




पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में बाढ़ राहत कार्यों के दौरान भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष पर हुए हमले ने राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखी प्रतिक्रिया दी और इसकी कड़ी निंदा की। पीएम ने कहा कि लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है। उन्होंने इस हमले को बेहद निंदनीय बताते हुए राज्य प्रशासन से जवाब मांगा।
लेकिन, इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी तुरंत पलटवार किया। उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान को “राजनीति से प्रेरित” और “दुर्भाग्यपूर्ण” बताया। ममता ने कहा कि प्रधानमंत्री को पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए, उसके बाद बयान देना चाहिए। इस बयानबाजी के बाद बंगाल की सियासत एक बार फिर गरम हो गई है।
यह हमला रविवार को उस समय हुआ जब भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष जलपाईगुड़ी जिले में बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे थे। दोनों नेता राहत सामग्री वितरण और स्थिति का जायजा लेने पहुंचे थे। उसी दौरान कुछ अज्ञात लोगों ने उन पर हमला कर दिया। हमले में सांसद मुर्मू को सिर पर गंभीर चोट आई, जबकि विधायक घोष को भी हल्की चोटें लगीं।
स्थानीय पुलिस ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि जांच जारी है और दोषियों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह हमला “तृणमूल कांग्रेस समर्थकों” द्वारा किया गया, जबकि टीएमसी ने इसे “संपूर्ण झूठा और राजनीतिक रूप से प्रेरित आरोप” बताया।
हमले के बाद भाजपा नेताओं ने राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल उठाए। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि पश्चिम बंगाल में अब भाजपा नेताओं पर हमला आम बात हो गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस टीएमसी के इशारों पर काम कर रही है और विपक्षी नेताओं की सुरक्षा की कोई गारंटी नहीं है।
उन्होंने मांग की कि केंद्रीय एजेंसियां इस हमले की जांच करें, ताकि सच्चाई सामने आ सके। भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि अगर केंद्र सरकार दखल नहीं देती तो राज्य में राजनीतिक हिंसा और बढ़ सकती है।
प्रधानमंत्री मोदी के बयान पर ममता बनर्जी ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री को पहले राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगनी चाहिए थी। बिना जानकारी के बयान देना गलत है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रधानमंत्री राजनीति में हिंसा का रंग भर रहे हैं।”
सीएम ममता ने आगे कहा कि उनकी सरकार ने बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्यों के लिए बड़ी संख्या में अधिकारी और टीमें भेजी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता सिर्फ फोटो खिंचवाने और प्रचार के लिए मैदान में उतरते हैं, जबकि असली काम राज्य प्रशासन करता है।
तृणमूल कांग्रेस प्रवक्ता डेरेक ओ’ब्रायन ने भी भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि यह हमला भाजपा की अपनी गुटबाजी का परिणाम है। उन्होंने कहा कि “भाजपा बंगाल में सहानुभूति बटोरने की कोशिश कर रही है क्योंकि जनता ने उन्हें नकार दिया है।”
ओ’ब्रायन ने दावा किया कि भाजपा नेता राज्य में अफवाह फैलाकर अस्थिरता पैदा करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि टीएमसी सरकार ने पहले ही घटना की जांच के आदेश दे दिए हैं और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।
जलपाईगुड़ी की यह घटना केवल एक हमला नहीं, बल्कि बंगाल की गहराती राजनीतिक खाई का संकेत भी है। भाजपा और टीएमसी के बीच तनातनी पहले से ही जारी थी। अब यह घटना आगामी नगर निकाय और विधानसभा चुनावों के संदर्भ में और भी अहम हो गई है।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि भाजपा इस घटना को “राज्य में असुरक्षा और हिंसा” के प्रतीक के रूप में पेश करेगी, जबकि ममता बनर्जी इसे “केंद्र की राजनीतिक साजिश” बताएंगी। इससे दोनों दलों के बीच टकराव और तेज़ होने की संभावना है।
जलपाईगुड़ी हमले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि पश्चिम बंगाल में राजनीति अब केवल विचारधारा की नहीं, बल्कि सड़कों तक फैली लड़ाई बन चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच यह तकरार राज्य की राजनीतिक दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।