




मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में एक महिला, यास्मीन कुरैशी, ने अपने तीन बच्चों की गुमशुदगी और पुलिस की कथित निष्क्रियता पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने विधायक रमेश्वर शर्मा को एक विस्तृत आवेदन देकर स्वतंत्र जांच, बच्चों की बरामदगी और परिवार की सुरक्षा की मांग की है।
यास्मीन कुरैशी, जो मदर इंडिया कॉलोनी, ईदगाह हिल्स, थाना हुजूर, भोपाल की निवासी हैं, का कहना है कि उनके परिवार के साथ पिछले कई महीनों से “लगातार भयावह घटनाएँ” घट रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि स्थानीय पुलिस और कुछ राजनीतिक प्रभावशाली व्यक्तियों की मिलीभगत से उनके बच्चों के अपहरण के मामलों की निष्पक्ष जांच नहीं की जा रही है।
यास्मीन के आवेदन के अनुसार:
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फरवरी 2025 में उनके पुत्र नवाब कुरैशी का अपहरण हुआ था, जिसकी FIR संख्या 0098/2025 दर्ज की गई।
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इस मामले में हाईकोर्ट में भी एक प्रकरण (MCRC 16260/2023, CrPC 482) लंबित है, जिसमें पुलिस की कार्यप्रणाली पर प्रश्न उठाए गए हैं।
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हाल ही में, 1 अक्टूबर 2025 की शाम करीब 5:30 बजे, उनके दो अन्य बच्चे — नौशीन कुरैशी (आयु 14–15 वर्ष) और उमेजा कुरैशी (आयु 8–9 वर्ष) — भी सज्दा नगर / शाहिद नगर क्षेत्र से लापता हो गए।
यास्मीन के अनुसार, घटनास्थल गंज-ए-शहीदान मस्जिद (क़लंदरी) के पास है। उन्होंने बताया कि उनके पास “वीडियो और फोटो साक्ष्य” मौजूद हैं, जिनमें आरोपियों के विरोधाभासी बयान भी दर्ज हैं।
यास्मीन कुरैशी ने अपने आवेदन में कुछ स्थानीय राजनीतिक व्यक्तियों के नाम लेते हुए आरोप लगाया कि “राजनीतिक संरक्षण और प्रभाव” के चलते पुलिस निष्पक्ष कार्रवाई नहीं कर रही।
उन्होंने संदेह जताया कि कुछ नेताओं — जैसे आरिफ मसूद (उत्तर विधानसभा), आतिफ अखिल (आप) और साहुद पार्षद (पूर्व कांग्रेस, वर्तमान आप) — के इशारे पर थाना फिज़ा और थाना शाहजहानाबाद में मामले को “दबाने की कोशिश” हो रही है।
महिला ने कहा कि “मेरे बच्चों की जान को खतरा है, और अब मुझे भी धमकियाँ मिल रही हैं। मैं चाहती हूँ कि किसी स्वतंत्र एजेंसी या उच्च-स्तरीय समिति द्वारा इस पूरे मामले की जांच कराई जाए।”
विधायक रमेश्वर शर्मा को लिखे आवेदन में यास्मीन कुरैशी ने कहा कि पुलिस को कई बार शिकायत देने के बावजूद अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
उन्होंने विधायक से अनुरोध किया है कि वे इस मामले को राज्य सरकार के स्तर पर उठाएँ, ताकि बच्चों की सुरक्षित बरामदगी और दोषियों की गिरफ्तारी हो सके।
उन्होंने कहा, “अगर न्याय नहीं मिला तो मैं प्रदेश की जनता और मीडिया के सामने यह मुद्दा उठाऊँगी, क्योंकि यह केवल मेरे परिवार का नहीं, बल्कि न्याय प्रणाली पर लोगों के विश्वास का सवाल है।”
इस मामले में अब तक पुलिस प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। सूत्रों के अनुसार, थाना शाहजहानाबाद और थाना फिज़ा में शिकायत दर्ज कर ली गई है, लेकिन जाँच धीमी गति से चल रही है।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना पर चिंता जताई है और कहा है कि बच्चों की सुरक्षा और महिलाओं की सुनवाई के लिए पुलिस को अधिक संवेदनशील रवैया अपनाना चाहिए।
भोपाल में यास्मीन कुरैशी का यह मामला केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पुलिस निष्पक्षता और राजनीतिक हस्तक्षेप पर उठ रहे सवालों का प्रतीक बन गया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि क्या विधायक और प्रशासन इस मामले में तत्परता दिखाते हैं या यह भी कई अन्य गुमशुदगी मामलों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।