




भारत में त्योहारी सीजन हमेशा से ही सोने की खरीदारी के लिए शुभ माना जाता है। दशहरा और दिवाली जैसे पर्वों पर आभूषण बाजारों में रौनक देखने को मिलती है। लेकिन इस बार दशहरा बाजार का हाल कुछ अलग ही रहा। सोने की आसमान छूती कीमतों ने ग्राहकों की जेब पर ऐसा असर डाला कि बिक्री में भारी गिरावट दर्ज की गई। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल दशहरा के अवसर पर सोने की ज्वेलरी की बिक्री में लगभग 25 प्रतिशत की कमी आई है।
जहां एक तरफ त्योहारों के दौरान लोग पारंपरिक रूप से सोना खरीदना शुभ मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ रिकॉर्ड स्तर तक बढ़ी कीमतों ने आम उपभोक्ताओं को खरीदारी से रोक दिया। गोल्ड मार्केट से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल सोने की डिमांड में आई कमी का सबसे बड़ा कारण लगातार बढ़ती कीमतें हैं। पिछले कुछ महीनों से सोना लगभग हर सप्ताह नया रिकॉर्ड बना रहा है। इस वजह से उपभोक्ताओं की प्राथमिकता बदल गई और उन्होंने त्योहार पर अन्य विकल्पों की ओर रुख किया।
त्योहारी सीजन में ज्वेलरी शॉप्स पर हर साल खरीदारों की लंबी कतारें देखने को मिलती थीं। लेकिन इस बार नजारा अलग रहा। दुकानदारों के मुताबिक कई लोग दुकानों तक आए जरूर, पर कीमतें जानने के बाद उन्होंने खरीदारी टाल दी। यहां तक कि मध्यम वर्गीय परिवारों ने भी सोने की बजाय चांदी, आर्टिफिशियल ज्वेलरी या अन्य उपहारों पर खर्च करना बेहतर समझा।
आंकड़ों पर नजर डालें तो दशहरा 2025 में पिछले साल की तुलना में 25 प्रतिशत कम बिक्री दर्ज की गई। यह गिरावट ज्वेलरी बाजार के लिए बड़ा झटका है। ज्वेलर्स का कहना है कि महंगाई ने पहले ही लोगों की जेब पर असर डाला है और सोने की लगातार बढ़ती कीमतों ने त्योहार की पारंपरिक खरीदारी पर भी रोक लगा दी।
वित्तीय विशेषज्ञ मानते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतें बढ़ने का असर भारतीय बाजार पर साफ देखा जा रहा है। अमेरिका और यूरोप में आर्थिक अस्थिरता, डॉलर की मजबूती और वैश्विक स्तर पर निवेशकों का झुकाव सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की ओर होने के कारण इसकी कीमतें लगातार चढ़ रही हैं। भारत में आयातित सोने पर टैक्स और अन्य शुल्कों ने भी इसकी लागत को और बढ़ा दिया है।
इस साल दशहरा पर 24 कैरेट सोने का भाव कई शहरों में 65,000 रुपये प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गया। वहीं 22 कैरेट सोना भी 60,000 रुपये से ऊपर कारोबार करता रहा। यह स्थिति उपभोक्ताओं के लिए भारी साबित हुई। जहां पहले परिवार दशहरा पर सोने की चेन, कंगन या अंगूठी खरीद लेते थे, अब वे इनकी कीमतें सुनकर पीछे हट गए।
ज्वेलरी उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि यदि यही स्थिति दिवाली तक जारी रही तो बिक्री में और गिरावट दर्ज हो सकती है। दिवाली और धनतेरस सोने की खरीदारी के लिहाज से सबसे बड़े दिन माने जाते हैं। लेकिन इस बार ग्राहकों की संख्या कम रहने की आशंका जताई जा रही है।
हालांकि, कुछ बड़े ग्राहक और निवेशक वर्ग अब भी सोना खरीदने से पीछे नहीं हट रहे। उनका मानना है कि कीमतें भले ही ऊंची हों, लेकिन सोना लंबे समय में हमेशा सुरक्षित निवेश साबित होता है। यही कारण है कि बाजार में छोटे स्तर की खरीदारी भले ही घटी हो, लेकिन निवेशक वर्ग की ओर से मांग बनी हुई है।
ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताओं का असर आभूषण बाजार पर साफ देखा जा रहा है। कई दुकानदारों ने बताया कि लोग अब छोटे आर्टिकल्स जैसे हल्के वजन की चेन, छोटे झुमके या अंगूठियां खरीद रहे हैं। इसके अलावा चांदी की खरीदारी में भी इस बार बढ़ोतरी देखी गई।
सोने की ऊंची कीमतों ने ऑनलाइन गोल्ड ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर भी असर डाला है। डिजिटल गोल्ड में निवेश की प्रवृत्ति बढ़ी है, क्योंकि लोग कम राशि से भी सोने में निवेश कर पा रहे हैं। हालांकि, यह प्रवृत्ति पारंपरिक ज्वेलरी बाजार के लिए चिंता का कारण बन रही है।
त्योहारी सीजन में सोने की बिक्री में आई गिरावट यह संकेत देती है कि महंगाई ने उपभोक्ताओं की खरीद क्षमता को गहरा प्रभावित किया है। सोना हमेशा से भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा रहा है और त्योहारों पर इसे खरीदना परंपरा का हिस्सा माना जाता है। लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण आम लोगों के लिए इस परंपरा को निभाना मुश्किल हो गया है।
इस स्थिति ने सरकार और उद्योग दोनों के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। एक तरफ सरकार को गोल्ड इंपोर्ट बिल पर नियंत्रण रखना है, वहीं दूसरी तरफ उद्योग जगत को ग्राहकों के लिए नए विकल्प और स्कीमें तैयार करनी होंगी ताकि मांग बनी रहे।
दशहरा 2025 ने यह साफ कर दिया है कि सोने की कीमतों में आई तेजी का सीधा असर भारतीय आभूषण बाजार पर पड़ा है। 25 प्रतिशत की गिरावट उद्योग के लिए चेतावनी है कि यदि जल्द ही कीमतें नियंत्रित नहीं हुईं तो दिवाली और आगे के पर्वों पर भी बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।