




सुप्रीम कोर्ट में हाल ही में हुई एक चौंकाने वाली घटना ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। मुख्य न्यायाधीश की बेंच पर जूता फेंका जाना न केवल न्यायपालिका की गरिमा के लिए चुनौती बन गया, बल्कि यह घटना देश के संवैधानिक ढांचे पर सवाल खड़ा कर रही है। इस मामले में सीजेआई डॉ. डी. वाई. चंद्रचूड़ की मां, कमलाताई गवई ने कड़ा रिएक्शन व्यक्त किया है।
कमलाताई गवई ने इसे सीधे तौर पर संविधान पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि अदालत में ऐसा अराजक व्यवहार करना न्यायपालिका और देश के लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट भारत का सर्वोच्च न्यायिक संस्थान है और उसकी गरिमा बनाए रखना प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है।
कमलाताई गवई ने इस घटना को सिर्फ कोर्ट के सम्मान के लिए खतरा नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक तंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं के लिए चुनौतीपूर्ण कदम बताया। उनका कहना था कि यदि इस प्रकार की घटनाओं को अनदेखा किया गया, तो यह अराजकता और कानून व्यवस्था के लिए खतरा बन सकती है।
उन्होंने मीडिया से कहा कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच पर जूता फेंकने की घटना सिर्फ किसी व्यक्ति की प्रतिक्रिया नहीं थी, बल्कि यह संविधान और देश के न्यायिक मूल्यों पर हमला करने जैसा है। उनके अनुसार, यह घटना पूरी तरह से अनुचित और असंवैधानिक है।
कमलाताई गवई ने यह भी स्पष्ट किया कि देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा के लिए सभी नागरिकों का कर्तव्य है कि वे इस प्रकार की घटनाओं को रोकें और न्यायिक प्रक्रिया में बाधा न डालें। उनका कहना था कि अराजकता फैलाने की कोशिशों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की घटना ने देश में कानून और संविधान के प्रति नागरिकों की जिम्मेदारी पर सवाल उठाया है। कमलाताई गवई के बयान ने यह स्पष्ट किया कि न्यायपालिका के सर्वोच्च अधिकारी के प्रति किसी भी प्रकार का हिंसात्मक या अपमानजनक व्यवहार सीधे तौर पर संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था और कोर्ट परिसर में अनुशासन बनाए रखने के उपायों पर भी अब सवाल उठ रहे हैं। यह घटना यह दिखाती है कि न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए सुरक्षा और सतर्कता आवश्यक है। कमलाताई गवई ने कहा कि कोर्ट परिसर में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त उपाय किए जाने चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति ऐसा अराजक कदम न उठा सके।
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका पर भरोसा बनाए रखना देश के लोकतंत्र की मजबूती के लिए आवश्यक है। अगर कोर्ट की गरिमा पर लगातार हमला होता रहा, तो यह नागरिकों और न्यायिक संस्थाओं के बीच विश्वास को कमजोर कर सकता है। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का सम्मान हर नागरिक की जिम्मेदारी है और इसे बनाए रखना अनिवार्य है।
कमलाताई गवई ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। अदालत के प्रति इस प्रकार का आक्रामक व्यवहार लोकतांत्रिक मूल्यों के लिए खतरनाक है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह घटना एक चेतावनी है कि देश के न्यायिक ढांचे को कमजोर करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में हुई इस घटना ने मीडिया और आम नागरिकों के बीच न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सुरक्षा के महत्व को उजागर किया है। कमलाताई गवई का यह बयान स्पष्ट करता है कि इस तरह की घटनाओं को गंभीरता से लेने और कानूनी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों ने भी इस घटना के बाद सतर्कता बढ़ा दी है। न्यायालय परिसर में सुरक्षा प्रोटोकॉल को और कड़ा करने और ऐसे अराजक घटनाओं को रोकने के लिए उपाय किए जा रहे हैं। कमलाताई गवई का बयान इस दिशा में एक मजबूत समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।
कुल मिलाकर, कमलाताई गवई की प्रतिक्रिया ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने जैसी घटनाएँ सिर्फ व्यक्तिगत अपमान नहीं हैं, बल्कि यह संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला है। उनका कहना है कि न्यायपालिका के सम्मान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है और इसे बनाए रखना आवश्यक है ताकि देश में कानून और व्यवस्था बनी रहे।