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    कृषि विभाग फाजिल्का द्वारा अबोहर के गाँव रायपुरा में किसान जागरूकता शिविर का आयोजन, पराली प्रबंधन पर दिया जोर

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    जियान सहानी | फाजिल्का | समाचार वाणी न्यूज़

    उपायुक्त अमरप्रीत कौर संधू के दिशा-निर्देशों के तहत कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, फाजिल्का द्वारा ब्लॉक अबोहर के गाँव रायपुरा (सर्कल वहाबवाला) में आईईसी गतिविधि के अंतर्गत एक किसान जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
    इस शिविर का मुख्य उद्देश्य किसानों को धान की पराली न जलाने के लिए जागरूक करना और उन्हें आधुनिक कृषि उपकरणों के प्रयोग के लिए प्रेरित करना था।

    शिविर के दौरान कृषि विभाग के एडीओ प्रवीण कुमार और एएसआई प्रवीण कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि धान की पराली को जलाने की बजाय उसे सुपर सीडर, हैप्पी सीडर, रोटावेटर और अन्य आधुनिक यंत्रों की सहायता से मिट्टी में मिलाना चाहिए।
    उन्होंने बताया कि ऐसा करने से न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति बनी रहती है, बल्कि मिट्टी के मित्र कीटों का भी संरक्षण होता है, जो फसल उत्पादन में सहायक हैं।

    अधिकारियों ने किसानों को समझाया कि पराली जलाने से वायुमंडल में प्रदूषण बढ़ता है, सांस संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है और कई बार सड़क दुर्घटनाएँ भी होती हैं। इसलिए सभी किसानों को इस गंभीर समस्या से बचने के लिए जागरूक होना आवश्यक है।

    कृषि विभाग के विशेषज्ञों ने बताया कि सरकार द्वारा किसानों को पराली प्रबंधन हेतु विभिन्न सब्सिडी आधारित कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
    इन उपकरणों की सहायता से पराली को जलाने के बजाय मिट्टी में मिलाकर कार्बनिक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है, जिससे फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है।

    शिविर में किसानों को यह भी बताया गया कि पराली को खेत में मिलाने से नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश जैसे आवश्यक पोषक तत्व मिट्टी में बने रहते हैं। यह प्रक्रिया लंबे समय तक भूमि की उत्पादकता को बनाए रखती है।

    विभागीय अधिकारियों ने किसानों को चेताया कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआँ पर्यावरण के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत हानिकारक है।
    इससे फेफड़ों की बीमारियाँ, दमा, एलर्जी और दिल की समस्याएँ बढ़ जाती हैं।
    साथ ही, वायु प्रदूषण के कारण दृश्यता कम होने से सड़कों पर दुर्घटनाएँ होने का खतरा भी बढ़ता है।

    उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर कठोर कार्रवाई के प्रावधान किए हैं, जिसमें जुर्माने और केस दर्ज करने तक की प्रक्रिया शामिल है। इसलिए किसानों को चाहिए कि वे स्वेच्छा से पराली न जलाएँ और पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें।

    शिविर में किसानों को बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत सामुदायिक कृषि यंत्र केंद्र (CHC) स्थापित किए गए हैं, जहाँ किसान कम लागत पर यंत्र किराये पर ले सकते हैं।
    इसके अलावा, किसानों को पराली प्रबंधन संबंधी प्रशिक्षण, सब्सिडी योजना, और सरकारी हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी गई।

    अधिकारियों ने किसानों से यह भी अपील की कि वे गाँव में अन्य किसानों को भी इस अभियान से जोड़ें और “ना जलाएँ पराली, बचाएँ पर्यावरण” का संदेश घर-घर पहुँचाएँ।

    गाँव रायपुरा के किसानों ने विभाग के प्रयासों की सराहना की और कहा कि ऐसे शिविर किसानों के लिए बेहद उपयोगी हैं।
    उन्होंने विभाग से और अधिक बार ऐसे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की मांग की ताकि ग्रामीण स्तर पर हर किसान नई तकनीकों से परिचित हो सके।

    किसानों ने यह भी कहा कि पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलने से उन्हें खेती में नई दिशा और प्रोत्साहन मिला है।

    फाजिल्का जिले के गाँव रायपुरा में आयोजित यह किसान जागरूकता शिविर किसानों में पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ कृषि के प्रति नई सोच लेकर आया।
    कृषि एवं किसान कल्याण विभाग का यह प्रयास न केवल प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हरित कृषि क्रांति की ओर एक सशक्त कदम भी है।

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