




भोपाल में यातायात नियमों का पालन न करने वालों पर इस बार कार्रवाई पुलिस वालों पर ही भारी पड़ गई। शहर में ट्रैफिक पुलिस ने बिना हेलमेट दोपहिया वाहन चलाने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया, जिसमें कुल ₹79,000 का चालान वसूला गया। यह कार्रवाई राज्य के डीजीपी के निर्देश पर की गई, जिनके आदेश थे कि सड़क सुरक्षा नियमों के उल्लंघन पर कोई रियायत नहीं दी जाएगी, चाहे वह आम नागरिक हो या पुलिसकर्मी।
इस अभियान ने पूरे शहर में चर्चा पैदा कर दी है क्योंकि आमतौर पर पुलिस कर्मी खुद नियमों का पालन करवाते हैं, लेकिन इस बार वही कानून के दायरे में आ गए। ट्रैफिक पुलिस के इस कदम की सराहना की जा रही है क्योंकि इसने यह स्पष्ट संदेश दिया है कि “नियम सबके लिए समान हैं।”
सूत्रों के अनुसार, बीते दो दिनों में ट्रैफिक पुलिस की विशेष टीम ने शहर के विभिन्न इलाकों में तैनाती कर अभियान चलाया। इसमें थाना परिसरों, पुलिस कॉलोनियों और प्रमुख चौराहों पर चेकिंग की गई। जिन पुलिसकर्मियों ने बिना हेलमेट बाइक चलाई या यातायात नियमों की अवहेलना की, उन पर मौके पर चालान काटा गया। कुल मिलाकर 158 पुलिसकर्मियों को इस कार्रवाई के दायरे में लाया गया।
डीजीपी कार्यालय से जारी निर्देश में साफ कहा गया था कि “कानून लागू करने वाले ही अगर नियम तोड़ेंगे, तो जनता को संदेश गलत जाएगा।” इसी के बाद यह अभियान शुरू किया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई केवल चालान वसूलने के लिए नहीं, बल्कि पुलिस विभाग के भीतर अनुशासन और उदाहरण प्रस्तुत करने के उद्देश्य से की गई है।
भोपाल ट्रैफिक पुलिस के एडीसीपी (यातायात) ने बताया कि अभियान का मकसद सभी को सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूक बनाना है। उन्होंने कहा कि हेलमेट पहनना केवल जुर्माने से बचने का तरीका नहीं, बल्कि जीवन की सुरक्षा का मूल नियम है। इस बार पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति — चाहे वह सिपाही हो या अधिकारी — नियम तोड़ने पर छूट न पाए।
कार्रवाई के दौरान कुछ पुलिसकर्मी खुद यह देखकर हैरान रह गए कि उनके खिलाफ भी चालान काटा जा रहा है। हालांकि, बाद में कई ने इसे सही कदम बताया और स्वीकार किया कि उन्हें भी सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करना चाहिए। कुछ पुलिसकर्मियों ने तो सार्वजनिक रूप से कहा कि यह कदम पूरे विभाग के लिए एक “आईना” है।
शहर के नागरिकों ने भी ट्रैफिक पुलिस की इस निष्पक्ष कार्रवाई की तारीफ की है। सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि अगर पुलिस खुद पर भी कानून लागू करती है, तो जनता में नियमों के प्रति सम्मान बढ़ेगा। कई लोगों ने ट्वीट और पोस्ट के ज़रिए लिखा कि “यह वही बदलाव है जो समाज में कानून व्यवस्था को मजबूत करेगा।”
मध्य प्रदेश में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता अभियान लगातार चलाए जा रहे हैं, लेकिन हेलमेट न पहनने, ओवरस्पीडिंग और मोबाइल पर बात करने जैसी लापरवाहियों के कारण सड़क हादसों की संख्या अब भी चिंताजनक है। ऐसे में इस तरह की सख्ती न केवल आम लोगों को चेतावनी है बल्कि यह भी याद दिलाती है कि कानून सब पर समान रूप से लागू होता है।
अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में यह अभियान और भी सख्ती से जारी रहेगा। ट्रैफिक पुलिस अब पुलिस वाहनों की नियमित जांच करेगी और सुनिश्चित करेगी कि हर चालक ट्रैफिक नियमों का पालन करे। अगर कोई पुलिसकर्मी दोबारा गलती करता पाया गया, तो उसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी की जा सकती है।
ट्रैफिक विभाग का यह भी कहना है कि भविष्य में सभी पुलिसकर्मियों के लिए हेलमेट और सेफ्टी गियर अनिवार्य किए जाएंगे। इसके अलावा, पुलिसकर्मियों को सड़क सुरक्षा नियमों पर नियमित प्रशिक्षण देने की योजना भी बनाई जा रही है।
यह पहली बार नहीं है जब भोपाल में ट्रैफिक पुलिस ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की हो, लेकिन इस बार का अभियान पहले की तुलना में अधिक व्यापक और सख्त रहा। यह न केवल कानून व्यवस्था की पारदर्शिता का उदाहरण है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि मध्य प्रदेश पुलिस अपने भीतर भी अनुशासन और जवाबदेही को प्राथमिकता दे रही है।
कुल मिलाकर, भोपाल में बिना हेलमेट बाइक चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर की गई इस कार्रवाई ने एक सशक्त संदेश दिया है—कानून सबके लिए बराबर है। इस कदम से जहां जनता में पुलिस की छवि और भरोसा बढ़ा है, वहीं यह उम्मीद भी जगी है कि अब सड़क सुरक्षा को लेकर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
डीजीपी के निर्देश पर शुरू हुआ यह अभियान अब राज्य के अन्य जिलों तक भी पहुंच सकता है। अगर ऐसा हुआ, तो यह पूरे मध्य प्रदेश में एक नई पुलिस संस्कृति की शुरुआत होगी, जहां पुलिस न केवल कानून लागू करेगी बल्कि उसका सबसे पहला पालन भी खुद करेगी।