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    टीकाकरण के बाद भी आवारा कुत्ते के काटने से महिला की रेबीज से मौत, स्वास्थ्य विभाग में मची हलचल

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    आवारा कुत्ते के काटने से पीड़ित एक 65 वर्षीय महिला की मौत ने इलाके में हड़कंप मचा दिया है। यह घटना इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि महिला को समय पर रेबीज का टीकाकरण भी किया गया था, बावजूद इसके वे इस जानलेवा बीमारी को हरा नहीं सकीं। यह मामला कोट्टायम के ओमल्लूर क्षेत्र का है, जहां 4 सितंबर को बस स्टॉप पर महिला के चेहरे पर आवारा कुत्ते ने हमला किया था।

    महिला को तुरंत नजदीकी सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उनका रेबीज के उपचार के लिए इलाज चल रहा था। अस्पताल के चिकित्सकों ने पूरी कोशिश की, परंतु महिला की हालत खराब होती चली गई और अंततः शनिवार को उनका निधन हो गया।

    स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है कि महिला की मौत का कारण रेबीज संक्रमण था। उन्होंने बताया कि जिस कुत्ते ने महिला को काटा था, वह बाद में मृत पाया गया। विभाग अब जांच कर रहा है कि क्या उक्त कुत्ते ने किसी अन्य व्यक्ति को भी नुकसान पहुँचाया है या नहीं।

    डॉग बाइट से होने वाला रेबीज एक घातक वायरल संक्रमण है जो संक्रमित जानवर के काटने या खरोंच के माध्यम से फैलता है। आमतौर पर, यदि टीकाकरण सही तरीके से और समय पर किया जाए, तो इसे रोका जा सकता है। लेकिन इस घटना ने चिकित्सा प्रणाली की तत्परता और टीकाकरण के प्रभाव पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

    स्थानीय प्रशासन ने आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या को देखते हुए कड़े कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए विशेष अभियान चलाने की घोषणा की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।

    आवारा कुत्तों के हमले के बढ़ते मामलों ने स्थानीय जनता में भय का माहौल बना दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ और अधिकारियों ने नागरिकों से अपील की है कि अगर किसी को भी कुत्ते ने काटा है तो तुरंत अस्पताल जाकर पूरी चिकित्सा जांच और उपचार कराएं।

    यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना हमें यह सिखाती है कि आवारा पशुओं से सावधानी बरतना और तुरंत चिकित्सा सहायता लेना कितना महत्वपूर्ण है। साथ ही, यह स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए एक चेतावनी भी है कि वे आवारा पशुओं और रेबीज संक्रमण की रोकथाम के लिए और प्रभावी कदम उठाएं।

    कोट्टायम की इस घटना ने दिखाया है कि रेबीज जैसी घातक बीमारी से बचाव के लिए समय पर और सही इलाज बेहद जरूरी है। साथ ही आवारा पशुओं पर नियंत्रण और जागरूकता अभियानों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य विभाग की जांच और प्रशासन के कदमों पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं

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