




सोने की कीमत ने इस साल फिर एक नया रिकॉर्ड बनाया है। पहली बार सोना 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गया है। इस साल अब तक सोने की कीमत 40 बार से अधिक ऑल टाइम हाई तक जा चुकी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने की बढ़ती मांग और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि गोल्डमैन सैश ने दिसंबर 2026 तक सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस तक पहुंचने का अनुमान जताया है। इसका मुख्य कारण बढ़ती वैश्विक मांग, मुद्रास्फीति और सुरक्षित निवेश की ओर निवेशकों की बढ़ती रुचि है।
इस समय दुनिया के कई देशों के केंद्रीय बैंक सोने की खरीद में तेजी दिखा रहे हैं। अगस्त में चीन ने अकेले ही कुल 15 टन सोना खरीदा। चीन ने लगातार 11वें महीने सोने की खरीदारी की है। इसका संकेत यह है कि चीन सुरक्षित निवेश और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए सोने को प्राथमिकता दे रहा है।
चीन की इस लगातार खरीदारी से अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों में तेजी बनी हुई है। निवेशक और केंद्रीय बैंक सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं। सोने की बढ़ती मांग से दुनिया के वित्तीय बाजार में इसके भाव लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
वहीं, भारत ने इस समय सोने की खरीदारी पर ब्रेक लगा दिया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने लगातार दूसरे महीने सोना नहीं खरीदा। इसका मुख्य कारण घरेलू वित्तीय स्थिरता और मौद्रिक नीति को बनाए रखना बताया जा रहा है। भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय बाजार में कुछ हद तक संतुलन बनाए रखने की दिशा में भी देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत और चीन के अलग-अलग कदमों से अंतरराष्ट्रीय सोना बाजार में निवेशकों की रणनीति प्रभावित हो रही है। चीन लगातार खरीदारी कर रहा है और स्टॉक को बढ़ा रहा है, जबकि भारत ने हाल के दो महीनों में सोना नहीं खरीदा। यह अंतरराष्ट्रीय सोना मार्केट में कीमतों के उतार-चढ़ाव को प्रभावित कर सकता है।
सोने की बढ़ती कीमतें निवेशकों के लिए भी चिंता का विषय हैं। यह देखा गया है कि सोने का निवेश सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसके बढ़ते भाव से व्यक्तिगत निवेशकों की योजना प्रभावित हो सकती है। गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि अगर वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ स्थिर नहीं रहीं, तो सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस तक भी जा सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने की कीमत पर वैश्विक मांग, मुद्रास्फीति, केंद्रीय बैंकों की खरीद और आर्थिक अनिश्चितताएँ मुख्य रूप से असर डालती हैं। चीन की लगातार खरीदारी और भारत की खरीदारी पर ब्रेक दोनों ही वैश्विक बाजार के संतुलन को प्रभावित कर रहे हैं।
इस समय निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अंतरराष्ट्रीय और घरेलू बाजार की स्थिति को समझकर अपने निवेश निर्णय लें। चीन के लगातार खरीदने और भारत के ब्रेक लगाने से वैश्विक सोना बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
सोने की बढ़ती कीमतें न केवल निवेशकों बल्कि सरकारी नीतियों और केंद्रीय बैंकों की रणनीति पर भी असर डालती हैं। RBI का सोना खरीद न करना घरेलू मुद्रा और विदेशी भंडार को संतुलित रखने की दिशा में एक रणनीतिक कदम माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, सोने की कीमत 4,000 डॉलर पार कर चुकी है और दुनिया के कई देश, खासकर चीन, सोना भर-भरकर खरीद रहे हैं। भारत ने दो महीने से सोना खरीदने पर ब्रेक लगाया है। गोल्डमैन सैश का अनुमान है कि अगले साल तक सोने की कीमत 4,900 डॉलर प्रति औंस तक जा सकती है। निवेशक और केंद्रीय बैंक दोनों ही इस तेजी से प्रभावित होंगे और बाजार की गतिविधियों पर नजर बनाए रखेंगे।
यह स्थिति यह भी दर्शाती है कि सोना अभी भी सुरक्षित निवेश का प्रमुख साधन बना हुआ है, लेकिन इसके मूल्य में तेजी और देशों की रणनीतियाँ निवेशकों के लिए सावधानी बरतने का संकेत भी हैं। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच सोना निवेशकों के लिए सुरक्षा का प्रतीक बना हुआ है।