैं। उन्होंने श्रोताओं से पूछा कि वे किसके साथ खड़े रहना चाहते हैं—सिद्धांतों वाली शिवसेना या सत्ता के लिए समझौता करने वालों के साथ।
इस रैली में ठाकरे का भाषण शेर और भेड़िये की कहानी तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि उन्होंने बीजेपी और शिंदे सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि जनता महंगाई, बेरोजगारी और किसानों की समस्याओं से जूझ रही है, लेकिन सरकार केवल सत्ता बचाने और कुर्सी पर टिके रहने की राजनीति कर रही है।
सभा में मौजूद भीड़ ने ठाकरे के हर कटाक्ष और हर आक्रामक बयान पर तालियां बजाकर उनका साथ दिया। खासकर जब उन्होंने किसानों के मुद्दे उठाए, तो भीड़ ने जोरदार समर्थन दिया। ठाकरे ने अपने भाषण को यह कहते हुए समाप्त किया कि शिवसैनिक अब पहले से ज्यादा मजबूती के साथ अपने सिद्धांतों पर अडिग रहेंगे और महाराष्ट्र की जनता के लिए लड़ाई लड़ेंगे।
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ठाकरे का यह भाषण आगामी चुनावों से पहले अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को एकजुट करने की रणनीति का हिस्सा है। दशहरा रैली हमेशा से शिवसेना की ताकत दिखाने का मंच रही है, और इस बार भी उद्धव ने इसी मंच से अपने विरोधियों को चुनौती दी है।
कुल मिलाकर, उद्धव ठाकरे की इस दशहरा सभा ने फिर से यह स्पष्ट कर दिया कि महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना (उद्धव गुट) और शिवसेना (शिंदे गुट) के बीच खींचतान अभी और तेज होगी। ठाकरे का “बाघ की खाल ओढ़े भेड़िये” वाला रूपक आने वाले दिनों में राजनीतिक बहस का केंद्र बन सकता है। किसानों के मुद्दे और बीजेपी पर सीधे हमले ने इस रैली को और भी खास बना दिया है।