




सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई (CJI) पर जूता फेंकने की नाकाम कोशिश की गई। इस मामले में अब अपराधी की पहचान सामने आई है। वह कोई और नहीं बल्कि 71 वर्षीय एडवोकेट राकेश किशोर हैं।
राकेश किशोर पेशे से लंबे समय से एडवोकेट हैं। हालांकि उनके पेशेवर जीवन और कानूनी करियर के बारे में ज्यादा जानकारी सार्वजनिक नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस प्रकार की घटना उनके व्यक्तित्व और दृष्टिकोण पर सवाल खड़ा करती है। घटना के समय राकेश किशोर ने न्यायालय में उपस्थित रहते हुए अचानक यह कदम उठाया।
सूत्रों के अनुसार, राकेश किशोर की उम्र 71 साल है और उन्हें कानूनी मामलों में अनुभव है। हालांकि इस उम्र में भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में जजों पर हमला करने जैसी घटना को अंजाम दिया, जिससे न्यायालय और सुरक्षा अधिकारियों में अफरातफरी मच गई। इस घटना ने कोर्ट की सुरक्षा प्रक्रियाओं की भी समीक्षा की आवश्यकता को उजागर किया है।
सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा टीम ने समय रहते ही जूता फेंकने की कोशिश को रोका और राकेश किशोर को तुरंत हिरासत में ले लिया। इस घटना के बाद अदालत में उपस्थित वकील और कर्मचारियों में हलचल मच गई। न्यायपालिका ने इस प्रकार की घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए सुरक्षा उपायों को और सख्त करने का निर्णय लिया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायालय में किसी भी प्रकार का हमला या हिंसक घटना न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि यह न्यायपालिका की प्रतिष्ठा को भी प्रभावित कर सकता है। ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों की जांच भी जरूरी हो जाती है।
राकेश किशोर के इस कदम के पीछे क्या कारण थे, यह स्पष्ट नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि यह घटना किसी व्यक्तिगत असंतोष या न्यायिक फैसलों के प्रति आक्रोश के कारण हो सकती है। हालांकि अभी तक राकेश किशोर ने अपने कार्यों के पीछे स्पष्ट कारण सार्वजनिक नहीं किया है।
इस घटना ने सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा प्रोटोकॉल और सुरक्षा तंत्र की समीक्षा की भी आवश्यकता सामने रखी है। वरिष्ठ सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायालय में उपस्थित व्यक्तियों की जाँच और निगरानी को और कड़ा करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसे खतरनाक घटनाओं को रोका जा सके।
राकेश किशोर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक कार्रवाई की संभावना है। उनकी उम्र को देखते हुए न्यायालय किस प्रकार की कानूनी कार्रवाई करेगा, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। हालांकि, कानून के तहत किसी भी व्यक्ति द्वारा न्यायालय के सम्मान और सुरक्षा का उल्लंघन गंभीर अपराध माना जाता है।
देशभर में इस घटना पर लोगों में चर्चा हो रही है। सोशल मीडिया और समाचार चैनलों पर राकेश किशोर की उम्र और उनकी पेशेवर पृष्ठभूमि के बारे में कई बातें साझा की जा रही हैं। साथ ही, यह घटना न्यायपालिका और कानून पेशे में अनुशासन और सुरक्षा की महत्वता को भी सामने लाती है।
कुल मिलाकर, 71 वर्षीय राकेश किशोर द्वारा सुप्रीम कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर जूता फेंकने की कोशिश ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी हैं। घटना नाकाम रहने के बावजूद इसकी गंभीरता कम नहीं है। न्यायपालिका अब इस प्रकार की घटनाओं से निपटने के लिए सुरक्षा उपायों को और मजबूत करेगी और आरोपी के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करेगी।
यह मामला यह भी दिखाता है कि कानून और न्यायपालिका की सुरक्षा में किसी भी प्रकार की कमी गंभीर परिणाम ला सकती है। राकेश किशोर की पहचान और उम्र के साथ-साथ उनके इस कदम के पीछे की मानसिक और सामाजिक परिस्थितियों की जांच भी अब प्रमुखता से की जा रही है।