




अरब सागर से उठे चक्रवाती तूफान ‘शक्ति’ की तीव्रता अब धीरे-धीरे कम होती दिख रही है, लेकिन इसके प्रभाव ने महाराष्ट्र, गोवा और कर्नाटक सहित पश्चिमी तट के कई इलाकों को हिला कर रख दिया है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने जानकारी दी है कि सोमवार से इस चक्रवात की गति और प्रभाव दोनों में गिरावट आनी शुरू हो जाएगी, लेकिन समुद्र अब भी उथल-पुथल में है और मुंबई सहित कई तटीय शहरों में मछुआरों और आम नागरिकों को समुद्र से दूर रहने की सख्त सलाह दी गई है।
तूफान ‘शक्ति’ पिछले तीन दिनों से समुद्री तटों पर सक्रिय रहा और इसके चलते कई जगहों पर भारी बारिश, तेज हवाएं और ऊंची लहरों की स्थिति बनी रही। महाराष्ट्र के कोंकण तट, मुंबई, पालघर और रायगढ़ में भारी वर्षा दर्ज की गई, वहीं गोवा और कर्नाटक में भी जलभराव की स्थिति बनी। मौसम विभाग का कहना है कि इस चक्रवात का सबसे तीव्र असर अब गुजर चुका है, लेकिन इसकी वजह से बनी नमी अगले 48 घंटों तक बारिश की संभावना को बनाए रखेगी।
‘शक्ति’ नाम से चर्चा में आए इस तूफान को लेकर आम लोगों के मन में एक सवाल यह भी है कि इस तूफान का नाम आखिर पड़ा कैसे? दरअसल, चक्रवातों के नामकरण की एक अंतरराष्ट्रीय प्रक्रिया होती है, जिसमें विश्व मौसम संगठन (WMO) के अंतर्गत आने वाले सदस्य देश पहले से सुझाए गए नामों की सूची बनाते हैं। इस सूची में भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, ओमान, थाईलैंड, ईरान और अन्य देशों द्वारा दिए गए नाम शामिल होते हैं।
‘शक्ति’ नाम भारत द्वारा सुझाया गया था, और यह नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “शक्ति” या “ऊर्जा”। इसका तात्पर्य है प्राकृतिक शक्ति की वह असीम क्षमता, जो जीवन को प्रभावित कर सकती है – सकारात्मक रूप से भी और विनाशकारी रूप से भी। यह नाम न केवल चक्रवात की ताकत को दर्शाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और भाषाई परंपराओं को भी सम्मानित करता है।
हालांकि, यह चक्रवात ज्यादा दिनों तक बहुत अधिक तीव्र नहीं रहा, लेकिन जिस गति से यह तटीय इलाकों की ओर बढ़ा और जिस तरह इसने अचानक मौसम में बदलाव किया, उसने प्रशासन और नागरिकों को पूरी तरह सतर्क कर दिया। मुंबई में रविवार को हाई टाइड के दौरान लहरें सामान्य से लगभग 4.5 मीटर ऊंची उठीं, जिससे कई निचले इलाकों में जलजमाव की स्थिति बनी। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी थी और आपातकालीन सेवाओं को अलर्ट पर रखा गया था।
गोवा में भी समुद्री तटों पर पर्यटकों की आवाजाही पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी, जबकि कर्नाटक के उडुपी और मेंगलुरु जिलों में भारी वर्षा के चलते यातायात बाधित हुआ। किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ा, खासकर उन इलाकों में जहां धान की फसल कटाई के लिए तैयार थी।
भारतीय नौसेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की टीमें भी अलर्ट पर रहीं। समुद्री क्षेत्रों में मछुआरों को न जाने की सख्त चेतावनी दी गई, जो मंगलवार तक लागू रहेगी। IMD का कहना है कि यह तूफान अब एक “डिप्रेशन” में बदल रहा है, और इसके कमजोर पड़ने के साथ ही मौसम धीरे-धीरे सामान्य हो जाएगा।
जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में, इस प्रकार के चक्रवात अब अधिक बार और अधिक तीव्रता से सामने आने लगे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि समुद्र की सतह का बढ़ता तापमान ऐसे तूफानों के बनने में बड़ी भूमिका निभा रहा है। तूफान ‘शक्ति’ भले ही अब खतरा नहीं है, लेकिन यह एक चेतावनी है कि हमें जलवायु संकट को लेकर सजग और सतर्क रहने की आवश्यकता है।
वर्तमान में तूफान की गति 40–50 किमी प्रति घंटा तक दर्ज की जा रही है, जो कि एक मध्यम श्रेणी की हवाओं की गति मानी जाती है। इसकी दिशा धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व की ओर बदल रही है, और इसके बचे हुए प्रभाव अगले 24 से 36 घंटों में ओडिशा और छत्तीसगढ़ तक पहुंच सकते हैं, जहां हल्की से मध्यम बारिश की संभावना बनी हुई है।
सरकार की ओर से राहत कार्यों की समीक्षा की जा रही है और तटीय जिलों के प्रशासन को सतर्क रहने का निर्देश अब भी लागू है। साथ ही, मछुआरों को समुद्र में नहीं जाने और नागरिकों को अफवाहों से दूर रहकर केवल अधिकृत जानकारी पर भरोसा करने की अपील की गई है।