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    विदिशा के सिरोंज में मुख्यमंत्री विवाह योजना में 31 करोड़ का घोटाला, ईडी की छापेमारी से खुला बड़ा राज

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    मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के सिरोंज से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मुख्यमंत्री विवाह योजना, जो गरीब और मजदूर वर्ग की सहायता के लिए बनाई गई थी, अब बड़े भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। इस योजना में करोड़ों रुपये के फर्जी भुगतान और दस्तावेज़ों के घोटाले का खुलासा हुआ है। ताजा जानकारी के अनुसार, यह घोटाला करीब 31 करोड़ रुपये का बताया जा रहा है। मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कार्रवाई शुरू करते हुए मुख्य आरोपी शोभित्र त्रिपाठी के कई ठिकानों पर छापेमारी की है।

    मुख्यमंत्री विवाह योजना का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के युवाओं को विवाह में सहायता प्रदान करना था। इसके तहत राज्य सरकार मजदूरों और गरीब परिवारों को शादी के लिए 51,000 रुपये की राशि देती है। लेकिन इस योजना का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने के बजाय कुछ अधिकारियों और नेताओं के करीबी लोगों ने इसका दुरुपयोग कर लिया। जांच में खुलासा हुआ है कि बड़ी संख्या में फर्जी नामों और कागज़ी दूल्हा-दुल्हनों के नाम पर भुगतान कर दिया गया।

    ईडी को यह मामला तब मिला जब राज्य आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने प्रारंभिक जांच में घोटाले के संकेत दिए। इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय ने धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) के तहत जांच शुरू की। अधिकारियों ने बताया कि आरोपी शोभित्र त्रिपाठी, जो स्थानीय प्रशासन में एक प्रभावशाली अधिकारी माना जाता था, ने अपने पद का दुरुपयोग किया। उसने योजना की फाइलों में हेराफेरी कर सरकारी कोष से करोड़ों रुपये का दुरुपयोग किया।

    ईडी की टीम ने बुधवार सुबह विदिशा और भोपाल सहित कई ठिकानों पर एक साथ छापे मारे। बताया जा रहा है कि कार्रवाई के दौरान एजेंसी को बड़ी मात्रा में नकद, संपत्ति से जुड़े दस्तावेज़, बैंक खातों के विवरण और कई डिजिटल रिकॉर्ड मिले हैं। शुरुआती जांच में पता चला है कि रकम कई फर्जी खातों में ट्रांसफर की गई थी, जिनमें से कुछ खाते मजदूरों के नाम पर खोले गए थे, लेकिन असल में उन पर आरोपियों का नियंत्रण था।

    मामले में यह भी सामने आया है कि कई “फर्जी शादियों” के नाम पर भुगतान किया गया। कई ऐसे जोड़ों के नाम रजिस्टर में दर्ज किए गए जो असल में मौजूद ही नहीं थे। कुछ मामलों में तो एक ही व्यक्ति के नाम से कई बार राशि निकाल ली गई। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह घोटाला कई स्तरों पर हुआ — योजना की मंजूरी, भुगतान प्रक्रिया, और रिकॉर्ड प्रबंधन — सभी में मिलीभगत थी।

    सूत्रों के अनुसार, आरोपी शोभित्र त्रिपाठी के राजनीतिक संबंध भी काफी मजबूत बताए जा रहे हैं। यही वजह थी कि इतने बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार लंबे समय तक अनदेखा होता रहा। कुछ स्थानीय नेताओं के नाम भी जांच के घेरे में आए हैं, हालांकि अभी तक ईडी ने किसी नेता के खिलाफ औपचारिक रूप से मामला दर्ज नहीं किया है। एजेंसी ने बताया कि जांच आगे बढ़ने के बाद कई और लोगों से पूछताछ की जाएगी।

    ईडी की कार्रवाई के बाद प्रशासन और स्थानीय राजनीति में हड़कंप मच गया है। सिरोंज के आम नागरिक इस बात से हैरान हैं कि गरीब मजदूरों की सहायता के लिए बनी योजना को भ्रष्टाचारियों ने कैसे लूट लिया। कई स्थानीय परिवारों ने बताया कि उन्होंने इस योजना के लिए आवेदन किया था, लेकिन उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। अब यह खुलासा हुआ है कि उनका नाम पहले से फर्जी रिकॉर्ड में उपयोग किया जा चुका था।

    राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि “किसी भी अधिकारी या व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा, जिसने गरीबों के हक पर डाका डाला है।” मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि योजना को पारदर्शी बनाने के लिए सभी जिलों में ऑडिट और सत्यापन अभियान चलाया जाएगा।

    इस घोटाले ने न केवल सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि कैसे सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर कुछ लोग आम जनता के हक का पैसा हड़प लेते हैं। सामाजिक संगठनों और विपक्षी दलों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि यह घोटाला सत्ता संरक्षण में हुआ है और अब सरकार दबाव में कार्रवाई का दिखावा कर रही है।

    दूसरी ओर, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि जांच निष्पक्ष तरीके से हो रही है और दोषियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। ईडी की टीम आने वाले दिनों में संबंधित बैंकों से लेनदेन के विवरण और कॉल रिकॉर्ड भी खंगालेगी ताकि घोटाले की पूरी सच्चाई सामने लाई जा सके।

    फिलहाल, विदिशा और सिरोंज के कई अधिकारी जांच के दायरे में हैं। राज्य भर में मुख्यमंत्री विवाह योजना के तहत किए गए भुगतान की भी दोबारा समीक्षा शुरू हो गई है। ईडी का कहना है कि यह केवल शुरुआत है, आने वाले हफ्तों में और कई खुलासे हो सकते हैं।

    इस घटनाक्रम ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जनकल्याण योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी किस तरह गरीबों के अधिकारों को निगल रही है। मजदूरों की शादी के नाम पर किए गए इस करोड़ों के फर्जीवाड़े ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है।

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