




जियान सहानी | फाजिल्का | समाचार वाणी न्यूज़
पंजाब के फाजिल्का जिले में शिक्षा विभाग द्वारा किशोर शिक्षा कार्यक्रम (Adolescent Education Programme – AEP) के अंतर्गत दो दिवसीय एडवोकेसी प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
यह कार्यक्रम एस.सी.ई.आर.टी. पंजाब और पंजाब राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी के सहयोग से आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य शिक्षकों को विद्यार्थियों के मानसिक, सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं के प्रति जागरूक बनाना था।
इस प्रशिक्षण में जिले के सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य, नोडल अधिकारी, तथा 10 निजी स्कूलों के नामित शिक्षकों ने भाग लिया।
कार्यक्रम का नेतृत्व जिला शिक्षा अधिकारी अजय शर्मा ने किया, जिन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग केवल अकादमिक विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि विद्यार्थियों के मानसिक और सामाजिक विकास की दिशा में भी लगातार कार्यरत है।
नोडल अधिकारी विजय पाल ने बताया कि यह दो दिवसीय कार्यक्रम पूर्णतः सफल रहा और शिक्षकों के लिए एक नए युग की शुरुआत के समान है।
उन्होंने कहा कि ऐसे प्रशिक्षण शिक्षकों को विद्यार्थियों की समस्याओं को समझने और उन्हें उचित मार्गदर्शन देने में सक्षम बनाते हैं।
कार्यक्रम स्कूल ऑफ एमिनेंस और डी.सी. डी.ए.वी. स्कूल फाजिल्का में अलग-अलग समूहों में आयोजित किया गया।
पंजाब एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा नामित संसाधन व्यक्ति डॉ. नीलू चुघ ने एचआईवी/एड्स के कारणों, लक्षणों और रोकथाम के उपायों पर विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि समाज में एचआईवी से पीड़ित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए क्योंकि यह कोई छूत की बीमारी नहीं है।
उन्होंने हेल्पलाइन नंबर 1097 की जानकारी देते हुए बताया कि इस नंबर पर एचआईवी/एड्स से जुड़ी कोई भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
काउंसलर पुष्पा और रिचा ने शिक्षकों को बताया कि बच्चों की नियमित काउंसलिंग बहुत आवश्यक है ताकि उनके व्यवहार में हो रहे परिवर्तनों को समय पर पहचाना जा सके।
उन्होंने माता-पिता और शिक्षकों के बीच बेहतर संवाद की आवश्यकता पर बल दिया ताकि किशोरावस्था से जुड़ी चुनौतियों को संवेदनशीलता से संभाला जा सके।
डीएवी कॉलेज ऑफ एजुकेशन अबोहर के प्रिंसिपल डॉ. विजय ग्रोवर ने कहा कि शिक्षकों को विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाना चाहिए ताकि वे अपनी समस्याओं को खुलकर साझा कर सकें।
प्रशिक्षण के दौरान अजय घोसला ने व्यक्तित्व विकास और सार्वजनिक व्यवहार पर सत्र लिया।
उन्होंने कहा कि किसी व्यक्ति की भाषा, पहनावा और बोलचाल का तरीका उसके व्यक्तित्व का आईना होता है, इसलिए शिक्षकों और विद्यार्थियों दोनों को इन क्षेत्रों में निरंतर सुधार करना चाहिए।
मनोचिकित्सक डॉ. महेश और डॉ. पिकाक्षी ने कहा कि आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में तनाव से बचने के लिए खेलकूद और व्यायाम को जीवन का हिस्सा बनाना जरूरी है।
उन्होंने सलाह दी कि शिक्षकों को विद्यार्थियों के साथ मित्रवत संबंध बनाए रखने चाहिए ताकि बच्चे खुलकर अपनी भावनाएँ साझा कर सकें।
नीता पंधू ने कहा कि स्कूलों में किशोरावस्था में होने वाले शारीरिक परिवर्तनों पर भी जागरूकता सत्र आयोजित किए जाने चाहिए ताकि विद्यार्थी इन बदलावों को समझें और घबराएँ नहीं।
साथ ही, उन्होंने साइबर सुरक्षा पर भी जोर देते हुए कहा कि बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि मोबाइल और सोशल मीडिया का जिम्मेदारी से उपयोग कैसे किया जाए।
प्रधानाचार्य राजीव मक्कड़ ने कार्यक्रम के दौरान किशोर शिक्षा कार्यक्रम को लागू करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की, जिनके समाधान के लिए विशेषज्ञों ने सहयोग का आश्वासन दिया।
शिक्षिका रूपिंदर कौर ने समाज में बच्चों के व्यवहार और स्कूल स्वास्थ्य एवं तंदुरुस्ती कार्यक्रम पर व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम के संयोजक गुरछिंदर पाल सिंह ने पूरी रूपरेखा तैयार की जिससे आयोजन अपने उद्देश्य में सफल रहा।
प्रधानाचार्य हरि चंद कंबोज ने संसाधन व्यक्तियों का स्वागत और धन्यवाद किया, जबकि राजिंदर विखोना ने मंच संचालन किया।
इस अवसर पर डी.सी.डी.ए.वी. स्कूल की प्रधानाचार्या मैडम मनी, प्रधानाचार्य हंस राज, शिवम, अंकित सेठी सहित अनेक शिक्षकों ने कार्यक्रम की सफलता में योगदान दिया।
फाजिल्का में आयोजित यह दो दिवसीय एडवोकेसी प्रशिक्षण न केवल शिक्षकों के लिए ज्ञानवर्धक रहा, बल्कि इसने किशोर शिक्षा के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया है।
यह पहल आने वाले समय में बच्चों के मानसिक, सामाजिक और शारीरिक विकास में मील का पत्थर साबित होगी।