




भारत की राजनीति में एक ऐसा नाम जिसने पिछले ढाई दशक में जनसेवा, नेतृत्व और निर्णायक फैसलों की नई परिभाषा गढ़ी—वो हैं नरेंद्र मोदी। साल 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभालने वाले मोदी ने 13 साल राज्य की कमान संभाली और फिर 2014 में देश के प्रधानमंत्री बने। अब जब वे सरकार के मुखिया के रूप में 25 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तब यह देखना दिलचस्प है कि कैसे उनके फैसलों ने भारत की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज की दिशा पूरी तरह बदल दी।
नरेंद्र मोदी का राजनीतिक सफर गुजरात की धरती से शुरू हुआ, जहां उन्होंने विकास और प्रशासन के मॉडल को नए सिरे से परिभाषित किया। जब उन्होंने मुख्यमंत्री पद संभाला, तब राज्य 2001 के विनाशकारी भूकंप के बाद संभलने की कोशिश कर रहा था। उन्होंने पुनर्निर्माण की प्रक्रिया को तेज किया और गुजरात को देश के सबसे तेजी से बढ़ते औद्योगिक राज्यों में शामिल कर दिया। ‘वाइब्रेंट गुजरात समिट’ जैसी पहल ने राज्य में घरेलू और विदेशी निवेश को आकर्षित किया और मोदी को ‘विकास पुरुष’ के रूप में स्थापित किया।
गुजरात मॉडल की सफलता के बाद 2014 में नरेंद्र मोदी का उदय राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर हुआ। प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने शासन के हर पहलू में बदलाव लाने की शुरुआत की। उन्होंने प्रशासनिक तंत्र में जवाबदेही और पारदर्शिता पर जोर दिया। “मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस” का नारा उनके शासन का मूल मंत्र बना।
प्रधानमंत्री के रूप में मोदी के फैसले कई बार साहसिक और अप्रत्याशित रहे। 2016 में की गई नोटबंदी ने पूरे देश को झकझोर दिया। यह कदम काले धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा पर प्रहार करने के लिए उठाया गया था। हालांकि इसके परिणामों पर बहस होती रही, लेकिन इससे डिजिटल पेमेंट की संस्कृति को अभूतपूर्व गति मिली और भारत कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा।
2017 में लागू किया गया वस्तु एवं सेवा कर (GST) भारत के आर्थिक ढांचे में सबसे बड़ा सुधार माना गया। इसने “एक राष्ट्र, एक टैक्स” का सपना साकार किया और कर प्रणाली को सरल बनाया। इसके साथ ही मोदी सरकार ने कई सामाजिक योजनाएं शुरू कीं, जिन्होंने आम नागरिकों की जिंदगी को बेहतर बनाया। ‘प्रधानमंत्री जनधन योजना’ के तहत करोड़ों लोगों के बैंक खाते खोले गए, जिससे वित्तीय समावेशन को मजबूती मिली।
‘स्वच्छ भारत अभियान’ ने स्वच्छता को जन आंदोलन का रूप दिया, जबकि ‘उज्ज्वला योजना’ ने महिलाओं को रसोई के धुएं से राहत दिलाई। मोदी सरकार ने बिजली, शौचालय और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी।
राष्ट्रीय सुरक्षा के मोर्चे पर भी मोदी ने निर्णायक रुख अपनाया। 2016 में हुए सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 की एयरस्ट्राइक ने यह संदेश दिया कि भारत अब अपने विरोधियों को उसी भाषा में जवाब देने में सक्षम है। इसके अलावा, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने का फैसला भारतीय राजनीति का ऐतिहासिक क्षण था। इससे जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के साथ समान संवैधानिक दर्जा मिला।
सामाजिक सुधारों की दिशा में मोदी सरकार ने तीन तलाक कानून बनाकर मुस्लिम महिलाओं को समान अधिकार दिलाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया। वहीं, ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ ने घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन दिया और भारत को आत्मनिर्भर बनाने का रोडमैप प्रस्तुत किया।
विदेश नीति में भी नरेंद्र मोदी ने भारत की भूमिका को वैश्विक मंचों पर और सशक्त किया। उन्होंने अमेरिका, रूस, जापान और यूरोप जैसे देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत किया। G20, BRICS और QUAD जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़ अब और भी बुलंद है। उनके ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘मेक इन इंडिया’ जैसे दृष्टिकोणों ने भारत को विश्व राजनीति में नई पहचान दी है।
उनके शासन की एक बड़ी विशेषता रही जनता से सीधा संवाद। ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से उन्होंने जनता से जुड़ने और उनके विचार सुनने की परंपरा शुरू की। यह संवाद सिर्फ संदेश नहीं, बल्कि भागीदारी का प्रतीक बना।
मोदी के 25 वर्षों के राजनीतिक सफर में कई ऐसे निर्णय हैं जिन्होंने भारत को नई दिशा दी। उन्होंने न केवल शासन की परिभाषा बदली, बल्कि लोगों में “नया भारत” बनाने की भावना भी जगाई। उनके फैसले हमेशा तात्कालिक लाभ से ज्यादा दीर्घकालिक सोच पर आधारित रहे हैं।
आज नरेंद्र मोदी एक ऐसे नेता के रूप में देखे जाते हैं जिन्होंने जनता से सीधा रिश्ता कायम किया और हर वर्ग तक सरकार की योजनाओं का लाभ पहुंचाया। उनके 25 वर्षों की यात्रा यह साबित करती है कि अगर नेतृत्व में दृढ़ता, निष्ठा और दूरदृष्टि हो, तो कोई भी देश वैश्विक शक्ति बनने से नहीं रुक सकता।
गुजरात के मुख्यमंत्री से लेकर भारत के प्रधानमंत्री बनने तक मोदी ने यह दिखाया है कि कैसे एक व्यक्ति अपने विचारों और कर्मों से राष्ट्र की दिशा बदल सकता है। यह 25 वर्ष केवल एक राजनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि आधुनिक भारत के निर्माण की कहानी हैं—एक ऐसी कहानी जो “सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास” के मंत्र से आगे बढ़ती है।