




उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के बेवर कस्बे में मंगलवार, 7 अक्टूबर 2025 को भगवान वाल्मीकि जयंती के शुभ अवसर पर भव्य शोभायात्रा का आयोजन किया गया। यह शोभायात्रा धार्मिक उत्साह, आस्था और एकता का प्रतीक बनी। नगर के प्रत्येक कोने में भक्तिमय माहौल दिखाई दिया और हर ओर “जय वाल्मीकि भगवान” के जयकारे गूंजते रहे।
शोभायात्रा की शुरुआत किशनपुर गढ़िया से की गई, जहां सुबह से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहा। नगरवासियों के अलावा आसपास के गांवों से भी हजारों की संख्या में श्रद्धालु इस धार्मिक यात्रा में शामिल हुए। जैसे ही शोभायात्रा का आरंभ हुआ, भक्ति गीतों, डीजे की धुनों और जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा।
नगर के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए यह शोभायात्रा नगर के प्रमुख स्थानों, बाजारों और मोहल्लों से होकर निकली। जगह-जगह स्थानीय नागरिकों और व्यापारियों ने पुष्पवर्षा कर यात्रा का स्वागत किया। घरों की बालकनियों से महिलाएं फूल बरसाती नजर आईं, जबकि बच्चे झांकियों के साथ तालियां बजाते हुए उत्साह दिखा रहे थे।
इस अवसर पर शोभायात्रा में कई आकर्षक झांकियां सजाई गईं, जिन्होंने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण की झांकी, महर्षि वाल्मीकि के जीवन से जुड़े प्रसंगों की झलकियां और भगवान वाल्मीकि की जीवंत प्रतिमाएं भक्तों के लिए मुख्य आकर्षण बनीं। इन झांकियों को बेवर और आसपास के युवा कलाकारों ने तैयार किया था, जिनकी कलात्मकता और भावनात्मक प्रस्तुति ने लोगों को भावविभोर कर दिया।
शोभायात्रा के दौरान भक्तों ने पारंपरिक परिधान पहनकर डमरू, ढोलक और झांझ की थाप पर नृत्य किया। कई स्थानों पर भजन मंडलियों ने भगवान वाल्मीकि के भजनों का मधुर गायन किया, जिससे वातावरण और भी पवित्र हो उठा।
शोभायात्रा का शुभारंभ वर्तमान ब्लॉक प्रमुख अनुपम दीक्षित सांवरिया ने विधिवत रूप से किया। उनके साथ प्रमुख अतिथि के रूप में निखिल वाल्मिक, शिवा वाल्मिक, नन्हे वाल्मिक और नैतिक वाल्मिक जैसे स्थानीय समाजसेवी भी उपस्थित रहे। सभी ने भगवान वाल्मीकि की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर यात्रा का आरंभ किया।
इस दौरान ब्लॉक प्रमुख अनुपम दीक्षित ने कहा कि “महर्षि वाल्मीकि केवल रामायण के रचयिता ही नहीं, बल्कि समाज सुधारक और ज्ञान के प्रतीक थे। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज को दिशा देती हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में एकता और सद्भावना का संदेश फैलता है।
नगरवासियों में भी इस यात्रा को लेकर भारी उत्साह देखने को मिला। युवा वर्ग ने डीजे की धुनों पर नाचते-गाते हुए माहौल को और भी जोशीला बना दिया। हर गली, हर चौराहा भक्ति और उल्लास से भर उठा। महिलाओं ने भी यात्रा में सक्रिय रूप से भाग लिया और भगवान वाल्मीकि के जयकारे लगाए।
यात्रा के मार्ग में प्रशासन और पुलिस विभाग की ओर से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। बेवर थाना प्रभारी और उनकी टीम लगातार शोभायात्रा के साथ मौजूद रही, ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो। ट्रैफिक को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।
भक्तों ने बताया कि इस बार की शोभायात्रा पहले की तुलना में अधिक भव्य थी। नगर की गलियों को फूलों की माला और भगवा पताकाओं से सजाया गया था। वहीं, कई स्थानों पर भंडारा और शीतल पेयजल की व्यवस्था भी की गई थी, जहां यात्रा में शामिल लोग विश्राम करते नजर आए।
महर्षि वाल्मीकि की झांकी के सामने भक्तों ने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लिया। झांकी के पास लगी भगवान राम और सीता की झलकियों ने श्रद्धालुओं को वाल्मीकि आश्रम के उस दिव्य दृश्य की याद दिलाई, जब महर्षि ने माता सीता को आश्रय दिया था और लव-कुश को शिक्षा दी थी।
यात्रा के समापन पर बेवर नगर में भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें स्थानीय कलाकारों ने वाल्मीकि भगवान की स्तुति में प्रस्तुतियां दीं। भक्ति गीत “जय जय वाल्मीकि प्रभु” और “संतों के संग लगे मन मेरा” पर भक्त झूम उठे।
कार्यक्रम के अंत में आयोजकों ने सभी श्रद्धालुओं, प्रशासनिक अधिकारियों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के धार्मिक आयोजन समाज में न केवल आस्था को बढ़ाते हैं बल्कि युवाओं को अपनी संस्कृति और परंपराओं से जोड़ने का काम करते हैं।
भगवान वाल्मीकि जयंती के इस अवसर पर बेवर नगर भक्ति, उत्सव और एकता का केंद्र बन गया। हर गली, हर घर से आती भक्ति की ध्वनि ने यह संदेश दिया कि महर्षि वाल्मीकि आज भी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।