




आगामी विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर अपनी चुनावी रणनीति को नया आकार देने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। पार्टी ने मंगलवार को कई राज्यों में राज्यवार चुनावी ‘वार रूम’ के लिए अध्यक्षों और उपाध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा की। यह कदम कांग्रेस की उस नई रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जिसके तहत पार्टी ग्राउंड लेवल पर संगठन को मजबूत करते हुए चुनावी तैयारियों को अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में काम कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इन नियुक्तियों को औपचारिक मंजूरी दी। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह बदलाव कांग्रेस की “2025 चुनावी मिशन योजना” का एक अहम हिस्सा है, जिसमें राज्यों के हिसाब से रणनीतिक फैसले लेने और स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित चुनाव प्रचार तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है।
कांग्रेस ने हर राज्य में ‘वार रूम स्ट्रक्चर’ को मजबूत करने की प्रक्रिया शुरू की है। वार रूम न केवल रणनीति तैयार करने का केंद्र होगा, बल्कि यह डेटा एनालिसिस, मीडिया कोऑर्डिनेशन, फीडबैक सिस्टम और जनसंपर्क अभियानों का भी संचालन करेगा। पार्टी का मानना है कि पिछली बार के चुनावों में कई राज्यों में रणनीतिक समन्वय की कमी रही थी, जिससे उसे अपेक्षित सफलता नहीं मिल पाई।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि “यह बदलाव केवल पदों का फेरबदल नहीं है, बल्कि यह उस सोच का प्रतीक है जिसमें पार्टी जमीनी स्तर पर ऊर्जा और युवाओं की भागीदारी को प्राथमिकता दे रही है।”
सूत्रों के मुताबिक, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, हरियाणा, महाराष्ट्र और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों में वार रूम की कमान संभालने वाले चेहरों को बदला गया है। वहीं, उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पार्टी ने नए सिरे से रणनीति तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है।
कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने अपने बयान में कहा कि “आगामी चुनाव सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं हैं, बल्कि यह हमारे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा की लड़ाई है। कांग्रेस का प्रत्येक कार्यकर्ता इस मिशन के प्रति समर्पित रहेगा।”
उन्होंने कहा कि नई नियुक्तियों से पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा और राज्यों में समन्वय बेहतर तरीके से हो सकेगा। कांग्रेस के इन वार रूम्स में चुनाव अभियान, जनसभाएं, प्रचार सामग्री और सोशल मीडिया रणनीति पर लगातार काम किया जाएगा।
कांग्रेस के चुनाव प्रबंधन प्रकोष्ठ की देखरेख कर रहे एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि वार रूम्स में तकनीकी उपकरण, सोशल मीडिया मॉनिटरिंग और डेटा टीम्स की तैनाती भी की जा रही है। इससे उम्मीदवारों के प्रदर्शन, क्षेत्रीय मुद्दों और विपक्षी दलों की गतिविधियों पर रीयल-टाइम निगरानी रखी जा सकेगी।
कांग्रेस ने यह भी संकेत दिया है कि वार रूम टीमों में युवाओं, महिला नेताओं और मीडिया एक्सपर्ट्स को प्राथमिकता दी जा रही है। पार्टी चाहती है कि ये टीमें जनता से सीधे जुड़ने वाले अभियानों को और मजबूत करें।
कांग्रेस के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस पूरी रणनीति पर अपनी राय दी है। दोनों नेता चाहते हैं कि पार्टी का हर राज्य इकाई स्थानीय नेतृत्व के साथ तालमेल बैठाकर काम करे और ग्राउंड इंटेलिजेंस को प्राथमिकता दे।
कांग्रेस का यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब कई राज्यों में चुनावी माहौल बन चुका है और भाजपा, आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसे दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रहे हैं। विश्लेषकों के अनुसार, कांग्रेस इस कदम से यह संदेश देना चाहती है कि वह अब केवल केंद्रित नेतृत्व पर नहीं, बल्कि विकेंद्रीकृत रणनीति पर भरोसा कर रही है, जिससे हर राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों के अनुसार फैसले लिए जा सकें।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि कांग्रेस का यह बदलाव संगठनात्मक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यदि पार्टी इन वार रूम्स को प्रभावी ढंग से चला पाती है तो उसे जमीनी स्तर पर फायदा मिल सकता है। खासकर उन राज्यों में, जहां पार्टी लगातार चुनावी पराजय झेल रही है, वहां यह रणनीति पुनर्जीवन का काम कर सकती है।
कांग्रेस के अंदर भी इस कदम का स्वागत किया गया है। कई नेताओं ने इसे “पार्टी के पुनर्गठन की दिशा में निर्णायक कदम” बताया है। राजस्थान के एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि “हमारी टीम पहले से अधिक संगठित है। अब हर जिले में वार रूम की रिपोर्ट सीधे राज्य स्तर पर पहुंचेगी, जिससे निर्णय लेने में तेजी आएगी।”
कांग्रेस ने वार रूम्स के साथ-साथ “प्रभाव क्षेत्र निगरानी समिति” बनाने की भी घोषणा की है। ये समितियां स्थानीय मुद्दों पर जनमत तैयार करने और विरोधियों की रणनीति का जवाब देने का काम करेंगी।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में कांग्रेस अपने डिजिटल वार रूम्स को भी सक्रिय करेगी, जो डेटा आधारित चुनाव विश्लेषण, सोशल मीडिया कैंपेन और वीडियो कंटेंट निर्माण पर फोकस करेंगे।
इन सभी तैयारियों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने यह भी दोहराया कि “हमारे कार्यकर्ताओं का मनोबल ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। हम लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करेंगे और जनता के मुद्दों को केंद्र में रखकर लड़ाई लड़ेंगे।”
राजनीतिक पंडितों के मुताबिक, यह कांग्रेस की “डिजिटल और जमीनी राजनीति का मिश्रण” है, जो भविष्य के चुनावी अभियानों की दिशा तय कर सकता है।