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    अमेरिका में बिगड़ते रिश्तों पर प्रवासी भारतीयों का जवाब: “हम भारत के प्रतिनिधि नहीं”

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    अमेरिका और भारत के बीच हाल ही में बिगड़ते संबंधों को लेकर एक नया विवाद सामने आया है। कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी सरकार के भारत विरोधी कदमों के संदर्भ में भारतीय प्रवासी समुदाय की चुप्पी पर सवाल उठाया था। थरूर ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में प्रवासी भारतीयों की मौन प्रतिक्रिया भारत के लिए नीति निर्धारण और वैश्विक छवि पर असर डाल सकती है।

    इस बयान के बाद हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की कार्यकारी निदेशक सुहाग शुक्ला ने प्रतिक्रिया दी और स्पष्ट किया कि प्रवासी भारतीय भारत के प्रतिनिधि नहीं हैं। उन्होंने कहा कि प्रवासी भारतीय अपने निजी और व्यावसायिक दृष्टिकोण से अमेरिका में रहते हुए अमेरिका के समाज और राजनीति में शामिल हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वे भारत सरकार की नीतियों या विदेशी संबंधों के लिए जिम्मेदार हैं।

    सुहाग शुक्ला ने अपने बयान में कहा कि प्रवासी भारतीय समाज अमेरिका में अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के अनुसार जीवन व्यतीत करता है। वे अमेरिकी नागरिक, व्यवसायी और पेशेवर हैं, और किसी भी अंतरराष्ट्रीय विवाद में सीधे तौर पर भारत सरकार की ओर से प्रतिनिधित्व नहीं करते। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय प्रवासी समुदाय ने हमेशा से दोनों देशों के बीच सद्भाव और सहयोग बनाए रखने का प्रयास किया है, लेकिन उनकी चुप्पी को गलत अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए।

    कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अमेरिकी कदमों के खिलाफ भारत की ओर से ठोस प्रतिक्रिया की आवश्यकता को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की साख और वैश्विक छवि को बनाए रखना जरूरी है और इस संदर्भ में प्रवासी भारतीयों की सक्रियता पर भी ध्यान देना चाहिए। उनके बयान ने मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म पर व्यापक चर्चा को जन्म दिया।

    सुहाग शुक्ला ने इस मौके पर यह भी कहा कि प्रवासी भारतीय संगठन भारत और अमेरिका के संबंधों को सुदृढ़ करने में मदद करते हैं, लेकिन वे सरकार के निर्णयों या कूटनीतिक नीति निर्धारण में सीधे तौर पर शामिल नहीं हैं। उन्होंने थरूर के बयान का सम्मान करते हुए कहा कि संवाद और विचार-विमर्श हमेशा महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रवासी समुदाय पर आरोप लगाने से वास्तविक मुद्दा पीछे छूट सकता है।

    विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक साझेदारी के मामलों में संवेदनशील समय पर आया है। ऐसे में प्रवासी भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया या चुप्पी को लेकर बहस करना अपेक्षित है, लेकिन इसे व्यक्तिगत या सामुदायिक स्तर पर जिम्मेदारी मान लेना उचित नहीं है।

    इस घटना ने एक बार फिर यह उजागर किया है कि प्रवासी भारतीयों और भारत सरकार के दृष्टिकोण में अंतर हो सकता है। प्रवासी भारतीय अपने जीवन और व्यवसाय को अमेरिका में संचालित करते हैं, जबकि भारत की विदेश नीति और कूटनीति केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित होती है।

    सुहाग शुक्ला के बयान ने स्पष्ट किया कि प्रवासी भारतीय समुदाय का उद्देश्य हमेशा सकारात्मक योगदान देना और दोनों देशों के बीच पुल बनाना रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंधों में किसी भी प्रकार की असहमति के लिए सिर्फ प्रवासी समुदाय को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

    इस विवाद ने भारतीय राजनीति और प्रवासी समुदाय के बीच संबंधों और संवाद के महत्व को भी उजागर किया है। थरूर के बयान और शुक्ला के जवाब ने यह दिखाया कि वैश्विक राजनीति में जानकारीपूर्ण और संतुलित दृष्टिकोण रखना कितना आवश्यक है।

    कुल मिलाकर, प्रवासी भारतीय समुदाय ने साफ कर दिया है कि वे भारत के प्रतिनिधि नहीं हैं, लेकिन दोनों देशों के बीच सद्भाव, सहयोग और सांस्कृतिक संबंध को बनाए रखने के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे। यह मामला एक महत्वपूर्ण उदाहरण है कि अंतरराष्ट्रीय विवादों में प्रवासी समुदाय की भूमिका और सीमाओं को समझना कितना जरूरी है।

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